मेरठ में किसानों का कलेक्ट्रेट पर धरना:निजी अस्पताल मालिक पर 1512 मीटर जमीन हड़पने का आरोप, आंदोलन की चेतावनी
मेरठ में किसानों ने कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देकर एक निजी अस्पताल संचालक पर जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगाया है। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आयुषी सिंधु तेवतिया के नेतृत्व में किसानों ने बताया कि बिजली बंबा बाईपास पर स्थित किसान सतीश सैनी की 1512 मीटर भूमि पर अस्पताल मालिक ने अवैध कब्जा कर लिया है। मामले में 17 सितंबर को प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था। कार्रवाई न होने पर 8 अक्टूबर को किसान महापंचायत का आयोजन किया गया, जहां एडीएम सिटी बलराम पांडे ने 7 दिन में कार्रवाई का आश्वासन दिया। किसान यूनियन ने 14 दिन का अतिरिक्त समय दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 18 अक्टूबर को पुनः पत्र के माध्यम से एडीएम को अवगत कराया गया। समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष विपिन चौधरी और आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष अंकुश चौधरी ने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले में निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन विपक्षी दल प्रशासन के रवैये से नाराज हैं।

मेरठ में किसानों का कलेक्ट्रेट पर धरना: निजी अस्पताल मालिक पर 1512 मीटर जमीन हड़पने का आरोप, आंदोलन की चेतावनी
मेरठ में किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर एक बड़े धरने का आयोजन किया है, जिसमें उन्होंने निजी अस्पताल के मालिक पर आरोप लगाया है कि उसने 1512 मीटर जमीन गैरकानूनी तरीके से हड़प ली। किसानों का कहना है कि यह जमीन उनके पूर्वजों की है और उन्हें इसका स्वामित्व प्राप्त है। धरने में शामिल किसानों ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि अगर उनकी शिकायतों का समाधान नहीं किया गया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला पिछले कुछ समय से चर्चा में है, जब किसानों ने पहली बार इस अस्पताल के मालिक द्वारा जमीन हड़पने की शिकायत की थी। किसानों का आरोप है कि अस्पताल के मालिक ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से इस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। किसानों ने मांगा है कि सरकार इस मामले की जांच करे और उन्हें न्याय दिलाए।
धरने का महत्व
यह धरना केवल जमीन विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों की आवाज उठाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। किसानों ने स्पष्ट किया है कि उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए संगठित होना होगा। इस धरने में स्थानीय समुदाय के लोग भी शामिल हुए हैं, जो किसानों के समर्थन में खड़े हैं। और यह संकेत करता है कि यदि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह मुद्दा एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
भविष्य की योजनाएं
किसानों ने चेतावनी दी है कि वे अगले सप्ताह जिला कलेक्टर से मिलने का प्रयास करेंगे और अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो वे उग्र आंदोलन कर सकते हैं। उनका कहना है कि वे अपनी आवाज उठाना जारी रखेंगे और अन्य किसानों को भी इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करेंगे।
किसानों का यह धरना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ना केवल उनकी जमीन के अधिकारों के लिए है, बल्कि यह उन सभी स्थानीय मुद्दों का भी प्रतिनिधित्व करता है, जिनसे किसान आज जूझ रहे हैं।
इस धारणा के साथ कि स्थानीय प्रशासन को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा, मेरठ के किसानों ने एकता दिखाई है और न्याय की उम्मीद की है।
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