शिमला में छात्रा ने लगाई फांसी:10 साल पहले पिता हो गया अलग, मां दिल्ली शादी में गई थी; बेटी ने की आत्महत्या
शिमला के मैहली इलाके में एक 18 वर्षीय छात्रा ने अपने कमरे के बालकनी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना मंगलवार रात करीब 10 बजे की है। छात्रा यहां बिन्द्रा होमस्टे में रह रही थी। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मृतका की बहन अग्रेता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उनकी मां एक दिन पहले दिल्ली में किसी शादी समारोह में गई थी। घर पर दोनों बहनें अकेली थीं और अलग-अलग कमरों में पढ़ाई कर रही थीं। मान्या सुबह से ही उसे परेशान दिख रही थी, लेकिन उसने उसे पूछने पर कुछ नहीं बताया। छात्रा ने अंदर से दरवाजा कर लिया था बंद रात करीब 10:15 बजे वह दो-तीन बार बालकनी में आई-गई, इसके बाद दोनों बहनें अपने अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद जब अग्रेता बहन के कमरे में जाने लगी, तो कमरा अंदर से बंद था। इस पर उसने बहन को आवाज दी लेकिन उसने आवाज नहीं सुनी इस वह अपने कमरे से बालकनी में गई, जहां उसने देखा कि मान्या ने दरवाजे में लगे लोहे के एंगल से फंदा लगा लिया था। अपनी मां-बहन के साथ रहती थी युवती अग्रेता ने तुरंत मां को फोन किया और कुछ ही देर में मौसी व अन्य रिश्तेदार मौके पर पहुंचे। उन्होंने मान्या को नीचे उतारा और फंदा खोला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।उधर पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मृतक मान्या के माता-पिता 2014 से अलग-अलग रह रहे थे। मान्या अपनी मां और बहन के साथ रहती थी। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

शिमला में छात्रा ने लगाई फांसी: 10 साल पहले पिता हो गया अलग, मां दिल्ली शादी में गई थी; बेटी ने की आत्महत्या
शिमला में एक बेहद दुखद घटना सामने आई है, जहां एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। यह घटना तब हुई जब उसकी मां दिल्ली एक शादी में गई थी। यह जानकर सिहरन होती है कि छात्रा के पिता 10 साल पहले ही अलग हो चुके थे, जिससे और भी परेशानियां बढ़ी थीं। इस घटना ने पूरे शिमला में शोक की लहर फैला दी है।
पारिवारिक स्थिति और छात्रा की मानसिक स्वास्थ्य
छात्रा, जो अभी किशोरावस्था में थी, अपने जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही थी। उसके पिता के अलग होने के बाद से घर में माहौल गंभीर रूप से प्रभावित हुआ था। मां की अनुपस्थिति ने उसकी मानसिक स्थिति को और भी बिगाड़ दिया। मानसिक स्वास्थ्य ने खास तौर पर इस मुद्दे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, स्थानीय समुदाय में शोक की लहर फैल गई। लोग इस घटना के कारण और इसके पीछे की स्थिति के बारे में सोचने पर मजबूर हो गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका जवाब देने की आवश्यकता पर जोर दिया है और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की मांग की है।
आत्महत्या रोकने के उपाय
यह घटना आत्महत्या के बढ़ते मामलों की एक और कड़ी है, जो हमें बता रही है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संबंधों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि परिवारिक समर्थन और संवाद से बच्चों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने और सहायता पाने में मदद मिल सकती है।
इसके साथ ही, स्कूलों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास जरूरी हैं। शिमला की इस घटना ने एक बार फिर हमें याद दिलाया है कि हमें अपने युवा पीढ़ी के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाने की आवश्यकता है।
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