रिपोर्ट ओके, मतलब पेट में पल रहा बच्चा लड़का है:मेरठ में अल्ट्रासाउंड सेंटर में छापेमारी के बाद सामने आया काला सच, दलालों ने बताई कहानी ​​​​​​​

मेरठ में मेडिकल अस्पताल के ठीक सामने भ्रूण लिंग परीक्षण का अवैध धंधा चल रहा था। यहां अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांचों के नाम पर गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण किया जाता रहा और स्थानीय पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को कानोंकान खबर नहीं लगी। कभी भी मेरठ स्वास्थ्य विभाग और पुलिस टीम ने यहां कोई रेड नहीं डाली न चैकिंग अभियान चलाया। मंगलवार को जब हरियाणा, रोहतक से पीसीपीएडीटी की टीम ने सेंटर पर चल रहे अवैध जांचों की पोल खोलने के लिए पूरा जाल बिछाया तो सारा सच सामने आ गया। टीम ने यहां मौके से 3 दलालों और सेंटर संचालिका डॉ. छवि बंसल को अरेस्ट किया। जिसमें दलालों ने बताया कि मैडम रिपोर्ट ओके बोलती जो लड़का होने का इशारा समझा जाता। सबसे पहले सेंटर पर छापेमारी का प्लान पढ़िए.. मेरठ के ग्लोबल डायगनोस्टिक सेंटर में लिंग परीक्षण की शिकायत काफी दिनों से हरियाणा पीसीपीएनडीटी को मिल रही थी। टीम काफी दिनों से यहां नजर रखे थी और छापेमारी की ताक में थी। मंगलवार को टीम अपने साथ एक महिला मरीज लेकर आई। जिसकी बात अनिल नामक एजेंट जो ग्लोबल डायग्नोस्टिक के लिए काम करता है उससे कराई। अनिल भ्रूण लिंग परीक्षण अल्ट्रासाउंड कराने के लिए तैयार हो गया। उसने अल्ट्रासाउंड की फीस 700 रुपए बताई। छापेमारी टीम ने पहले ही महिला को सीरीज वाले 2 नोट दिए थे जो उसे फीस के तौर पर अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पेमेंट करने थे। इसके बाद अनिल अपने दो और साथी हेमेंद्र और पवन के साथ मरीज को लेकर डॉ. छवि बंसल के ग्लोबल डायग्नोस्टिक सेंटर लाया। यहां टीम मेंबर का अल्ट्रासाउंड हुआ उसने वही 500-500 के 2 नोट पे किए जो सेम सीरीज के थे। फीस देकर महिला बाहर निकली तो उसे कहा गया कि रिपोर्ट ओके है, ये इशारा था कि गर्भ में लड़का है। इतना सुनते ही दूर खड़ी छापेमारी की टीम सेंटर में अंदर आती है और सेम सीरीज के नोटों के आधार पर सेंटर में छापा मारकर जांच करती है। मौके से तीनो ंएजेंट और डॉक्टर को अरेस्ट करती है। रेड डालने आई टीम के ऑफिसर की बात पढ़िए.. डॉ. विश्वजीत राठी पीसीपीएनडीटी नोडल अफसर रोहतक ने बताया कि ग्लोबल डायग्नोस्टिक सेंटर मेडिकल अस्पताल के सामने मेरठ में छापेमारी की है। हमारी टीम को सूचना मिली थी कि यहां मेरठ मेडिकल अस्पताल के सामने ग्लोब्ल डायग्नोस्टिक सेंटर में भ्रूणलिंग की जांच होती है। अनिल नामक किसी एजेंट से संपर्क किया गया था। उन्होंने कहा कि हम लिंग परीक्षण करा देंगे, दोपहर 1 बजे मंगलवार को मेरठ में आ जाना। पूरी प्लानिंग के साथ हमारी टीम यहां पहुंची। अनिल के साथ हमारी पैसों की डील हुई। अनिल के साथ पवन और हेमेंद्र भी जुड़े मिले। हेमेंद्र और पवन हमारे मरीज को लेकर ग्लोबल डायग्नोसिटक सेंटर में अंदर लेकर गए, उसका अल्ट्रासाउंड कराया। जांच कराकर बाहर निकले तो टीम ने उन एजेंटों को पकड़ा। बताया कि गुप्त सूचना हमें लंबे समय से मिल रहे थे, काफी समय से हम ये छापेमारी करने की तैयारी में थी। आज की है। आज हमने यहां से 3 एजेंट और डॉ. छवि को पकड़ा है। अल्ट्रासाउंड सेंटर से बाहर निकलकर एजेंट ने कहा कि आपकी भ्रूण लिंग जांच हो गई, उसने लड़का-लड़की नहीं बल्कि इशारे में कहा कि रिपोर्ट सही है आपकी, ये कहना ही इशारा है कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है। अब मेरठ के हेल्थ ऑफिसर की बात पढ़िए.. महेश चंद्रा नोडल पीसीपीएनडीटी सीएमओ कार्यालय मेरठ कहा कि रोहतक की टीम यहां छापेमारी के लिए आ रही है इसकी मुझे सूचना मिली थी। उसके तहत मैं उस टीम को फॉलो करने के लिए यहां ग्लोबल अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पर पहुंचा। यहां रोहतक की टीम के साथ मेरी मुलाकात हुई। कहा कि मैंने देखा कि हरियाणा की टीम यहां तीन लोगों से पूछताछ कर रही थी। टीम ने अल्ट्रासाउंड सेंटर में छापेमारी की साथ ही वो नोट भी बरामद किए जो टीम द्वारा दिए गए। कबसे यहां क्या चल रहा था उसको अभी नहीं बता सकते। पकड़ा गया एजेंट बोला रिपोर्ट ओके पकड़े गए एजेंट ने बताया कि उसे ये लोग काली नदी पर मिले थे, मैं उनको लेकर अल्ट्रासाउंड सेंटर पर आया, तब मैडम ने उनको चैक किया और बताया कि रिपोर्ट ठीक है। लड़का है लड़की है ऐसा कुछ नहीं था। ​​​​​​​ पीड़ित पक्ष के वकील ने लगाए षड्यंत्र के आरोप वहीं पीड़ित डॉक्टर पक्ष के वकील डॉ. रामकुमार शर्मा ने कहा कि लिंग परीक्षण का कहीं कोई एविडेंस नहीं है ये टीम भी प्राइवेट गाड़ी से यहां रेड डालने आई है। भ्रूण परीक्षण कराना भी अपराध है। सेंटर पर ऐसे कोई भी सुबूत नहीं मिले हैं जो ये बताते हों यहां भ्रूण लिंग परीक्षण होता है या हुआ है। ये षड्यंत्र के तहत डॉक्टर को फंसाने के लिए किया गया है।

