प्रयागराज महाकुंभ में धूनी रमाए साधु संतों का अलग संसार:मध्य प्रदेश-राजस्थान-गुजरात-उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और जम्मू से बड़ी संख्या में साधु संत पहुंचे
महाकुंभ 2025 में आस्था का सागर उमड़ रहा है। हर राज्य से करोड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इनके अलावा साधु संत भी बड़ी तादात में आए हैं। गंगा किनारे धूनी रमाए हुए हैं। इन साधु संतों का बड़ा अनोखा संसार बसा है। कोई बाबा रबड़ी खिला रहे हैं, तो कोई श्रद्धालुओं को सैर करा रहे हैं। बंगाली बाबा और बड़े बाबा की बड़ी बड़ी बातें हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और जम्मू से बड़ी संख्या में साधु संत पहुंचे हैं। महाकुंभ क्षेत्र में जुटे संतों की जुबान पर जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले गुंजायमान है। मध्य प्रदेश से आए स्वामी तन्मयनंद पुरी बाबा बताते हैं कि 144 वर्ष बाद यह शुभ घड़ी आई है। संगम के किनारे रेत पर सुबह शाम साधु संत राम नाम का भजन कर पा रहे हैं। मेले में पहुंचे गाड़ी वाले बाबा ने बीमार, असक्त होने या अन्य किसी प्रकार से महाकुंभ आने में असमर्थ लोगों को गंगा स्नान का संपूर्ण लाभ लेने का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग महाकुंभ आने में किसी कारण से असमर्थ हैं, वह घर में ही गंगाजल लेकर बाल्टी में डालकर पवित्र स्नान करें। इससे गंगा स्नान का पूरा लाभ प्राप्त होगा। 2019 के कुम्भ मेला से भक्तों को रबड़ी बांट रहे बाबा एक अद्भुत प्रसाद बांटने वाले बाबा भी हैं, जो रोज 120 किलो रबड़ी का प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित करते हैं। यह रबड़ी बाबा का सेवा कार्य 2019 के कुम्भ मेला से शुरू हुआ था और अब यह निरंतर चलता आ रहा है। रबड़ी बाबा के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

प्रयागराज महाकुंभ में साधु संतों का अद्भुत संसार
प्रयागराज महाकुंभ के इस बार का आयोजन एक बार फिर से साधु संतों की उपस्थिति से भरा हुआ है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और जम्मू जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में साधु संत यहाँ पहुंचे हैं। यह एक ऐसा अवसर है जब साधु संत अपने धूनी लगाकर एक अलग संसार बसा रहे हैं, जिसमें धार्मिकता और अध्यात्म का छाप स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
साधु संतों का अद्वितीय आयोजन
महाकुंभ में साधु संतों का जमावड़ा न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। इन संतों के बीच विशिष्ट विचारों और परंपराओं का आदान-प्रदान हो रहा है। साधु संत अपने अलग-अलग रीति-रिवाजों, आचार-विचार और जीवनशैली के माध्यम से भक्तों को प्रेरित कर रहे हैं। ऐतिहासिक प्रयागराज में इस समय जो दृश्य देखने को मिल रहा है, वह अनूठा और अविस्मरणीय है।
राज्यों से आई साधु संतों की टोली
इस बार महाकुंभ में शामिल होने वाले साधु संतों की टोली विभिन्न राज्यों से आई है, जो अपने-अपने राज्य की विभिन्न अध्यात्मिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व कर रही है। इन संतों का ज्ञान और अनुभव सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। साधु संत अंतिम समय में ध्यान और साधना कर रहे हैं, जिससे उन्हें और अधिक आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त हो सके।
भक्ति और ध्यान का महत्व
प्रयागराज महाकुंभ में साधु संत भक्ति और ध्यान का महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं। भक्त जन साधु संतों की शरण में आकर अपनी समस्याओं का निवारण और आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। आशा है कि इस महाकुंभ के माध्यम से लोग आध्यात्मिकता के पथ पर अग्रसर होंगे और धार्मिक सद्भावना का विकास होगा।
इस महाकुंभ के प्रतीक स्वरूप साधु संतों के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनके समर्पण और भक्ति से भरपूर जीवन ने समाज में एक नई रोशनी फैलाई है।
बड़ी संख्या में साधु संतों की उपस्थिति ने महाकुंभ को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। उनकी उपस्थिति ने धार्मिकता और आस्था के माहौल को और अधिक गहरा किया है। आइए हम सभी इस अद्भुत अवसर का लाभ उठाते हैं और साधु संतों के योगदान को मानते हुए अपने जीवन में अध्यात्म को अपनाते हैं।
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