लखनऊ में कैफी आजमी की 106वीं जयंती मनाई:शबाना-जावेद का नाटक दिखाया, साहित्य, कला और संगीत का संगम हुआ
लखनऊ के निशातगंज स्थित ऑल इंडिया कैफी आजमी एकेडमी में मशहूर शायर कैफी आजमी की 106वीं जयंती पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कैफी आजमी की मूर्ति पर माल्यार्पण से हुई, जिसके बाद परंपरागत खिचड़ी भोज का आयोजन किया गया। समारोह की विशेष आकर्षण शबाना आज़मी और जावेद अख्तर का प्रसिद्ध नाटक 'कैफी और मैं' की वीडियो स्क्रीनिंग रही, जिसे जसविंदर सिंह की गजलों ने और भी खास बना दिया। प्रोफेसर रेशमा परवीन के नेतृत्व में युवाओं ने बैतबाजी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसमें विजेताओं को प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया। रौशनाई के योगदान पर प्रकाश डाला कार्यक्रम के दूसरे चरण में 'तरक्कीपसंद तहरीक: कल और आज, रौशनाई की रोशनी में' विषय पर एक महत्वपूर्ण सेमिनार आयोजित किया गया। बीएचयू की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर कमर जहां की अध्यक्षता में हुए इस सत्र में जेएनयू के प्रोफेसर अनवर पाशा ने सज्जाद जहीर और उनकी पुस्तक रौशनाई के योगदान पर प्रकाश डाला। एकेडमी के जनरल सेक्रेटरी सईद मेहदी ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य सभी आयु वर्ग के लोगों को एक मंच पर लाना है। सामाजिक रूढिय़ों के खिलाफ आवाज उठाई विभिन्न वक्ताओं ने प्रगतिशील साहित्य की महत्ता और सामाजिक रूढिय़ों के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का समापन डॉ. अजरा रिजवी द्वारा प्रस्तुत कैफी आजमी की गजलों के साथ हुआ, जिसने कैफी साहब की विरासत को जीवंत कर दिया।

लखनऊ में कैफी आजमी की 106वीं जयंती मनाई
लखनऊ, एक बार फिर से कला और साहित्य के अद्भुत संगम का गवाह बना, जब कैफी आजमी की 106वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर शबाना आजमी और जावेद अख्तर ने एक विशेष नाटक प्रस्तुत किया, जिसने उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया। यह न केवल कैफी आजमी के साहित्यिक योगदान को समर्पित था, बल्कि स्थानीय संस्कृति को भी संजोने का एक प्रयास था।
शबाना और जावेद का अद्भुत नाटक
शबाना आजमी और जावेद अख्तर ने इस जयंती पर एक नाटक का मंचन किया, जिसमें कैफी आजमी की रचनाओं और उनके जीवन को प्रदर्शित किया गया। यह नाटक दर्शकों को कैफी की कविताओं के माध्यम से एक अद्भुत यात्रा पर ले गया, जहाँ उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। दर्शकों ने नाटक की गहराई और भावनाओं से भरपूर प्रदर्शन की सराहना की।
साहित्य, कला और संगीत का संगम
कैफी आजमी की जयंती पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में साहित्य, कला, और संगीत का आकर्षक संगम देखने को मिला। कवियों ने अपनी आवाज में कैफी की रचनाओं का पाठ किया, जबकि संगीतकारों ने उनके लेखन को संगीत के माध्यम से जीवंत किया। यह कार्यक्रम न केवल एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक भी था।
समापन समारोह और भावनाएँ
कार्यक्रम का समापन एक भावुक चर्चा के साथ हुआ, जहाँ उपस्थित साहित्य प्रेमियों ने कैफी आजमी की महत्वपूर्णता और उनके साहित्यिक योगदान के बारे में अपने विचार साझा किए। शबाना और जावेद के साथ-साथ अन्य दर्शकों का मानना था कि इस तरह के आयोजन न केवल समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं, बल्कि हम सभी को एकजुट करने का कार्य भी करते हैं।
इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल कैफी आजमी की विरासत मजबूत होती है, बल्कि यह पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच एक पुल का कार्य करती है।
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