यूक्रेन में सीजफायर पर अमेरिका-रूस में सहमति नहीं बनी:सऊदी अरब में 12 घंटे चली बैठक; क्रेमलिन ने कहा- कुछ भी ठोस कह पाना मुश्किल
यूक्रेन में सीजफायर को लेकर सोमवार को अमेरिका और रूस के बीच बैठक हुई थी। इसे लेकर रूसी स्टेट मीडिया इंटरफैक्स ने जानकारी दी है कि सीजफायर के मुद्दे पर दोनों देश किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाए हैं। इंटरफैक्स ने रूसी फेडरेशन काउंसिल के डिफेंस और सिक्योरिटी कमेटी के डिप्टी चेयरमैन व्लादिमीर चिझोव के हवाले से बताया कि यूक्रेन की पोजिशन को देखते हुए कोई समझौता नहीं अपनाया गया। चिझोव ने कहा कि ये कमाल बात थी कि दोनों देशों की टीमें 12 घंटे बैठीं और ऐसा लगा कि वो जॉइंट स्टेटमेंट पर राजी हो गई हैं। लेकिन यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए उस स्टेटमेंट को नहीं अपनाया गया। क्रेमलिन प्रवक्ता बोले- सीजफायर को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनी क्रेमलिन प्रवक्ता डिमित्री पेस्कोव ने कहा कि सीजफायर को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। अभी कई दौर की बैठकें और होंगी। उन्होंने कहा कि रियाद में अमेरिकी अधिकारियों से हुई बैठक को जो भी नतीजा निकला उसे दोनों देशों के राष्ट्रपतियों तक पहुंचा दिया गया है। अब दोनों देश इस पर सोच-विचार करेंगे। क्रेमलिन इस मुलाकात की डिटेल सार्वजनिक नहीं करेगा। पेस्कोव ने कहा कि हम सिर्फ तकनीकी समझौतों की बात कर रहे हैं। फिलहाल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच डायरेक्ट बातचीत का कोई प्लान नहीं है। लेकिन अगर जरूरत पड़ती है, तो बातचीत तुरंत कराई जा सकती है। पेस्कोव ने कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधि जुड़े रहेंगे, लेकिन अभी कुछ भी ठोस कह पाना मुश्किल है। अभी रूस, यूक्रेन और अमेरिका के बीच तीन तरफा बैठक करने का कोई प्लान नहीं है। सोमवार को यूक्रेनी और अमेरिकी प्रतिनिधियों ने बैठक की थी सोमवार को रूसी प्रतिनिधियों से मुलाकात से पहले अमेरिकी अधिकारियों ने यूक्रेन के प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। दोनों अधिकारियों ने पावर प्लांट्स की सुरक्षा से जुड़े प्रस्तावों पर चर्चा की। अमेरिका यूक्रेन को पहले ही प्रस्ताव दे चुका है कि वह पावर प्लांट्स (ऊर्जा ठिकानों) की सुरक्षा के लिए उन्हें अमेरिका को सौंप दे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने टीवी पर दिए एक बयान में बताया कि बातचीत काफी उपयोगी रही। यूक्रेन के रक्षामंत्री रुसतेम उमेरोव के मुताबिक इस बातचीत का मकसद जल्द शांति और सुरक्षा को मजबूत करना है। वहीं जेलेंस्की ने अपने सहयोगी देशों, खासतौर से अमेरिका से पुतिन को हमले रोकने के लिए आदेश देने के लिए कहा। सैनिकों की अदला-बदली कर चुके हैं रूस-यूक्रेन पिछले 2 महीनों से सीजफायर को लेकर जारी बातचीत के दौरान रूस-यूक्रेन ने पिछले हफ्ते एक-दूसरे की कैद में मौजूद सैनिकों की अदला-बदली की। दोनों के बीच 175 कैदियों की अदला-बदली हुई। इसके अलावा रूस ने गंभीर रूप से घायल 22 यूक्रेनी सैनिकों को भी रिहा किया। सीजफायर पर रूस-यूक्रेन का रूख बदला 9 मार्च: सऊदी अरब में अमेरिका और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई। अमेरिका ने 30 दिन के सीजफायर का प्रस्ताव रखा। यूक्रेन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। पुतिन ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया, लेकिन आगे चर्चा की मांग की। 10 मार्च: पुतिन ने आशंका जताई कि यूक्रेन सीजफायर का इस्तेमाल जंग में अपने सैन्य सशक्तिकरण के लिए कर सकता है। 11 मार्च: रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ने सीजफायर के लिए 4 शर्तें रखीं। इसमें मांग की गई कि यूक्रेन नाटो में शामिल न हो और यूक्रेन की जमीन पर रूस के कब्जे को मान्यता मले। पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों ने सुझाव दिया कि पुतिन की शर्तें सीजफायर को टालने का रणनीति हो सकती है। 12 मार्च: यूक्रेन ने रूस की शर्तों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे उसकी संप्रुभता को खतरा होगा। 