महाकुंभ में कानपुर से 400 करोड़ का कपड़े का कारोबार:संतों के लिए 75 लाख के गेरुआ वस्त्र, कैंप बनाने को गया 7 लाख मीटर कपड़ा
संपूर्ण महाकुंभ के आयोजन पर कानपुर के थोक कपड़ा बाजार के ग्राफ में तेजी से उछाल गया है। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में कैंप तैयार करने से लेकर सर्दी से बचने व साधु–संतों को दान–पुण्य करने के लिए लिहाज से कंबल, गेरुए वस्त्र, मफलर, टोपी, चादर, रजाई, गद्दे तैयार करने समेत करीब 200 करोड़ का कारोबार हो चुका है। 4 करोड़ के कपड़े से तैयार हुए कैंप वहीं आगामी समय में होने वाले शाही स्नान को लेकर भी काफी संख्या में कारोबार हो रहा है। कानपुर कपड़ा कमेटी की माने तो महाकुंभ में कपड़ा बाजार में 400 करोड़ से अधिक का कारोबार होगा। कानपुर कपड़ा कमेटी के प्रधान सचिव नवीन कुमार नवेटिया ने बताया कि कानपुर में करीब 5 हजार कपड़े की दुकानें है। महाकुंभ में सेक्टर 21,22,23,24 व 25 में तैयार होने वाले पंडालों में कानपुर थोक बाजार से करीब 4 करोड़ रुपये का 7 लाख मीटर कपड़ा गया है। साथ ही रजाई, गद्दों को तैयार करने में भी कानपुर से कपड़ों की सप्लाई की गई है। 2.50 लाख मीटर गेरुआ वस्त्र गया महाकुंभ वहीं महाकुंभ में शाही स्नान में दान–पुण्य के मद्देनजर काफी संख्या में कंबल, मफलर, जैकेट, टोपी की काफी डिमांड हो रही है। नवीन के मुताबिक महाकुंभ में आए साधु–संतों को सम्मानित करने के लिए गेरुए वस्त्र की भारी डिमांड हो रही है। जिसमें 20 से 40 रुपये मीटर के पॉलिस्टर व 50 से 70 रुपये के कॉटन के गेरुए वस्त्र का करीब 2.50 लाख मीटर कपड़ा महाकुंभ जा चुका है, जिसकी लागत तकरीबन 75 लाख रुपये है। 2000 हजार जैकेट जा रहीं रोजाना साथ ही जैकेट की भी खूब मांग हो रही है, 500 रुपये रेंज तक की करीब 2000 हजार जैकेट रोजाना प्रयागराज जा रही हैं। कपड़ा कारोबारी कृष्ण गुप्ता ने बताया कि भीषण ठंड में आयोजित हो रहे इस महापर्व पर कंबल की भारी मात्रा में डिमांड है। 40 करोड़ का कंबल का कारोबार 100 से 150 रुपये के कंबल की करीब 2000 गांठे (70 पीस की एक गांठ) व 250 रुपये के रेंज वाली करीब 500 से अधिक गांठे (40 पीस की एक गांठ) प्रयागराज जा चुकी हैं। इसके साथ ही रोजाना 12 से 15 हजार कंबल प्रतिदिन प्रयागराज थोक बाजार से भेजा जा रहा है। अब तक करीब 40 करोड़ का कंबल प्रयागराज जा चुका होगा।

महाकुंभ में कानपुर से 400 करोड़ का कपड़े का कारोबार
महाकुंभ 2023 में कानपुर से कपड़ों का कारोबार करीब 400 करोड़ रुपए का हो रहा है, जो इस विशाल आयोजन की महत्ता और रुझान को दर्शाता है। इस वर्ष संतों के लिए विशेष रूप से 75 लाख रुपए के गेरुआ वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें महाकुंभ की धार्मिक परंपरा में धारण करना आवश्यक माना जाता है।
संतों के लिए गेरुआ वस्त्र
गेरुआ वस्त्र महाकुंभ के दौरान संतों द्वारा पहने जाने वाले अनिवार्य वस्त्र हैं। इन वस्त्रों की कीमत 75 लाख रुपए तय की गई है। संतों के लिए इन वस्त्रों का निर्माण कानपुर के विभिन्न कपड़ा निर्माताओं द्वारा किया जा रहा है, जो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि इस धार्मिक आयोजन की गरिमा को भी बढ़ाता है।
कैंप बनाने को गया कपड़ा
महाकुंभ में विभिन्न कैंप स्थापित करने के लिए लगभग 7 लाख मीटर कपड़ा भेजा गया है। ये कैंप साधुओं और भक्तों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे हैं, जहाँ वे ठहर सकें और कार्यक्रम का हिस्सा बन सकें। इस कपड़े का प्रयोग मुख्यतः टेंट और आश्रय बनाने में किया जाएगा। इस प्रकार का बड़ा व्यापार महाकुंभ के दौरान देखी जाने वाली भीड़ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आर्थिक परिवेश और भावी योजनाएँ
कानपुर का यह कपड़ा व्यापार महाकुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से स्थानीय उद्योग को नई ऊँचाइयों तक पहुंचा रहा है। साथ ही, यह स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाले वर्षों में, कानपुर के कपड़ा निर्माताओं का लक्ष्य इस प्रकार के आयोजनों में और अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना है, ताकि यह क्षेत्र अधिक प्रसिद्ध हो सके।
कुछ अनुमान बताते हैं कि यदि यह व्यापार इसी तरह बढ़ता रहेगा, तो कानपुर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख कपड़ा केंद्र के रूप में उभर सकता है।
इस प्रकार से महाकुंभ में कानपुर का कपड़ा कारोबार न केवल संतों की जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि इसे एक बड़े आर्थिक आंदोलन में बदलने की संभावना भी रखता है।
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