Feb 12, 2025 - 02:00
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रिपोर्ट ओके, मतलब पेट में पल रहा बच्चा लड़का है:मेरठ में अल्ट्रासाउंड सेंटर में छापेमारी के बाद सामने आया काला सच, दलालों ने बताई कहानी ​​​​​​​
मेरठ में मेडिकल अस्पताल के ठीक सामने भ्रूण लिंग परीक्षण का अवैध धंधा चल रहा था। यहां अल्ट्रासाउं

रिपोर्ट ओके, मतलब पेट में पल रहा बच्चा लड़का है: मेरठ में अल्ट्रासाउंड सेंटर में छापेमारी के बाद सामने आया काला सच

मेरठ में अल्ट्रासाउंड सेंटर पर हुई छापेमारी ने चिकित्सा क्षेत्र में गहरे दिखावे को उजागर किया है। हाल में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अनिवार्य परीक्षणों की जगह, यहाँ भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के लिए अवैध तरीके अपनाए गए हैं। आंतरिक जांच में सामने आया कि दलालों ने गर्भवती महिलाओं को यह बताया कि उनकी संतान लड़का है, जबकि वास्तव में यह एक गंभीर चिकित्सा अपराध है।

अल्ट्रासाउंड सेंटर की छापेमारी

पिछले हफ्ते, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने मेरठ में एक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापेमारी की, जिसके बाद कई महत्वपूर्ण सबूत मिले। इस सेंटर के संचालकों ने भ्रूण लिंग से संबंधित गलत जानकारी देने के लिए धन लेना स्वीकार किया। यह न केवल भारत के कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज में लिंग भेदभाव को बढ़ावा देने का भी कार्य करता है।

दलालों की कहानी

छापेमारी के दौरान, कुछ दलालों ने पुलिस के सामने अपनी गुनाहों को स्वीकार किया और बताया कि वे किस तरह से अल्ट्रासाउंड रिपोर्टों में हेरफेर करते थे। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार गर्भवती महिलाओं को झूठा आश्वासन देकर उगाही की जाती थी। यह सब जानकर यह स्पष्ट होता है कि ऐसे मामलों में सिर्फ चिकित्सक ही नहीं, बल्कि कई अन्य लोग भी शामिल होते हैं।

सामाजिक प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा

इस घटना की खबर ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से अपील की है कि ऐसी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, लोगों को भ्रूण लिंग निर्धारण के खिलाफ जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। महिलाओं को अपने अधिकारों पर जानकारी देने और अवैध प्रथाओं से बचने के लिए सामुदायिक सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

इन घटनाओं को देखकर यह आवश्यक हो जाता है कि हम समाज में भ्रूण लिंग निर्धारण पर चर्चा करें और इसके दुष्प्रभावों को समझें। हमें एक सुरक्षित और स्वस्थ समाज की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है जहाँ हर जीवन की मूल्यांकन समान हो।

अंत में, यह घटना केवल मेरठ तक सीमित नहीं है। यह हर उस स्थान पर हो सकता है जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं का उचित कामकाज नहीं हो रहा है। हमें अपने आस-पास के वातावरण पर नजर रखनी होगी और ऐसे अपराधों के खिलाफ एक साथ खड़ा होना होगा।

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