महाकुंभ- प्रयाग, अयोध्या, काशी श्रद्धालुओं से ओवरलोड:स्थानीय लोग परेशान; समापन में 9 दिन बाकी हैं, लेकिन भीड़ थम नहीं रही

महाकुंभ में अब तक 54.31 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। समापन में 9 दिन बाकी हैं, लेकिन भीड़ थम नहीं रही। प्रयाग के स्थानीय लोगों का भी सामना पहली बार ऐसी भीड़ से हो रहा है। एयरपोर्ट पर रेलवे स्टेशन जैसे हाल हैं। रविवार को 60 उड़ानों से 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु आए-गए। ट्रेनों में भी भीड़ मौनी अमावस्या जैसी है। रविवार को 179 मेला विशेष ट्रेनें चलानी पड़ीं। प्रयागराज जंक्शन के बाहर 1 लाख लोगों का होल्डिंग एरिया है, जहां से हर मिनट करीब 300 यात्री स्टेशन पहुंच रहे हैं। शहर आने वाले 7 प्रमुख रास्तों पर 10 से 12 किमी जाम है। मौनी अमावस्या के बाद मेला क्षेत्र नो व्हीकल जोन घोषित है। फिर भी मेले में वीआईपी पास लगे वाहनों का आना-जाना जारी है। दूसरी ओर, आम श्रद्धालु कम से कम 10 किमी पैदल चलकर मेला पहुंच रहे हैं। आठवीं तक के स्कूल 20 फरवरी तक बंद कर दिए गए। अयोध्या: मंदिर के सभी 5 रास्ते फुल, स्थानीय लोग घरों में बंद भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले रोज बमुश्किल 20 से 25 हजार श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते थे। लेकिन, महाकुम्भ के बाद 5 से 7 लाख पहुंच रहे हैं। अयोध्या ने अपने इतिहास में इतनी भीड़ पहले कभी नहीं देखी थी। अभी धर्मनगरी के 6 किमी तक दायरे में हर रास्ता पैक है। मंदिर पहुंचाने वाले सभी पांच रास्ते फुल हैं। टूर गाइड वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ अयोध्या के अध्यक्ष प्रमोद मिश्रा के मुताबिक स्थानीय लोग घरों में कैद हैं, क्योंकि बाहर निकलते ही भीड़ शुरू हो जाती है। पूरा क्षेत्र नो व्हीकल जोन है। इसलिए सब्जी, राशन की गाड़ियां नहीं आ पा रही हैं। व्यापारी लोग ई-रिक्शा से जितना सामान रोज लाते हैं, वही दोगुने दामों में बिक रहा है। टमाटर-आलू दोनों के रेट 40-40 रु. किलो हैं। 150 रु. किराये वाली व्हील चेयर के 2 हजार तक ले रहे हैं। होटल एसोसिएशन महामंत्री अरुण कुमार अग्रवाल के मुताबिक सामान्य दिनों में डोरमेट्री का एक बेड 200 रु. में मिलता है। अभी 1000 तक ले रहे हैं। नॉन एसी कमरे का किराया 4 हजार तक है। काशी: रोज 10 लाख श्रद्धालु, अस्पताल पहुंचना भी मुश्किल काशी विश्वनाथ कॉरिडोर साल 2021 में बना। इसके बाद बनारस में जितनी भीड़ शिवरात्रि या अन्य पर्वों पर होती रही, उतनी महाकुम्भ के दिनों में रोज हो रही है। हर दिन 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं की मौजूदगी से मंदिर के 5 किमी दायरे में शहर रेंग रहा है। ऐसा पहली बार है, जब लगातार 25 दिन से शहर में यही हालात हैं। रूट डायवर्जन और नो व्हीकल जोन ने स्थानीय रहवासियों की जिंदगी बेहद मुश्किल बना दी है। वे न घर से बाहर निकल पा रहे हैं और न ही व्यापार कर पा रहे हैं। विश्वेश्वर गंज किराना एसो. के सदस्य मनीष केसरी के मुताबिक कोई इमरजेंसी हुई तो इस भीड़ को पार कर अस्पताल पहुंचना भी मुश्किल है। दशाश्वमेध, मैदागिन, विश्वेश्वरगंज, दौलिया नो व्हीकल जोन होने के बावजूद पैक हैं। 31 जनवरी के बाद से मंडी में घुसने में भी दो घंटे लग रहे हैं। नई दिल्ली स्टेशन पर CRPF की तैनाती, 26 फरवरी तक काउंटर प्लेटफॉर्म टिकट बंद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) और दिल्ली पुलिस की तैनाती की गई है। महाकुंभ के बीच बढ़ती भीड़ को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। इसके अलावा रेलवे ने 26 फरवरी तक शाम 4 बजे से रात 11 बजे तक काउंटर से प्लेटफॉर्म टिकट की बिक्री बंद कर दी है। सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने भविष्य में पीक सीजन में भगदड़ जैसी घटनाओं से बचने के लिए देश के 60 बड़े स्टेशनों पर होल्डिंग एरिया बनाने की योजना बनाई है। महाकुंभ के बाद 2027 में नासिक और हरिद्वार में भी अर्धकुंभ लगेंगे। इसके अलावा 2028 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी सिंहस्थ मेले का आयोजन होना है। -------------------------------------------- भगदड़ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली भगदड़- तीन सरकारी बयान, उलझी जांच:पुलिस बोली- दो ट्रेनों के मिलते-जुलते नाम से भ्रम हुआ, रेलवे बोला- एक व्यक्ति के फिसलने से स्थिति बिगड़ी भगदड़ क्यों मची, इस पर आए 3 सरकारी बयानों ने जांच उलझा दी है। दरअसल, दिल्ली पुलिस का कहना है कि प्रयागराज नाम से दो ट्रेन थीं। इनमें से एक स्पेशल के प्लेटफॉर्म 16 पर पहुंचने का अनाउंसमेंट हुआ। तब प्लेटफॉर्म 14 पर प्रयागराज (मगध) एक्सप्रेस खड़ी थी। जो यात्री 14 पर जा रहे थे, वो अनाउंसमेंट सुनकर 16 की तरफ भागे। पढ़ें पूरी खबर...

