लोक निर्माण विभाग ने 234 करोड़ का बजट किया जारी:सिर्फ 124 करोड़ किए खर्च, अधिशासी अभियंता से मांगा जवाब
लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड में बजट खर्च को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है। विभाग को इस वित्तीय वर्ष में 234.28 करोड़ रुपए का बजट मिला था। लेकिन विभागीय अधिकारी इसमें से केवल 124.87 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाए। शासन स्तर की समीक्षा में यह मामला सामने आया। निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले महज 53 फीसदी बजट खर्च किया गया। इस पर प्रमुख अभियंता मुकेश चंद्र शर्मा ने अधिशासी अभियंता राजेश चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा है। विभाग पहले से ही विवादों में रहा है। पूरे साल ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों को टेंडर देने से लेकर ई-टेंडर की ईएमडी में गड़बड़ी के मामले सामने आए। बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत भी ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों से कराई गई। प्रमुख अभियंता ने कहा कि बजट खर्च में कमी शिथिल नियंत्रण और लापरवाही दिखाती है। उन्होंने तीन दिन में कार्यों की प्रगति बढ़ाने और बजट खर्च करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य अभियंता के माध्यम से तीन दिन में जवाब न मिलने पर उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

लोक निर्माण विभाग ने 234 करोड़ का बजट किया जारी: सिर्फ 124 करोड़ किए खर्च, अधिशासी अभियंता से मांगा जवाब
News by indiatwoday.com
बजट जारी: महत्वपूर्ण जानकारियाँ
लोक निर्माण विभाग ने हाल ही में 234 करोड़ रुपये का एक बड़ा बजट जारी किया है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य विभिन्न निर्माण कार्यों को गति देना और राज्य में आधारभूत संरचना को मजबूत करना है। लेकिन, खबर यह है कि विभाग ने अब तक सिर्फ 124 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं, जिससे इस बजट के सही उपयोग पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
खर्च पर सवाल
जब बजट के आधे से कम हिस्से का ही उपयोग किया गया है, तो यह स्पष्ट है कि अधिशासी अभियंता से जवाब मांगा गया है कि आखिरकार शेष राशि का क्या हुआ। यह स्थिति जल, सड़क और हैंडपोस्टिंग जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
अधिशासी अभियंता का उत्तरदायित्व
अधिशासी अभियंता को इस मामले में स्पष्ट जवाब देना होगा। विभाग उनके उत्तर का इंतजार कर रहा है, ताकि पता चल सके कि किन कारणों से बजट का आदान-प्रदान सही तरीके से नहीं हुआ। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि वार्षिक बजट का सही ढंग से उपयोग हो रहा है।
भविष्य की योजनाएँ
यह मुद्दा केवल एक खर्च की गड़बड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य की योजनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। लोक निर्माण विभाग का लक्ष्य है कि वे अगले बजट में सभी आवश्यक मदों को ध्यान में रखते हुए अधिक बेहतर कार्य करें और योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।
निष्कर्ष
इस प्रकार, 234 करोड़ के बजट का केवल 124 करोड़ रुपये खर्च होना गंभीर चिंता का विषय है। सम्बन्धित अधिकारियों को इस मामले में सक्रियता से कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
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