नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 7 साल की सजा:मिर्जापुर कोर्ट ने 5 हजार का लगाया जुर्माना

मिर्जापुर में नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सुरेन्द्र कुमार राय ने दोषी को 7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 5 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। मामला जून 2017 का है, जब अहरौरा थाने में पीड़िता के नाना ने शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी पुनवासी हरिजन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा के निर्देश में 'ऑपरेशन कन्विक्शन' और 'मिशन शक्ति अभियान फेज-5.0' के तहत मामले की पैरवी की गई। एडीजीसी सुनीता गुप्ता ने अभियोजन पक्ष की ओर से मजबूत पैरवी की। विवेचक उपनिरीक्षक रामदरश राम, कोर्ट मुहर्रिर पंकज कुमार और महिला आरक्षी विजेता साहू ने भी अहम भूमिका निभाई। न्यायालय ने सभी गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर दोषी को धारा 376, 511 भादवि व पॉक्सो एक्ट की धारा 7/8 के तहत दोषी करार दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर दोषी 5 हजार रुपए का जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 3 माह की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी। दोषी बनइमिलिया, थाना अहरौरा, मिर्जापुर का रहने वाला है।

Mar 25, 2025 - 20:00
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नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 7 साल की सजा:मिर्जापुर कोर्ट ने 5 हजार का लगाया जुर्माना
मिर्जापुर में नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया है। विशेष न्याया

नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 7 साल की सजा

मिर्जापुर की स्थानीय अदालत ने एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के दोषी को 7 साल की सजा सुनाई है, साथ ही उसकी जिंदगी को तबाह करने के लिए 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में न्यायालय ने पीड़िता के अधिकारों की रक्षा करते हुए यह सजा सुनाई है। यह फैसला समाज में सुरक्षा और न्याय का एक महत्वपूर्ण संकेत है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला तब सामने आया जब नाबालिग बच्ची ने अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी। परिजनों ने स्थानीय पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई, जिसे बहुत गंभीरता से लिया गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने अपनी गवाही दी, जिसने पूरे मामले की गंभीरता को उजागर किया।

न्याय की प्रक्रिया

मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने सभी गवाहों और सबूतों का मूल्यांकन किया। अभियोजन पक्ष ने दुष्कर्म के खिलाफ जाँच रिपोर्ट और विभिन्न सबूतों के माध्यम से आरोपी की दोषपूर्णता को साबित किया। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में कड़ा संदेश भेजना आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के अपराध को करने से पहले दो बार सोचे।

सामाजिक प्रभाव

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों को लेकर कितनी गंभीर है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा से संबंधित मामलों में संचलन के तहत कहा गया है कि ऐसे अपराधों से सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

निष्कर्ष

मिर्जापुर कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला समुदाय के लिए एक स्पष्ट सन्देश है। समाज को जागरूक करना और इस प्रकार के अपराधों के प्रति शून्य सहिष्णुता रखना ही हमारी जिम्मेदारी है। ऐसे मामलों में जल्दी न्याय महत्वपूर्ण है ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसे अपराधों की रोकथाम हो सके।

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