फाइनेंस कम्पनी को चूना लगा नौ लाख का गबन:कानपुर में फाइनेंस कम्पनी के कर्मचारियों ने फर्जी प्रपत्रों पर बांट दिया बिजनेस लोन, एक दर्जन के खिलाफ एफआईआर दर्ज
कानपुर में स्थित एक निजी फाइनेंस कम्पनी से लोगों ने फर्जी प्रपत्रों के आधार पर लाखों रुपये का लोन ले लिया। कम्पनी के क्रेडिट मैनेजर के सामने जब खुलासा हुआ तो उसने पता कराया। जिसके बाद हरबंशमोहाल थाने में क्रेडिट मैनेजर ने तहरीर देकर कम्पनी के कर्मियों समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस के मुताबिक आरोपियों के प्रपत्रों की जांच के साथ आगे की कार्रवाई की जाएगी। हरबंशमोहाल में सत्या माइक्रो कैपिटल लिमिटेड कम्पनी का ऑफिस है। यहां पर प्रसून गोयल कलस्टर क्रेडिट मैनेजर के पद पर कार्यरत है। प्रसून के मुताबिक कम्पनी का हेडक्वाटर ओखला फेस वन नई दिल्ली में है। कम्पनी भारतीय रिजर्व बैंक से पंजीकृत है और स्वरोजगार के लिए कम्पनी लोन वितरित करती है। प्रसून ने बताया कि कानपुर में भी कम्पनी से कुछ लोगों ने स्वरोजगार के लिए लोन लिया था। जिसमें फर्जी प्रपत्रों का इस्तेमाल किया गया। लोन की रकम लेने के बाद इन लोगों ने उसकी किश्तें भी नहीं चुकाई और भूमिगत हो गए। इन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों पर लिया लोन - मिर्जापुर खडंजा कल्याणपुर निवासी डैनी राय ने 14 अक्तूबर 2023 को ढाई लाख रुपए का लोन लिया। इसके लिए उसने फर्जी हाउस टैक्स की रसीद लगाई। जिसे वैरीफाई करने में कम्पनी के कर्मचारी ऋषभ शुक्ला और रीजनल मैनेजर मोहम्मद अदनान ने उसकी मदद की। डैनी के ऊपर 2.11 लाख रुपए बकाया है। - आनंद नगर शुक्लागंज उन्नाव निवासी मनोज मिश्रा ने 21 नवम्बर 2023 को ढाई लाख रुपए का बिजनेस लोन लिया। इसके लिए उसने अपने आवास का फर्जी बिजली का बिल प्रस्तुत किया। इसे वैरीफाई करने के लिए कम्पनी के कर्मचारी अनिकेत तिवारी और आरएम अर्पित पाण्डेय ने उसकी मदद की। जब मामले में जांच हुई तो पता चला कि मनोज मिश्रा उक्त पते पर किराए पर रहता था। उसने मई 2024 से ईएमआई नहीं दी। उसपर 2.28 लाख रुपए बकाया है। - सेन पश्चिम पारा निवासी मुलायम सिंह यादव ने 8 फरवरी 2024 को दो लाख रुपए लोन लिया था। इसके लिए उसने नगर निगम की फर्जी हाउस टैक्स रसीद दाखिल की थी इसके अलावा फर्जी सेल डीड कम्पनी में दाखिल की। इसे वैरीफाई करने में कम्पनी के कर्मचारी मान सिंह और आरएम अर्पित पाण्डेय ने उसकी मदद की। मुलायम सिंह पर 1.78 लाख रुपए का बकाया है। - प्रेम नगर शुक्लागंज निवासी अमित दीक्षित ने 22 मार्च 2024 को दो लाख रुपए का लोन लिया था। इसके लिए इसने कम्पनी में फर्जी हाउस टैक्स की रसीद लगाई थी। जिसे वैरीफाई करने में कम्पनी के कर्माचारी मान सिंह ने की थी। आरोपी अब फरार है। - सराय लाठी मोहाल निवासी बादल कपूर ने तीन लाख रुपए का लोन लिया था। जिसमें कम्पनी के कर्मचारी अमित सिंह ने 45000 रुपए की रिश्वत ली। बादल कपूर ने इसकी शिकायत कम्पनी की ब्रांच ऑफिस में की थी। इसी तरह अमित ने रोहित राजपूत के दो लाख के लोन में 8500 रुपए रिश्वत ली। अमित से पूछताछ करने पर उसने गाली गलौज की। इसके साथ ही वो ग्राहकों को लोन अदा न करने के लिए बरगलाता भी है। - सिरकी