मरीजों की खरीद-फरोख्त के सहारे संचालित अर्पित हास्पिटल सील:लाइसेंस भी निरस्त; 1 लाख में डा. शाकिब ने दी थी पंजीकरण के लिए डिग्री

पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद आखिरकार गोरखपुर में स्वास्थ्य महकमे की नींद भी खुल गई। पुलिस की ओर से पत्र भेजे जाने के बाद मरीजों की खरीद-फरोख्त में लिप्त अर्पित हास्पिटल को सील कर दिया गया। सीएमओ की ओर से भी गई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हास्पिटल को मानक के विपरीत पाया। पंजीकरण सही था लेकिन वहां वह डाक्टर नहीं मिले, जिसके नाम पर पंजीकरण कराया गया है। हास्पिटल को सील करने के साथ ही उसका पंजीकरण भी निरस्त कर दिया गया है। जांच में सामने आया है कि बिहार के डा. शाकिब सलीम ने 1 लाख रुपये लेकर हास्पिटल पंजीकृत कराने के लिए अपनी डिग्री दी थी। जांच में यह बात भी सामने आया है कि हास्पिटल संचालक डा. प्रवीण के पास मिली रूस की डिग्री पर भी संदेह पैदा हो गया है। पुलिस ने इस मामले में आगे की जांच शुरू कर दी है। पिता को नहीं मालूम डाक्टर है उनका बेटा इस मामले में हास्पिटल के संचालक प्रवीण सिंह के पिता से भी पूछताछ हुई। पुलिस के मुताबिक उन्होंने बताया कि उन्हें यह बात नहीं मालूम कि उनका बेटा डाक्टर है। रूस से डाक्टरी की पढ़ाई कब की, इसकी जानकारी नहीं है। प्रवीण ने पुलिस को डिग्री दिखाते हुए कहा था कि उसने रूस से पढ़ाई की है। उसका मोबाइल उसके पिता को दे दिया गया है। पुलिस इस मामले की जांच भी कर रही है कि हास्पिटल संचालन में उसका और कौन लोग सहयोग करते थे। ओटी टेक्नीशियन से बन गया डाक्टर पुलिस की जांच में यह बात सामने आयी है कि प्रवीण पहले शहर के एक हास्पिटल में ओटी टेक्नीशियन कोविड काल में उसने लाखों की कमाई की थी। इसके बाद उसने फर्जी तरीके से अपना हास्पिटल खोला और एंबुलेंस माफिया के साथ मिलकर मरीजों की खरीद-फरोख्त में जुट गया। वह खुद डाक्टर बन गया और मरीजों का इलाज शुरू कर दिया। 40 हजार रुपये महीना तय था लेकिन नहीं मिले पैसे अर्पित हास्पिटल के लिए पंजीकरण कराने को अपनी डिग्री देने वाले डा. शाकिब सलीम ने बताया कि उन्होंने लालच में डिग्री दी थी। शुरू में 1 लाख रुपये लिए थे। हर महीने 40 हजार रुपये मिलने थे लेकिन प्रवीण ने 1 लाख के अलावा कोई रकम नहीं दी। कुछ यू ट्यूबरों से भी थी सांठगांठ फर्जी तरीके से हास्पिटल संचालित करने वाले प्रवीण ने कुछ यू ट्यूबरों से भी सांठगांठ कर रखी थी। फिलहाल पुलिस की रडार पर ऐसे 4 यू ट्यूबर हैं। उनके नाम केस में बढ़ाने की तैयारी चल रही है। उनके खाते में पैसे भेजन की पुष्टि हुई है। पुलिस ने कुछ यू ट्यूबर से इस मामले में पूछताछ भी की है। एक यूट्यूबर तो खबर प्रकाशित होने से रोकने के लिए 5 हजार रुपये महीना लेता था। अब जानिए कैसे खुला मामला देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र के वार्ड नंबर 11 भरौली निवासी लक्ष्मी देवी की देवरानी लीलावती देवी के बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर 108 नंबर एंबुलेंस से बीआरडी भर्ती करने के लिए लेकर 17 जनवरी को आई थी। जहां कर्मचारियों ने बताया कि वेंटीलेटर खाली नहीं है। बीआरडी से बाहर निकली तो अमन गुप्ता नाम के ब्रोकर ने एंबुलेंस चालक से मरीज खरीदने के बाद अर्पित अस्पताल को बेच दिया था। हालत में सुधार न होने पर अस्पताल प्रशासन से रेफर करने के लिए कहा तो स्टाफ ने बच्चे को गलत इंजेक्शन लगाकर जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी और इस मामले में गुलरिहा पुलिस ने हॉस्पिटल संचालक प्रवीन सिंह, मैनेजर तुषार,बिचौलिया अमन गुप्ता,108 एम्बुलेंस चालक और ईएमटी को एक के बाद एक कर गिरफ्तार कर जेल भेजवा दिया। पुलिस की बात एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि हास्पिटल मामले की जांच गहनता से की जा रही है। लगातार इस मामले में कार्रवाई भी हो रही है। हास्पिटल संचालक, मैनेजर सहित 5 को जेल भेजा जा चुका है। साक्ष्यों के आधार पर इस धंधे मे लिप्त अन्य लोगों पर भी कार्रवाई होगी।

