महाविद्यालय की प्रबंध समिति में मृत व्यक्ति को स्थान:संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति से शिकायत, 2022 में हो चुकी है मौत
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्कृत महाविद्यालय में बड़ी गड़बड़ी सामने आयी हैं। वाराणसी के टेढ़ी नीम स्थित हरदेव दास नथमल बैरोलिया आदर्श अग्रवाल संस्कृत महाविद्यालय यहां इंटरवियू और भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत के बाद अब दस सदस्यीय प्रबंध समिति में मृत व्यक्ति को सदस्य बनाने का मामला सामने आया है। इस मामले में कुलपति बिहारी लाल शर्मा से शिकायत की गई है। आरोप है कि उक्त सदस्य की 2022 में ही मौत हो चुकी है। फिलहाल मामला सामने आने के बाद कुलपति ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। विश्वविद्यालय कर चुका है प्रबंध समिति का अनुमोदन टेढ़ी नीम के हरदेव दास नथमल बैरोलिया आदर्श अग्रवाल संस्कृत महाविद्यालय की प्रबंध समिति का निर्माण किया जा चुका है। आरोप है कि इस प्रबंध समिति को बनाने में दस्तावेजों में हेराफेरी की गई है। लेकिन विश्वविद्यालय को इस बात की भनक भी नहीं हुई और प्रबंध समिति का विश्वविद्यालय से अनुमोदन भी हो गया है। कुलपति और कुलसचिव से हुई शिकायत विश्वविद्यालय से प्रबनध समिति के अनुमोदन के बाद कुलपति और कुलसचिव से लिखित शिकायत की गई है। इसमें बताया गया कि प्रबंध समिति में शिवजी गया है। जिनका निधन साल 2022 में हो चुका है। उनकी असमय मृत्यु होने पर विश्वविद्यालय में भी शोक सभा की गई थी। इसके बाद उन्हें प्रबंध समिति में सदस्य बना दिया गया है। जांच के दिए कुलपति ने आदेश मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। इसमें चिट फंड सोसाइटी जांच करेगी और सत्यापन के बाद रिपोर्ट सौंपेगी। कुलपति ने बताया जांच रिपोर्ट आने के बाद विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

महाविद्यालय की प्रबंध समिति में मृत व्यक्ति को स्थान
हाल ही में एक चौंका देने वाला मामला उजागर हुआ है जिसमें संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति से शिकायत की गई है, जिसमें बताया गया है कि महाविद्यालय की प्रबंध समिति में एक मृत व्यक्ति का नाम शामिल है। यह व्यक्ति 2022 में अपनी मृत्यु को प्राप्त हो चुका है, फिर भी उसका नाम प्रबंधन समिति में कैसे है, यह एक बड़ा सवाल है।
संस्कृत विश्वविद्यालय का मामला
संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रबंध समिति में मृत व्यक्ति को स्थान देने की शिकायत ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। इस प्रकार के अनियमितताओं का पता चलना एक गंभीर मुद्दा है जो न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है, बल्कि यह छात्रों और शिक्षकों के लिए अनिश्चितता का कारण भी बनता है।
समस्या की जड़ें
इस मामले का निर्माण कैसे हुआ, यह जानने के लिए कई तहकीकात की जा रही हैं। रिपोर्टों के अनुसार, महाविद्यालय के अन्य सदस्यों ने बताया है कि यह सूची अद्यतन नहीं की गई है, और मृत व्यक्ति का नाम अपनी जगह पर अटका हुआ है। ऐसे मामलों के लिए उचित कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि इस प्रकार की गलती दोबारा न हो।
कुलपति की भूमिका
कुलपति की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों पर तेजी से प्रतिक्रिया दें और सुनिश्चित करें कि ऐसी अनियमितताएँ भविष्य में ना हों। इस शिकायत के बाद, कुलपति ने कहा है कि वे मामले की गंभीरता को समझते हैं और उचित कार्रवाई की जाएगी।
इस तरह की समस्याएँ न केवल मंत्रालय और प्रबंधन की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं, बल्कि यह छात्रों और उनके अभिभावकों के विश्वास को भी हानि पहुंचाती हैं।
महाविद्यालय की प्रबंध समिति में मृत व्यक्ति का नाम शामिल होना एक बड़ी चूक है जिसे तुरंत सुधारने की आवश्यकता है। सभी संबंधित पक्षों को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।
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अनुसंधान और समाधान
इस घटना के परिणामस्वरूप, महाविद्यालय उपस्थितियों, प्रबंधन और कार्यप्रणाली की समीक्षा का कार्य कर रहा है। ऐसे मुद्दों का समाधान न केवल अस्तित्व में सुधार करेगा, बल्कि यह महाविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे विश्वास को भी बढ़ाएगा।
समाप्ति
महाविद्यालयों की प्रबंध समितियों में पारदर्शिता और योग्यता बहुत आवश्यक है। शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए हमें ऐसे मुद्दों को उठाना और निवारण करना चाहिए। Keywords: मृत व्यक्ति का नाम प्रबंध समिति में, संस्कृत विश्वविद्यालय की शिकायत, महाविद्यालय प्रबंधन अनियमितता, कुलपति की भूमिका, शिक्षा में सुधार, ऐतिहासिक घटनाएँ महाविद्यालय में, छात्रों के अधिकार, प्रशासनिक ढांचे में सुधार, शिक्षा जगत की समस्याएँ, महाविद्यालय का प्रबंधन.
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