मोहाल निवासी प्रशांत जायसवाल ने 10 नवम्बर 2023 को नगर निगम कानपुर नगर की फर्जी रसीद लगाकर 1.20 लाख का बिजनेस लोन प्राप्त किया। इस फर्जी दस्तावेज को वैरीफाई करने में उसकी मदद कम्पनी कर्मचारी ऋषभ शुक्ला और आरएम मोहम्मद अदनान ने की। आरोपी का 1.01 लाख रुपए बकाया है। क्रेडिट मैनेजर के मुताबिक इस पूरे प्रकरण में मैनेजर ओम शुक्ला की भूमिका सबसे ज्यादा लापरवाह रही। यह उनकी जिम्मेदारी थी कि ब्रांच का कार्य सही ढंग से नियमानुसार सम्पादित कराते। लेकिन उपरोक्त मामलो में ओम शुक्ला की मिलीभगत होने के कारण उन्होनें ध्यान नहीं दिया। इनके खिलाफ दर्ज हुई रिपोर्ट डैनी राय, ऋषभ शुक्ला, मोहम्मद अदनान, मनोज मिश्रा, अनिकेत तिवारी, अर्पित पाण्डेय, मुलायम सिंह यादव, मान सिंह, अमित दीक्षित, अमित सिंह सिकरवार, प्रशांत जायसवाल और ओम शुक्ला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इंस्पेक्टर हरबंशमोहाल विक्रम सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ अमानत में खयानत, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करना आदि धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। दस्तावेजों के सत्यापन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

फाइनेंस कम्पनी को चूना लगा नौ लाख का गबन
कानपुर में घोटाला
कानपुर में एक फाइनेंस कम्पनी के कर्मचारी द्वारा नौ लाख रुपये का गबन होने की सूचना आई है। सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों ने फर्जी प्रपत्रों का उपयोग करते हुए व्यवसायिक ऋण बांट दिए। यह मामला तब सामने आया जब कम्पनी की ऑडिट रिपोर्ट में विसंगतियाँ पाई गईं। इस घोटाले में एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई है।
घोटाले का तरीका
कर्मचारियों ने जानबूझकर गलत दस्तावेज तैयार किए और विभिन्न व्यवसायों को बिना किसी उचित जांच-पड़ताल के ऋण आवंटित किया। इन दस्तावेजों को पेश करके, उन्होंने फाइनेंस कम्पनी को आर्थिक नुकसान पहुँचाया है। इस गबन की जानकारी होने पर कम्पनी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
कार्रवाई और भविष्य के कदम
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच टीम ने गबन में शामिल सभी कर्मचारियों से पूछताछ की है और कम्पनी की सभी वित्तीय गतिविधियों की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। इस प्रकार के मामलों में उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कम्पनी ने अपनी आंतरिक जांच प्रणाली को भी मजबूत करने का निर्णय लिया है।
फाइनेंस कम्पनी ने इसे एक गंभीर मामला मानते हुए न्यायालय में उचित कार्रवाई के लिए भी याचिका दायर करने का विचार किया है। इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय संस्थानों में आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
इस पूरे मामले की जाँच जारी है, और यह भविष्य में अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए एक चेतावनी का विषय बन सकता है। कानपुर में फाइनेंस कम्पनी के इस गबन से सबक लेते हुए कम्पनी को अपनी प्रक्रियाएँ सुधारने की आवश्यकता है।
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