लखनऊ में पॉक्सो एक्ट में कोर्ट ने सुनाई सजा:बलात्कार के आरोपी को 20 साल की सजा; साल 2015 में नाबालिग से किया था दुष्कर्म

लखनऊ के पारा क्षेत्र में साल 2015 में दर्ज बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के मामले में सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी सुरेश दयाल वर्मा को 20 साल के कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत का फैसला विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-2, लखनऊ ने आरोपी को दुष्कर्म और धारा 4 पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया। अदालत ने दोनों धाराओं में 20-20 साल की सजा और ₹10,000 का जुर्माना लगाया। साल 2015 में थाना पारा में दर्ज एफआईआर में सुरेश दयाल वर्मा पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप था। पुलिस और अभियोजन टीम की मेहनत यह सजा ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत लखनऊ पुलिस और अभियोजन विभाग के संयुक्त प्रयासों से संभव हुई। पुलिस कमिश्नर अमरेंद्र कुमार सेंगर के नेतृत्व और प्रभारी निरीक्षक सुरेश सिंह की टीम की प्रभावी पैरवी से यह सफलता मिली। दोषी सुरेश दयाल वर्मा, निवासी हरिदासपुर, थाना जामो, अमेठी, वर्तमान में बालागंज, लखनऊ में रह रहा था।

Jan 27, 2025 - 19:59
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लखनऊ में पॉक्सो एक्ट में कोर्ट ने सुनाई सजा

लखनऊ की एक विशेष अदालत ने पॉक्सो एक्ट के तहत एक बलात्कार के आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2015 में एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोप से जुड़ा हुआ है। अदालती आदेश इस बात का प्रमाण है कि भारतीय न्याय व्यवस्था बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा को गंभीरता से लेती है।

मामले का विवरण

यह कांड उन घटनाओं में से एक है जो हमें यह याद दिलाते हैं कि हमारे समाज में नाबालिगों की सुरक्षा का कितना महत्व है। आरोपी पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था, जो न केवल एक आपराधिक कृत्य है बल्कि मानवता के खिलाफ भी है। अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया।

कोर्ट के फैसले का महत्व

कोर्ट द्वारा सुनाई गई यह सजा न केवल पीड़िता के लिए न्याय है, बल्कि समाज में यह एक मजबूत संदेश भी है कि ऐसे अपराधों को हल्के में नहीं लिया जाएगा। यह फैसला खासतौर पर उन परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जिनके बच्चे ऐसी घटनाओं का शिकार होते हैं। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि नाबालिगों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने जरूरी हैं।

आगे का रास्ता

हमारे कानूनों में सुधार करना और ऐसे मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है। इस तरह के मामलों को सख्ती से निपटाने के लिए समाज को भी एकजुट होना होगा। पीड़ितों को सहायता प्रदान करने और उनके पुनर्वास के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

लखनऊ में पॉक्सो एक्ट के तहत सुनाई गई सजा इस बात की पुष्टि करती है कि न्याय की प्रक्रिया सही दिशा में चल रही है। हमें अपनी छोटी-छोटी जीतों को संजोना होगा और ऐसे मामलों में आवाज उठानी होगी।

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