बिलासपुर में मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग और लंगर:नैना देवी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, हजारों भक्तों ने लिया आशीर्वाद
बिलासपुर के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी जी मंदिर में मकर संक्रांति और लोहड़ी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर प्राचीन परंपराओं का निर्वहन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर माता श्री नैना देवी जी को विशेष रूप से खिचड़ी का भोग लगाया गया। मंदिर के सदाव्रत लंगर में श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी का भंडारा आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। लोहड़ी के पर्व पर पारंपरिक रूप से अंगीठा जलाकर पूजन का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मंदिर के मुख्य पुजारी तरुणेश शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति पर प्राचीन परंपराओं का पूरी श्रद्धा के साथ पालन किया जा रहा है। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया। पटियाला से आए श्रद्धालु विकास गुप्ता ने कहा कि यहां का वातावरण मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। मंदिर न्यास द्वारा आयोजित इस विशेष पूजा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भक्तों ने न केवल दर्शन किए बल्कि अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना भी की। इस पावन अवसर पर मंदिर परिसर भक्तिमय माहौल से सराबोर रहा।

बिलासपुर में मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग और लंगर
नैना देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब
बिलासपुर, मकर संक्रांति का पर्व क्षेत्र में विशेष आनंद और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर नैना देवी मंदिर में हजारों भक्तों ने खिचड़ी का भोग और लंगर का आनंद लिया। श्रद्धालुओं का यह विशाल सैलाब मंदिर परिसर में उमड़ पड़ा, जिसने धार्मिक उत्सव का माहौल बना दिया।
खिचड़ी का भोग: धार्मिक मान्यता
खिचड़ी का भोग मां नैना देवी को अर्पित किया गया, जिसे भक्तों ने श्रद्धा भाव से ग्रहण किया। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का महत्व अधिक होता है, और इसे सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन खिचड़ी का विशेष रूप से सेवन किया जाता है।
लंगर: सेवा का प्रतीक
मंदिर में लंगर का आयोजन भी बड़े धूमधाम से किया गया, जिसमें जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन दिया गया। यह सेवा भाव न केवल धर्म का निर्वाह करता है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य भी करता है। श्रद्धालुओं ने इस लंगर में बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपने मन में सेवा का भाव रखा।
आशीर्वाद की प्राप्ति
भक्तों ने लाखों की संख्या में मां नैना देवी से blessings की कामना की। हर एक श्रद्धालु ने अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की, जो इस पर्व के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। भक्तों के चेहरे पर संतोष और आस्था की झलक साफ देखी जा सकती थी।
इस पूरे आयोजन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो सके। स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की थीं। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद भक्तों ने पास के क्षेत्रों में भी अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ त्योहार मनाया।
इस प्रकार, बिलासपुर का यह मकर संक्रांति पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक समर्पण का शानदार उदाहरण बना। और लोगों की श्रद्धा ने यह सिद्ध कर दिया कि भक्ति में एकता और प्यार की कोई सीमा नहीं होती।
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