नोएडा चिल्ला एलिवेटड निर्माण से पहले स्वायल टेस्टिंग:आईआईटी से होगा डिजाइन अप्रूवल, 90 दिन का दिया समय , 800 करोड़ का प्रोजेक्ट

12 साल के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाली चिल्ला एलिवेटड रोड पर अप्रैल में काम शुरू हो सकता है। इससे पहले निर्माण कंपनी स्वायल टेस्टिंग (मृदा परिक्षण) कराएगी। जांच रिपोर्ट आने पर बदले गए डिजाइन पर अप्रूवल आईआईटी से लिया जाएगा। कंपनी किसी भी आईआईटी से इसका अप्रूवल ले सकती है। इन दोनों प्रक्रिया के लिए कंपनी को 90 दिन का समय दिया गया है। रिपोर्ट ओके पर निर्माण शुरू कराया जाएगा। 15 स्थानों पर 10 फीट से ली जाएगी मिट्‌टी प्राधिकरण सीईओ लोकेश एम ने बताया कि मिट्टी का परीक्षण उसकी गुणवत्ता, सहन क्षमता के लिए किया जाता है। इसके लिए निर्माण साइट पर करीब 10 से 15 स्थानों पर 10 फीट नीचे से मिट्‌टी का सैंपल लेकर परीक्षण लैब भेजा जाता है। यहां जियो लॉजिकल ही इसकी जांच करता है। इस जांच में विभिन्न प्रकार के केमिकल के जरिए मिट्‌टी की भौतिक जांच की जाती है। किसी भी बुनियादी ढांचे के निर्माण से पहले इसकी जांच ज़रुरी है। यही जांच तय करती है बुनियादी ढांचे की नींव कैसी होनी चाहिए। 90 दिन में पूरी करनी होगी जांच और बाकी रिपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले भी निर्माण शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच कराई गई थी। लेकिन अब निर्माण कार्य दूसरी कंपनी करेगी। क्लॉज के तहत अब कंपनी को दोबारा से मिट्‌टी का परीक्षण और नए डिजाइन को अप्रूव कराना होगा। जिसके बाद निर्माण शुरू हो सकता है। इस प्रक्रिया में क्लाज के तहत 90 दिनों का समय दिया जाता है। दिसंबर में कंपनी हुआ था काम अवार्ड बता दे निर्माण कंपनी उप्र ब्रिज कार्पोरेशन लिमिटेड ने 17 दिसंबर को ठेकेदार कंपनी एमजी कंस्ट्रक्शन को कार्य अवॉर्ड किया। 2019 में सीएम योगी आदित्यनाथ के शिलान्यास के बाद 79 करोड़ का काम हुआ था। इसे बीच में रोक दिया गया था। इससे एलिवेटड से रोजाना करीब 5 लाख वाहन चालक को फायदा होगा। ठेकेदार के पास निर्माण पूरा करने के लिए तीन साल का समय होगा।" दिल्ली और नोएडा के बीच यातायात भीड़ को कम करने के लिए 2012 में योजना की फिजिबिलिटी तैयार की गई थी। एलिवेटड 5.9 किमी लंबी बननी है। योजना के प्रारंभिक फेज में इसकी कुल लागत 605 करोड़ रुपए थी। 2019 में सीएम ने रखी थी आधारशिला 2018 में दिल्ली सरकार से मंजूरी मिली। जनवरी 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी आधारशिला रखी। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से बजट जारी करने में देरी, गेल गैस पाइपलाइन के पुन: मार्ग और डिजाइन में बदलाव के कारण काम रोक दिया गया। कोविड-19 महामारी ने देरी को और बढ़ा दिया, जिससे परियोजना मार्च 2020 में रुक गई। अब तक केवल 13% निर्माण कार्य पूरा हुआ है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा 79 करोड़ खर्च किए। ब्रिज कार्पोशन ने पेश किया था संशोधित बजट अक्टूबर 2023 में ब्रिज कार्पोशन ने बढ़ती सामग्री लागत और टेंडर कास्ट का हवाला देते हुए संशोधित बजट 940 करोड़ का पेश किया। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। लेकिन नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को टेंडर को अंतिम रूप देने से पहले कई बार पुनः अनुमोदन की आवश्यकता थी। जिसके बाद बजट में संशोधन किया गया और अब ये एलिवेटड कुल 892 करोड़ 75 लाख 34 हजार रुपए में बनाई जाएगी। कंपनी 7 प्रतिशत कम पर लिया टेंडर हासिल किया। एलिवेटड से रोजाना 5 लाख को फायदा ये एलिवेटड चिल्ला बार्डर से एक्सप्रेस-वे तक जाएगी। ऐसे में चिल्ला बार्डर से लिंक रोड होते हुए एक्सप्रेस वे आने वाले जाम समाप्त हो जाएगा। ये रोड चिल्ला से पीछे मयूर विहार फ्लाई ओवर से जुड़ेगी। जिससे एक एक्सप्रेस वे पर जाने के लिए एक नया लिंक बन जाएगा। इससे रोजाना करीब 5 लाख लोगों को फायदा होगा। एलिवेटड पर चढ़ने और उतरने के लिए होंगे 6 लूप एलिवेटेड रोड पर चढ़ने-उतरने के लिए छह जगह लूप बनाए जाएंगे। दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर की तरफ से आते समय सेक्टर-14-उद्योग मार्ग की ओर उतरने के लिए लूप बनेगा। इस लूप के दूसरी तरफ सेक्टर-15ए के पास से इस पर चढ़ने के लिए लूप बनाया जाएगा। डीएनडी की तरफ से आने वाले एमपी वन रास्ते पर सेक्टर-16 की तरफ उतरने व सेक्टर-16ए फिल्म सिटी की तरफ चढ़ने के लिए लूप बनेगा। अगला लूप फिल्म सिटी समाप्त होने पर उतरने के लिए बनाया जाएगा। यहां से सेक्टर-18 के सामने से होते हुए एमपी टू एलिवेटेड रोड की ओर जा सेकंगे। इसी तरह जीआईपी मॉल के थोड़ा आगे जाकर चढ़ने के लिए लूप बनेगा।

