पंचायत चुनाव पहले चरण का मतदान शुरू: मतदाता तय करेंगे 17,829 प्रत्याशियों का भविष्य, मैदान में चाचा-भतीजे, चाचा-ताऊ और भाई-भाई
देहरादून : उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन के पहले चरण की वोटिंग आज सुबह से शुरू हो गई। प्रदेश के सभी जनपदों—सिर्फ हरिद्वार को छोड़कर—में यह चुनावी रण सज चुका है। खास बात यह है कि इस बार कई गांवों में पारिवारिक भिड़ंत भी चुनावी रंग में रंगी है: कहीं चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं, तो …

पंचायत चुनाव पहले चरण का मतदान शुरू: मतदाता तय करेंगे 17,829 प्रत्याशियों का भविष्य, मैदान में चाचा-भतीजे, चाचा-ताऊ और भाई-भाई
देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन के पहले चरण की वोटिंग आज सुबह से शुरू हो गई। प्रदेश के सभी जनपदों—सिर्फ हरिद्वार को छोड़कर—में यह चुनावी रण सज चुका है। खास बात यह है कि इस बार कई गांवों में पारिवारिक भिड़ंत भी चुनावी रंग में रंगी है: कहीं चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं, तो कहीं भाई-भाई वोट की चौपड़ पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
चुनाव का स्वरूप और महत्त्व
इस बार के पंचायत चुनावों में कुल 17,829 प्रत्याशी मैदान में हैं। इन प्रत्याशियों में से प्रत्येक उम्मीदवार विभिन्न पदों के लिए अपना भाग्य आजमा रहा है। महत्वपूर्ण पदों में ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, और जिला पंचायत सदस्य शामिल हैं। प्रदेश के चुनावी माहौल को देखते हुए सरकारी सुरक्षा व्यवस्था सशक्त की गई है, ताकि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके।
पदवार प्रत्याशी विवरण (हरिद्वार को छोड़कर)
- ग्राम पंचायत सदस्य: 948 पदों पर 2247 प्रत्याशी मैदान में।
- ग्राम प्रधान: 3393 पदों पर 9731 प्रत्याशी दमखम दिखा रहे हैं।
- क्षेत्र पंचायत सदस्य: 1507 पदों पर 4980 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
- जिला पंचायत सदस्य के लिए 871 प्रत्याशी चुनावी समर में डटे।
मतदाताओं का प्रमुख भूमिका
पहले चरण के चुनाव में यह महत्वपूर्ण है कि लगभग 26 लाख मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार का चयन करेंगे। पंचायत चुनावों का यह चरण ग्रामीण राजनीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह चुनाव न केवल स्थानीय प्रशासन में बदलाव लाएंगे, बल्कि ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आधारभूत संरचना के मुद्दों पर भी सीधा प्रभाव डालेंगे।
चुनाव से पहले की तैयारी और सुरक्षा
चुनाव की स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। अवैध सामग्रियों की जब्ती के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि प्रशासन पूरी तरीके से सतर्क है। हाल ही में जब्त की गई सामग्री में अवैध शराब, ड्रग्स, और नकदी शामिल हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित रखने के लिए सरकार गंभीर है।
- अवैध शराब जब्त: 28,546.905 लीटर (अनुमानित कीमत ₹1,77,19,512)
- ड्रग्स जब्त: 38.4167 किलोग्राम (अनुमानित कीमत ₹13,69,46,209)
- कीमती धातु: 0.3915 किलोग्राम (अनुमानित कीमत ₹25,10,000)
- नकदी जब्ती: अब तक कुल ₹6,92,100
- कुल जब्ती का मूल्य: ₹15,79,46,756
निष्कर्ष
इन चुनावों की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता। चाचा-भतीजे, चाचा-ताऊ और भाई-भाई के बीच की प्रतिस्पर्धा न केवल ग्रामीण राजनीति को और भी दिलचस्प बना रही है, बल्कि यह सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को भी एक नई दिशा दे रही है। मतदाता अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट देकर गांव के भविष्य को बनाएंगे। आगे के चरणों में भी इसी तरह की प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।
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