मेरठ से महाकुंभ में गई महिलाएं:त्रिवेणी में स्नान कर लिया पुण्य आशीर्वाद
मेरठ महानगर से विश्व हिंदू परिषद, मातृशक्ति दुर्गा वाहिनी की लगभग 90 बहनों ने प्रयागराज में महाकुंभ स्नान किया। जहां विश्व हिंदू परिषद शिविर में, दुर्गावाहिनी की प्रथम राष्ट्रीय संयोजिका साध्वी दीदी मां ऋतंभरा का मार्गदर्शन बहनों को प्राप्त हुआ। मेरठ से काफी संख्या में महिलाएं महाकुंभ में पहुंची। वहां महाकुंभ में डुबकी लगाकर तथा साध्वी ऋतंभरा जी की ओजस्वी वाणी सुनकर बहने अपने आप को कृतार्थ किया है। महिलाओं ने कहा कि कुंभ क्षेत्र में व्यवस्थाएं बहुत ही सुंदर है। कहीं भी कोई असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता। महिलाओ ंने कहा कुंभ में सुरक्षा और सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। महिलाओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। कहा कि रोजाना करोड़ों श्रृद्धालु कुंभ में स्नान करने पहुंच रहे हैं। 144 साल बाद यह सुखद संयोग आया है।
मेरठ से महाकुंभ में गई महिलाएं: त्रिवेणी में स्नान कर लिया पुण्य आशीर्वाद
News by indiatwoday.com
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर बार संगम स्थल पर आयोजित होता है। यह पर्व विशेष रूप से साधु-संतों और भक्तों को एकत्रित करता है ताकि वे पवित्र जल में स्नान कर सकें और अपने पापों से मुक्ति पा सकें। त्रिवेणी संगम में स्नान करने का विशेष महत्व है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है।
मेरठ से आई महिलाएं
हाल ही में, मेरठ से कई महिलाएं महाकुंभ में भाग लेने के लिए गईं। उन्होंने त्रिवेणी में स्नान करने के बाद पुण्य आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर महिलाएं न केवल धार्मिक अनुष्ठान में भाग लीं, बल्कि यह उनके लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक अनुभव भी था।
महिलाओं का प्रेरणादायक अनुभव
इन महिलाओं ने बताया कि त्रिवेणी में स्नान करना उनके लिए एक अद्वितीय अनुभव था। उन्होंने कहा कि यह केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि मानसिक शांति और सामुदायिक सौहार्द का अनुभव भी था। महिलाओं ने अन्य भक्तों के साथ मिलकर भजन-कीर्तन भी किया, जिससे वातावरण भक्ति मूड में भर गया।
पुण्य आशीर्वाद का महत्व
पुण्य आशीर्वाद प्राप्त करना केवल धार्मिक बलिदान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्नान के बाद, महिलाओं ने अपनी माताओं और पिताओं के लिए प्रार्थना की, ताकि उनके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।
समापन विचार
महाकुंभ में भागीदारी करने का अवसर न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए है, बल्कि यह सामाजिक बंधनों को भी मजबूत करता है। महिलाएं जब इस तरह के आयोजनों में भाग लेती हैं, तो वे एक नई ऊर्जा और विश्वास के साथ लौटती हैं। ऐसा लगता है कि जैसे वे न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनती हैं।
महाकुंभ जैसे आयोजनों से भक्तों में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ती है। ऐसे में, सामाजिक और आध्यात्मिक संगठनों को आगे बढ़कर इस तरह के आयोजनों को सहारा देना चाहिए।
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