बदायूं में दरगाह के सज्जादानशीन के भाई का इंतकाल:70 साल थी हाजी मुंतखब अहमद नूर की उम्र, आज होंगे सुपुर्द-ए-खाक

बरेली के एक निजी अस्पताल में शुक्रवार सुबह दरगाह शाह शराफत अली मियां के सज्जादानशीन शाह सकलैन मियां के भाई हाजी मुंतखब अहमद नूर सकलैनी का निधन हो गया। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे और उपचार के दौरान उनका देहांत हो गया। 70 वर्षीय नूर सकलैनी अदबी दुनिया में 'नूर ककरालवी' के नाम से प्रसिद्ध थे। बदायूं के कस्बा ककराला की जानी-मानी शख्सियत के निधन की खबर फैलते ही क्षेत्र का अदबी समाज शोक में डूब गया। उनके मुरीदों ने दरगाह पर फोन कर दुख व्यक्त किया, जबकि आसपास के श्रद्धालुओं ने बरेली दरगाह जाकर उनका अंतिम दर्शन किया। दरगाह के मीडिया प्रभारी हमजा सकलैनी ने बताया कि मरहूम की अदबी खिदमात और शायरी के लिए बड़ी संख्या में मुरीद थे। देर शाम उनका पार्थिव शरीर ककराला लाया गया, जहां उनके पैतृक आवास पर बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे। शनिवार, 8 फरवरी को सुबह 11 बजे ककराला में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

Feb 7, 2025 - 22:59
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बदायूं में दरगाह के सज्जादानशीन के भाई का इंतकाल:70 साल थी हाजी मुंतखब अहमद नूर की उम्र, आज होंगे सुपुर्द-ए-खाक
बरेली के एक निजी अस्पताल में शुक्रवार सुबह दरगाह शाह शराफत अली मियां के सज्जादानशीन शाह सकलैन मि

बदायूं में दरगाह के सज्जादानशीन के भाई का इंतकाल

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हाजी मुंतखब अहमद नूर का निधन

बदायूं में दरगाह के सज्जादानशीन के भाई हाजी मुंतखब अहमद नूर का इंतकाल हो गया, जिनकी उम्र 70 वर्ष थी। उनके निधन से मातम का माहौल है। हाजी मुंतखब अहमद नूर ने अपने जीवन में अनेक धार्मिक और सामाजिक कार्य किए, जिन्हें कभी भी नहीं भुलाया जा सकेगा। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

अंतिम संस्कार की तैयारियाँ

आज हाजी मुंतखब अहमद नूर को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। उनके अंतिम संस्कार में क्षेत्र के लोग और धार्मिक संस्थाएं हिस्सा लेंगी। उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कई लोग दरगाह पहुंच चुके हैं। इस मौके पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

समाज में उनके योगदान

हाजी मुंतखब अहमद नूर ने अपने जीवन में समाज के उत्थान और धार्मिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अनेक युवा पीढ़ियों को शिक्षित किया और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान किया। उनका निधन न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

स्वर्गीय हाजी मुंतखब अहमद नूर की यादें हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। उनकी जिंदगी अन्य लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बनेगी।

अंत में

इस प्रकार, बदायूं के इस महान विचारक और साधक के निधन से समाज में एक कमी आई है। उनके परिवार और प्रशंसकों को हमारी सांत्वना और समर्थन पहुंचाएं। यहां यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि हमारे धार्मिक नेता और स्थान हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं।

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