प्रधान प्रत्याशी का स्टांप पेपर पर लिख कर ग्रामीणों से वादा, काम नहीं किए तो प्रधानी से हटा देना
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प्रधान प्रत्याशी का स्टांप पेपर पर लिख कर ग्रामीणों से वादा, काम नहीं किए तो प्रधानी से हटा देना
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By Priya Singh, Neha Sharma & Rina Kapoor - Team IndiaTwoday
उत्तराखंड की पंचायत चुनावों में अनोखा वादा
रैबार डेस्क: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की गहमागहमी चरम पर है। सभी प्रत्याशी अपने दावों के साथ वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे कर रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच एक दिलचस्प वाकया सामने आया है। रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लॉक की स्यूर ग्राम पंचायत में एक महिला प्रधान प्रत्याशी ने स्टांप पेपर पर लिखकर ग्रामीणों को यह वादा किया है कि यदि वह अपने कार्यों में विफल रही तो ग्रामीण उन्हें तुरंत प्रधानी से हटा सकते हैं।
महिला प्रत्याशी का साहसिक कदम
महिला प्रत्याशी माहेश्वरी नेगी ने अपने वादों को अनुबंध के रूप में रखने का साहसिक कदम उठाया है। माहेश्वरी ने स्पष्ट रूप से कहा है, "मैंने स्टांप पेपर पर लिखवा लिया है कि मैं हमेशा ग्रामीणों के बीच रहूंगी और उनके काम करवाऊंगी।" उन्होंने मां चंडिका की कसम खाकर यह भी कहा कि यदि वे उनसे दूर रही या ग्रामीणों के कार्यों को नहीं करवा पाईं, तो ग्रामीण उन्हें कभी भी पद से हटा सकते हैं। यह एक अनूठा तरीका है जिससे प्रत्याशी ने अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया है।
समुदाय के प्रति जिम्मेदारी का अहसास
इस अनोखे वादे के पीछे की भावना यह है कि प्रत्याशी जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझती हैं। माहेश्वरी का यह कदम समाज में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है। उन्होंने ग्रामीणों से यह भी कहा कि उनका यह शपथ पत्र हर ग्रामीण के फोन में उपलब्ध है, जिससे सभी लोग उनकी प्रतिबद्धताएं आसानी से देख सकें।
चुनावों में इस पहल का प्रभाव
जबकि कई प्रत्याशी केवल दावों और वादों पर निर्भर करते हैं, माहेश्वरी का यह कदम निश्चित रूप से उन्हें एक अलग पहचान दिलाएगा। इस प्रकार का अनुबंध, जिसे ग्रामीण आसानी से देख और समझ सकते हैं, चुनावों में उसका माहौल बनाने में मदद कर सकता है। इसके माध्यम से ग्रामीणों को यह बात समझ में आती है कि वे अपने वोट की शक्ति का सही इस्तेमाल कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस अनोखे वादे के माध्यम से माहेश्वरी नेगी ने यह साबित किया है कि अच्छे नेतृत्व का मूल तत्व है जनता के प्रति वफादारी और जिम्मेदारी। इस तरह के वादे अन्य प्रत्याशियों के लिए भी एक उदाहरण बन सकते हैं, जो चुनावी प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने में मदद करेंगे। आने वाले चुनावों में यह देखने की बात होगी कि क्या अन्य प्रत्याशी भी इस प्रकार की पहल करेंगे और अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।
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