नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में 7 साल कैद:पीलीभीत कोर्ट ने पोक्सो एक्ट में सुनाया फैसला, 15 हजार रुपए जुर्माना
पीलीभीत में एक नाबालिग दलित लड़की से दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने आरोपी को कड़ी सजा सुनाई है। स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट की अदालत ने आरोपी राजीव कुमार को 7 साल की कठोर कारावास और 15 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामला 17 मार्च 2017 का है, जब थाना कोतवाली में IPC की धारा 363, 366, 376 के साथ पॉक्सो एक्ट और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने गहन जांच के बाद 13 मई 2017 को आरोपी राजीव कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। आरोपी ग्राम शिवनगर, थाना गजरौला, जनपद पीलीभीत का रहने वाला है। पुलिस अधीक्षक पीलीभीत के निर्देशन में चल रहे 'ऑपरेशन कनविक्शन' अभियान के तहत इस मामले में प्रभावी पैरवी की गई। न्यायालय में पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी साक्ष्यों और सबूतों के आधार पर 1 फरवरी 2025 को आरोपी को दोषी करार दिया गया। यह फैसला अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पृष्ठभूमि और मामला
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले को लेकर विशेष पोक्सो कोर्ट ने निर्णय सुनाया। इस मामले में, आरोपी को 7 साल की कैद और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला न केवल पीड़िता के लिए न्याय का संकेत है, बल्कि समाज में सुरक्षा और न्याय की बात भी करता है।
पोक्सो एक्ट का महत्व
पोक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट, बच्चों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। यह एक्ट विशेष रूप से नाबालिगों के खिलाफ हो रहे यौन अपराधों को रोकने और सजा दिलाने के लिए बनाया गया है। अदालत ने इस मामले में पोक्सो एक्ट के तहत सजा देकर यह दर्शाया है कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को सहन नहीं किया जाएगा।
अदालत का निर्णय
अदालत द्वारा सुनाए गए इस निर्णय ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर किया है। न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि समाज में इस तरह के अपराधों की रोकथाम हो सके। पीड़िता के परिवार ने अदालत के इस निर्णय पर संतोष व्यक्त किया है।
पीड़िता की सुरक्षात्मक आवश्यकताएँ
इस तरह के मामलों में केवल सजा ही नहीं, बल्कि पीड़िता का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है। समाज को चाहिए कि वह पीड़िताओं को समर्थन और सहयोग दें, ताकी वे अपनी ज़िंदगी को सामान्य रूप से जी सकें। सरकारी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से उन्हें इलाज और सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
समाज में जागरूकता
इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि समाज में यौन अपराधों के खिलाफ जागरूकता फैलाना कितना आवश्यक है। संघर्ष और न्याय की कहानियों को साझा करना मानवाधिकारों और बच्चों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ा सकता है। सभी को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
निष्कर्ष
पीलीभीत कोर्ट का यह निर्णय न केवल न्याय की दिशा में एक कदम है, बल्कि समाज में यौन अपराधों के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी है। ऐसे मामलों में सख्त सजा और न्याय की प्रक्रिया को सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है। Keywords: नाबालिग लड़की से दुष्कर्म, पीलीभीत कोर्ट, पोक्सो एक्ट, 7 साल कैद, 15 हजार रुपए जुर्माना, बच्चों की सुरक्षा कानून, यौन अपराध रोकथाम, सामाजिक जागरूकता, न्याय की प्रक्रिया, पीड़िता का समर्थन
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