पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष समेत 7 लोगों को कैद:कोर्ट के आदेश की अवहेलना का दोषी पाया, नाले का दूषित पानी खेतों में छोड़ने का मामला
हाथरस में न्यायालय ने एक फैसला सुनाया है। नगर पंचायत हसायन की पूर्व अध्यक्ष वेदवती माहौर समेत सात लोगों को कोर्ट की अवमानना के मामले में तीन माह की सजा दी गई है। मामला नाले के दूषित पानी को खेतों में छोड़ने से जुड़ा है। पिछले सात वर्षों से नगर पंचायत हसायन की ओर से खेतों में दूषित जल बहाया जा रहा था। इससे क्षेत्र के किसानों की फसलें बर्बाद हो रही थीं। प्रभावित किसानों में सेवानिवृत्त पोस्टमास्टर वीरपाल सिंह भी शामिल थे। वीरपाल सिंह ने इस मामले में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) सिकंद्राराऊ की अदालत में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 5 दिसंबर 2020 को अस्थायी निषेधाज्ञा जारी कर दी थी। लेकिन इस आदेश का उल्लंघन किया गया। दोषी पाए गए लोगों में पूर्व चेयरमैन वेदवती माहौर, उनके प्रतिनिधि पति चंद्रप्रकाश माहौर, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी सत्यपाल सिंह, लेखा लिपिक रामनिवास, वरिष्ठ लिपिक बाबूराम, सफाई कर्मचारी जयप्रकाश बघेल और रोहताश माहौर शामिल हैं। नाले के पानी को कराएं बंद न्यायालय ने उप जिलाधिकारी सिकंदराराऊ से कहा है कि एक माह के भीतर विवादित भूमि में बह रहे नाले के पानी को बंद कराएं।

पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष समेत 7 लोगों को कैद: कोर्ट के आदेश की अवहेलना का दोषी पाया
News by indiatwoday.com
संदर्भ
हाल ही में, एक महत्वपूर्ण मामले में पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष और उनके साथ 6 अन्य लोगों को कैद की सजा सुनाई गई है। मामला कोर्ट के आदेश की अवहेलना से संबंधित है, जिसमें नाले का दूषित पानी खेतों में छोड़ने के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हुई थीं। यह मामला नागरिक सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर मुद्दा उत्पन्न करता है।
मामले की पृष्ठभूमि
इस प्रकरण में, नगर पंचायत अध्यक्ष और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों पर आरोप था कि उन्होंने नाले के दूषित पानी को खेतों में छोड़कर न केवल प्राकृतिक संसाधनों का अपमान किया, बल्कि स्थानीय कृषि को भी नुकसान पहुंचाया। ये आरोप एक नागरिक शिकायत के बाद उठाए गए थे, जिसने इस संबंध में जांच की मांग की थी।
कोर्ट की सुनवाई
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मामलों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सभी दोषियों को अवहेलना का दोषी पाया। इस फैसले के दौरान अदालत ने कहा कि ऐसे कृत्यों से न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि यह समाज के प्रति एक गलत संदेश भी देता है।
पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य पर प्रभाव
दूषित पानी के खेतों में छोड़े जाने से स्थानीय पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता कम होती है और कृषि उपज प्रभावित होती है। इसके अलावा, पानी में जहरीले तत्वों के मौजूद रहने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी खतरा उत्पन्न होता है। स्थानीय प्रशासन को ऐसे मुद्दों का गंभीरता से ध्यान रखना चाहिए।
निष्कर्ष
पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष और अन्य दोषियों को सजा सुनाने का यह फैसला स्पष्ट करता है कि कानून सभी के लिए समान है। यह मामला भविष्य में अन्य अधिकारियों के लिए एक नजीर बन सकता है कि वे अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लें और कानून का पालन करें।
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