Feb 18, 2025 - 05:00
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महाकुंभ- प्रयाग, अयोध्या, काशी श्रद्धालुओं से ओवरलोड:स्थानीय लोग परेशान; समापन में 9 दिन बाकी हैं, लेकिन भीड़ थम नहीं रही
महाकुंभ में अब तक 54.31 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। समापन में 9 दिन बाकी हैं, लेकिन भीड़ थम नहीं रही। प्र

महाकुंभ- प्रयाग, अयोध्या, काशी श्रद्धालुओं से ओवरलोड: स्थानीय लोग परेशान

महाकुंभ 2023 के आयोजन ने प्रयाग, अयोध्या और काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ को अभूतपूर्व स्तर तक पहुंचा दिया है। स्थानीय लोगों की परेशानियों का एक नया दौर शुरू हो चुका है क्योंकि यह भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है। इस लेख में हम इस परिदृश्य की गहराई में जाएंगे, स्थानीय लोगों की चिंताओं को समझेंगे और इस महाकुंभ के अंतिम दिनों में हो रहे घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे।

भीड़ का असर: प्रवासियों की समस्याएं

महाकुंभ के समय, उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु बिना किसी पूर्व सूचना के इन शहरों में पहुंच रहे हैं। इसका प्रभाव स्थानीय परिवहन, जन सुविधा, और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ा है। स्थानीय लोग इसके चलते बिजली, पानी, सफाई और आवागमन जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी का अनुभव कर रहे हैं।

समापन में 9 दिन बाकी हैं

हालांकि महाकुंभ का समापन 9 दिन में होने वाला है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि श्रद्धालुओं की भीड़ घटने का कोई संकेत नहीं है। प्रशासन को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए विभिन्न तरीकों पर काम करना होगा। इसके अतिरिक्त, श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।

स्थानीय लोगों की आवाज उठाना

स्थानीय लोग इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं और अपनी आवाज उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन इस स्थिति को सुधारने में तेजी दिखाएगा और उनकी शिकायतों का ध्यान रखा जाएगा। प्रशासन को स्थानीय निवासियों की सुनवाई करनी चाहिए और उनके लिए उचित समाधान निकालना चाहिए।

महाकुंभ का यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि यह समाजिक विकास और आर्थिक लाभ के लिए भी महत्वपूर्ण है। ऐसे में संतुलन बनाना आवश्यक है ताकि श्रद्धालु और स्थानीय लोग दोनों ही संतुष्ट रहें।

सभी की भलाई के लिए यह जरूरी है कि हम एक साथ मिलकर इस समय का सामना करें और एक सुरक्षित, संगठित और सुसंगत माहौल को बनाए रखें।

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