'थर्ड डिग्री' के आरोप में भोपा थाना प्रभारी की 'छुट्टी':जबरन डकैती कबूलने के दबाव का मामला, एसएसपी ने क्राइम ब्रांच भेजा
मुजफ्फरनगर में 'थर्ड डिग्री टॉर्चर' के आरोपों से घिरे भोपा थाना प्रभारी हटा दिए गए हैं। एसएसपी अभिषेक सिंह ने भोपा थाना प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार को क्राइम ब्रांच भेज दिया है। उनके स्थान पर मंसूरपुर थाना प्रभारी उमेश रोरिया को भोपा थाना का नया प्रभारी बनाया गया है, जबकि एसओजी प्रभारी सुभाष बाबू को मंसूरपुर थाने की कमान सौंपी गई है। भाकियू के धरने के बाद बैकफुट पर आई पुलिस भोपा पुलिस पर तीन युवकों को थर्ड डिग्री देकर टॉर्चर करने का आरोप लगा था। इस मामले को लेकर भारतीय किसान यूनियन (राजनीतिक) के कार्यकर्ताओं ने हाल ही में थाना परिसर में धरना प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस प्रशासन बैकफुट पर आ गया। इस घटना के बाद जिले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। एसएसपी ने की सख्त कार्रवाई मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी अभिषेक सिंह ने थाना प्रभारी विजय कुमार को पद से हटाकर क्राइम ब्रांच भेज दिया। इसके अलावा, ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर रामलीला टिल्ला चौकी इंचार्ज बालकिशन जादौन को भी हटा दिया गया है।

‘थर्ड डिग्री’ के आरोप में भोपा थाना प्रभारी की 'छुट्टी'
हाल ही में मध्यप्रदेश के भोपा थाना प्रभारी पर ‘थर्ड डिग्री’ का गंभीर आरोप लगा है। अधिकारियों ने बताया कि थाना प्रभारी पर आरोप है कि उन्होंने आरोपियों से जबरन डकैती कबूल करवाने के लिए अत्यधिक दबाव बनाया। इस बिंदु पर, एसएसपी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए मामले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच को भेजा है।
जबरन डकैती कबूलने का मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब कुछ आरोपियों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन पर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया और उनसे अपराधिक गतिविधियों को कबूल करने के लिए दवाब बनाया गया। सूत्रों ने बताया कि यह मामला तब उजागर हुआ जब एक स्थानीय मानवाधिकार संगठन ने इस घटना की शिकायत की।
एसएसपी का कदम
एसएसपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए थाने के प्रभारी को छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया। उन्होंने चेतावनी दी है कि किसी भी इंसान के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा और जो भी इस तरह की गतिविधियों में शामिल होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। क्राइम ब्रांच अब मामले की गहनता से जांच करेगी और सभी पहलुओं पर नज़र रखेगी।
पुलिस के अंदरूनी कलह
यह घटना पुलिस विभाग के भीतर की अंदरूनी कलह को भी उजागर करती है। कुछ अधिकारी मानते हैं कि ऐसे मामले विभाग की छवि को खराब करते हैं और इसके लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इसके अलावा, यह भी चर्चा की जा रही है कि पुलिस में सुधार की आवश्यकता है ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में दोबारा न हों।
निष्कर्ष रूप में, यह घटना न केवल एक पुलिसकर्मी की कार्रवाई के खिलाफ है, बल्कि यह मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ भी एक संदेश है। इसके साथ ही, पुलिस विभाग को अब इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
कुल मिलाकर, यह मामला भोपा थाना प्रभारी के लिए एक सतर्कता का संकेत है, और आगे की जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस मामले में क्या निष्कर्ष निकाला जाएगा।
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