बदायूं में मासूम से दुष्कर्म और हत्या का दोषी दंडित:12 गवाह और 23 सबूतों के आधार पर जैना को मिली फांसी की सजा

बदायूं में सात साल की मासूम बच्ची से रेप के बाद उसकी सिर कूचकर हत्या करने व लाश छिपाने के दोषी जाने आलम उर्फ जैना को अपर सत्र न्यायाधीश व स्पेशल न्यायाधीश पॉस्को दीपक यादव ने फांसी की सजा सुनाई है। उस पर 2.30 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इस पूरे मामले को 12 गवाह व 23 सबूतों ने अंजाम तक पहुंचाया। अहम बात यह भी रही कि इलेक्ट्रानिक साक्ष्य पूरे केस में सबसे ज्यादा मददगार साबित हुए। क्योंकि इन्हें नकारने का कोई विकल्प दोषी के पास नहीं था। दरअसल, इस केस का ट्रायल कोर्ट में तकरीबन तीन महीने चला। इसमें विशेष लोक अभियोजक अमोल जौहरी, प्रदीप भारती व वीरेंद्र सिंह वर्मा ने दोषी के खिलाफ जमकर पैरवी की। दोषी ने अपने बचाव में कई साक्ष्यों को नकारा भी लेकिन पुलिस की केस डायरी समेत साक्ष्यों का संकलन ऐसा था कि चाहकर भी उन्हें प्रभावित नहीं कर सका। इस पर भी सीसीटीवी फुटेज व फोरेंसिक जांच रिपोर्ट जैसे इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों ने इस केस को और मजबूती दी। अंततः पीड़ित पक्ष को पांच महीने में न्याय मिल गया। ये पेश किए गए सबूत कोर्ट में दोषी जाने आलम के खिलाफ वादी द्वारा पुलिस को दी गई हाथ से लिखी तहरीर, सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस द्वारा दी गई एफआईआर, जिस स्कूल में बच्ची पढ़ती थी वहां के प्रधानाध्यापक दिया गया एसआर रजिस्ट्रर, प्रवेश फार्म समेत टीसी कोर्ट में पेश की गई। पुलिस की ओर से नक्शा नजरी, पंचायतनामा, वो ईंट जिससे बच्ची का सिर कुचला गया, मिट्टी में लगे खून का सैंपल, उसी स्थान की बिना खून की मिट्टी का सैंपल, चार्जशीट, डीएनए रिपोर्ट, फोरेंसिक लैब रिपोर्ट समेत अन्य लोगों के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी कोर्ट में पेश की गई। सीसीटीवी फुटेज में दोषी बच्ची को ले जाता दिखा था। इन्होंने दी गवाही इस केस में मुकदमे के वादी यानी बच्ची के पिता ने गवाही दी। उनके अलावा पोस्टमार्टम करने वाली डॊ. पारुल सिंह, एफआईआर व जीडी पेश करने वाले हेड कांस्टेबल संदीप कुमार, स्कूल का एसआर रजिस्ट्रर देने वाले प्रधानाध्यापक हरीश यादव, सीसीटीवी फुटेज देने वाले निश्चल मालपाणी, सुबोध वार्ष्णेय, विवेचना अधिकारी एसएचओ बिल्सी आरएस पुंडीर के अलावा परवेज, तौफीक व विकास आर्य की ने दोषी के खिलाफ गवाही दी। यूट्यूबर पर लिखा जाएगा केस कोर्ट ने बिल्सी के मोहल्ला संख्या दो निवासी यूट्यूबर शिवा पाराशर पुत्र गोपाल पाराशर के खिलाफ केस दर्ज करने का भी आदेश दिया है। क्योंकि उसने अपने यूट्यूब चैनल पर बच्ची के पिता समेत दो लोगों का इंटरव्यू चलाया था। इससे पीड़िता की पहचान उजागर हुई थी।

Mar 20, 2025 - 08:59
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बदायूं में मासूम से दुष्कर्म और हत्या का दोषी दंडित:12 गवाह और 23 सबूतों के आधार पर जैना को मिली फांसी की सजा
बदायूं में सात साल की मासूम बच्ची से रेप के बाद उसकी सिर कूचकर हत्या करने व लाश छिपाने के दोषी जाने

बदायूं में मासूम से दुष्कर्म और हत्या का दोषी दंडित:12 गवाह और 23 सबूतों के आधार पर जैना को मिली फांसी की सजा

बदायूं, एक ऐसा शहर जो पिछले कुछ समय से अपनी खौफनाक घटनाओं के लिए चर्चा में रहा है, अब एक बार फिर से सुर्खियों में है। हाल ही में यहाँ एक मासूम बच्चे के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में जैना नामक आरोपी को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। यह मामला केवल एक अपराध नहीं है, बल्कि समाज में जारी उन समस्याओं की ओर इशारा करता है जो बच्चों की सुरक्षा को प्रभावित करती हैं।

मामले का विवरण

इस दिल दहला देने वाली घटना में, पहले 12 गवाहों और 23 सबूतों के आधार पर अदालत ने निर्णायक कार्रवाई की। जांच में शामिल विभिन्न तत्वों ने यह साबित कर दिया कि जैना की इस कुकृत्य में क्या भूमिका थी। बचपन से लेकर अब तक, हमें हमेशा यह बताया गया है कि बच्चों का जीवन सुरक्षित होना चाहिए, लेकिन इस मामले ने साबित कर दिया कि हमें अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।

आपातकालीन ऐक्शन और अदालती निर्णय

बदायूं में इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को प्रभावित किया बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस अदालती निर्णय को देखकर लोगों को उम्मीद है कि ऐसा कदम अन्य मामलों में भी उठेंगे। यह सजा एक संदेश के रूप में कार्य करती है कि ऐसे कृत्यों को सहन नहीं किया जाएगा और न्याय मिलना संभव है।

समाज का जवाब

इस प्रकार के अपराधों के प्रति समाज को जागरूक होना आवश्यक है। अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और उन्हें सुरक्षित रखने के उपायों को समझना चाहिए। साथ ही, सार्वजनिक स्थानों पर भी सुरक्षा प्रबंधों का ध्यान रखा जाना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा हमारे सभी की जिम्मेदारी है।

यह घटना, और इसके बाद की अदालती कार्रवाई, हमें यह सिखाती है कि हमें एकजुट होकर ऐसे अपराधों के खिलाफ खड़ा होना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को अपने दायित्वों को समझना होगा और मदद के लिए आगे आना होगा।

जैसा कि हम न्याय की इस प्रक्रिया को देखते हैं, यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर एक सुरक्षित और सुरक्षित समाज का निर्माण करें, जहां बच्चे बिना डर के जीवन जी सकें।

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