13 मार्च: पुतिन ने सीजफायर के प्रस्ताव के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का धन्यवाद दिया। पुतिन ने सीजफायर के प्रस्ताव पर सहमति भी जताई, लेकिन इसके साथ शर्तें भी रख दी। पुतिन ने कहा कि सीजफायर से लॉन्गटर्म यानी दीर्घकालिक शांति और जंग की वजह खत्म होनी चाहिए। इस दौरान अमेरिकी के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी रूस में मौजूद थे। उन्होंने रूस के अधिकारियों के साथ सीजफायर पर बात की। 14 मार्च: ट्रम्प ने बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन जंग रोकने को लेकर अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि ये जंग बहुत जल्दी खत्म हो जाएगी। यूक्रेन का 20% हिस्सा रूस के कंट्रोल में रूस बीते तीन साल में यूक्रेन का लगभग 20% हिस्सा हथिया चुका है। राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के चार पूर्वी प्रांत डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन को रूस में शामिल कर चुके हैं। जबकि रूस के कुर्स्क इलाके में दोनों सेनाओं में संघर्ष जारी है। ------------------------------- सीजफायर वार्ता से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.... जेलेंस्की से ट्रम्प बोले- पावर प्लांट का कंट्रोल हमें सौंपें:कहा- यह सुरक्षा के लिए जरूरी; रूस-यूक्रेन में सैनिकों की अदला-बदली यूक्रेन जंग पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से 1 घंटे बात की । अमेरिका विदेश मंत्री और NSA ने बयान जारी कर बताया कि व्हाइट हाउस ने यूक्रेन के पावर प्लांट्स की सुरक्षा के लिए उनका कंट्रोल अमेरिका को देने का सुझाव दिया। पूरी खबर यहां पढ़ें...

यूक्रेन में सीजफायर पर अमेरिका-रूस में सहमति नहीं बनी
News by indiatwoday.com
हाल ही में सऊदी अरब में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में, अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन में सीजफायर पर कोई सहमति नहीं बन सकी। बैठक लगभग 12 घंटे तक चली, जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की लेकिन ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने में असफल रहे।
बैठक का उद्देश्य
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने के उपायों पर चर्चा करना था। सऊदी अरब ने इस वार्ता के लिए एक तटस्थ स्थान प्रस्तुत किया, जिससे दोनों पक्ष खुलकर विचार-विमर्श कर सकें। हालाँकि, क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि "कुछ भी ठोस कह पाना मुश्किल है," जिससे यह स्पष्ट है कि वार्ता आगे बढ़ने में कठिनाइयाँ आ रही हैं।
संकट की बढ़ती जटिलताएँ
यूक्रेन में संघर्ष की स्थिति ने वैश्विक सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाला है, और अमेरिका तथा रूस के बीच की वार्ता में सहमति की कमी के कारण संकट की जटिलताएँ और बढ़ती जा रही हैं। इन वार्ताओं में शामिल विशेषज्ञों का मानना है कि दो बड़ी ताकतों के बीच सहमति न बन पाना एक गंभीर समस्या हो सकती है।
आगे का रास्ता
अमेरिका और रूस के बीच बातचीत जारी रखने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी संभव समाधान तक पहुँचने में मदद मिल सके। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इस संकट को हल करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
सऊदी अरब में हुई इस बैठक से यह स्पष्ट हो गया है कि यूक्रेन संकट एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसके समाधान के लिए बहुत से कारक काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच संवाद को जारी रखना महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में किसी ठोस समझौते पर पहुँचा जा सके।
अंत में, आशा की जानी चाहिए कि अमेरिका-रूस वार्ता से आगे चलकर कोई सकारात्मक परिणाम निकलेगा जो विश्व शांति को सुनिश्चित करेगा।
उपसंहार
इस बैठक के परिणामों ने यूक्रेन संकट में एक और अनिश्चितता जोड़ दी है। देखना यह होगा कि दोनों पक्ष आगे किस दिशा में बढ़ते हैं और क्या वे मिलकर कोई सहमति बनाने में सफल हो पाते हैं।
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