Jan 9, 2025 - 05:40
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नोएडा चिल्ला एलिवेटड निर्माण से पहले स्वायल टेस्टिंग:आईआईटी से होगा डिजाइन अप्रूवल, 90 दिन का दिया समय , 800 करोड़ का प्रोजेक्ट
12 साल के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाली चिल्ला एलिवेटड रोड पर अप्रैल में काम शुर

नोएडा चिल्ला एलिवेटड निर्माण से पहले स्वायल टेस्टिंग

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स्वायल टेस्टिंग की आवश्यकता

नोएडा चिल्ला एलिवेटड का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है, जिसमें स्वायल टेस्टिंग एक आवश्यक कदम है। यह परीक्षण भूमि के संरचनात्मक स्थायित्व का आकलन करने में मदद करेगा। परियोजना की सफलता के लिए यह कदम जरूरी है, ताकि कोई भी संभावित समस्याएं पहले से ही पहचानी जा सकें।

आईआईटी से डिजाइन अप्रूवल

स्वायल टेस्टिंग के परिणामों के आधार पर, परियोजना का डिजाइन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से अप्रूव कराया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि निर्माण का कार्य वैज्ञानिक और तकनीकी मानकों के अनुसार किया जाए। इस प्रक्रिया में करीब 90 दिन का समय दिया गया है, जिससे सभी पहलुओं का ध्यानपूर्वक परीक्षण किया जा सके।

परियोजना की लागत और महत्व

इस 800 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का उद्देश्य नोएडा में यातायात प्रवाह को सुगम बनाना है। यह निर्माण भविष्य में शहर को कनेक्टिविटी में सुधार और समय की बचत के लिए एक बड़ा योगदान देगा। इसके माध्यम से स्थानीय निवासियों को बेहतर परिवहन सुविधा मिल सकेगी और क्षेत्र के विकास को भी गति मिलेगी।

अंत में

नोएडा चिल्ला एलिवेटड परियोजना आने वाले समय में न केवल नोएडा बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी एक महत्वपूर्ण परिवहन गलियारा स्थापित करने की क्षमता रखती है। स्वायल टेस्टिंग और आईआईटी के डिजाइन अप्रूवल के बाद, इस परियोजना की गति को और भी तेज किया जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए

इस परियोजना से जुड़े अपडेट्स के लिए, कृपया indiatwoday.com पर विजिट करें।

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