Feb 23, 2025 - 08:00
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मरीजों की खरीद-फरोख्त के सहारे संचालित अर्पित हास्पिटल सील:लाइसेंस भी निरस्त; 1 लाख में डा. शाकिब ने दी थी पंजीकरण के लिए डिग्री
पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद आखिरकार गोरखपुर में स्वास्थ्य महकमे की नींद भी खुल गई। पुलिस की

मरीजों की खरीद-फरोख्त के सहारे संचालित अर्पित हास्पिटल सील: लाइसेंस भी निरस्त

हाल ही में अर्पित हास्पिटल पर गंभीर आरोप लगे हैं जिसमें बताया गया है कि यह अस्पताल मरीजों की खरीद-फरोख्त के सहारे संचालित हो रहा था। स्वास्थ्य विभाग द्वारा हुई जांच के बाद इस हास्पिटल को सील कर दिया गया है और इसका लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

ब्यूटीफुल नर्सिंग प्रैक्टिस की अवहेलना

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अस्पताल इस तरह की गतिविधियों में लिप्त है, तो यह न केवल मरीजों की सुरक्षा को खतरे में डालता है बल्कि मेडिकल प्रैक्टिस की महानता को भी धूमिल करता है। जांच में सामने आया कि डॉ. शाकिब द्वारा मरीजों को पंजीकरण के लिए सिर्फ 1 लाख में डिग्री दी गई थी, जो स्पष्ट रूप से चिकित्सा मानकों के विरुद्ध है।

अस्पताल की अवैध गतिविधियों का खुलासा

इस मामले ने उस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति आक्रोश पैदा कर दिया है, जहां मरीजों को इलाज के लिए सच में सच्चे और योग्य स्वास्थ्य पेशेवरों की आवश्यकता है। मरीजों की खरीद-फरोख्त का यह मामला ब्योरे में आया है, जिसे अब सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है।

सरकारी कदम और अगली कार्रवाई

सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें। इसके अलावा, अस्पतालों में मरीजों के पंजीकरण और उनकी देखभाल की प्रक्रियाओं को और अधिक सख्त करने की आवश्यकता होगी।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता

यह घटना सभी अस्पतालों के लिए चेतावनी है कि वे अपने कार्यों के प्रति जागरूक रहें और मरीजों की भलाई को प्राथमिकता दें। भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने से, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि मरीज उचित और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करें।

अंत में, यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें किस तरह की स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है और उन पर विश्वास और आश्रित रहने में सावधानी बरतनी चाहिए।

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