संगम तट पर भगदड़, कई लोगों के मरने की आशंका:घायलों को लेकर हॉस्पिटल पहुंचीं एंबुलेंस; मौनी अमावस्या के कारण पहुंची 8-10 करोड़ की भीड़

प्रयागराज के संगम तट पर अमृत स्नान से पहले देर रात करीब 2 बजे भगदड़ मच गई। जिसमें कई लोगों के मरने की आशंका है। ग्राउंड जीरो पर मौजूद दैनिक भास्कर के रिपोर्टर्स के मुताबिक अफवाह के चलते लोग भागने लगे। एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक भगदड़ मचते ही लोग दौड़े। इससे कुछ महिलाएं जमीन पर गिर गईं और लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। खबर मिलते ही 5 से ज्यादा एंबुलेंस घायलों को लेकर सेंट्रल हॉस्पिटल रवाना हुई हैं। महाकुंभ में आज मौनी अमावस्या का अमृत स्नान है। जिसके चलते हर तरफ श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन के मुताबिक संगम समेत 44 घाटों पर 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। इससे ठीक एक दिन पहले यानी मंगलवार को साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। मेला क्षेत्र और शहर में साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए हैं। सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। धार्मिक महत्व : सूर्य-चंद्रमा का मिलन, इसलिए अहम है मौनी अमावस्या मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व क्या है? इसे लेकर हमने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर गिरजा शंकर शास्त्री से बातचीत की। उन्होंने बताया- मौनी अमावस्या ही मुख्य है। कुंभ भी इसी के इर्द-गिर्द हुआ करता है। पुराणों में कहा गया है कि वृष राशि में बृहस्पति, मकर राशि में सूर्य और चंद्रमा हों तो कुंभ महापर्व का योग बनता है। सबसे महत्वपूर्ण ये है कि मकर में चंद्रमा सिर्फ 2 दिन के लिए रहते हैं। इसलिए पूरे कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या ही प्रधान माना जाता है। सूर्य आत्मा, चंद्रमा मन और बृहस्पति ज्ञान हैं। सूर्य-चंद्रमा के एकसाथ होने से मौनी अमावस्या पर्व होता है। इस दिन चंद्रमा (मन) का मिलन सूर्य (आत्मा) से होता है। इससे चंद्रमा के दर्शन नहीं होते। ये चिंतन ऋषि-मुनियों ने बहुत पहले किया था। अगर मन मौन हो जाए तो वाणी नहीं निकलती है। इसलिए मौन रहकर ही मौनी अमावस्या का स्नान करना चाहिए। स्नान करने से खत्म हो जाते हैं पाप गिरजा शंकर शास्त्री बताते हैं- इस दिन भगवान का चिंतन कर स्नान करने से सभी पाप हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। मन, बुद्धि, चित्त सब शांत हो जाते हैं। तभी भगवान और आत्मा का दर्शन होता है। ज्ञान की पराकाष्ठा इसी स्थिति में हो पाती है। शरीर और मन भी निर्बल होता है। इसलिए मौनी अमावस्या पर स्नान का सबसे अधिक महत्व है। नदी में नहाएं, घर में हों तो गंगाजल में पानी डालकर स्नान करें राजेंद्र पालीवाल ने बताया- मौनी अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न, कपड़े, तिल और चावल का दान करें। मान्यता है, ऐसा करने से पितर खुश होते हैं। इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। ये संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इस दिन गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन खिलाना शुभ माना जाता है। यह पितरों को प्रसन्न करता है। मौनी अमावस्या के दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में तेल का दीया जलाएं। यह दिशा पितरों की मानी जाती है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से पितरों की कृपा मिलती है। साथ ही सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। मांस-शराब का सेवन न करें, पितर हो सकते हैं नाराज मौनी अमावस्या के दिन मांस, मछली और शराब जैसी चीजें नहीं खानी चाहिए। ये चीजें पितरों को नाराज कर सकती हैं। अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों या किसी और के लिए गलत बात न कहें। यह पितरों की नाराजगी का कारण बन सकता है। इस दिन कुत्ते, गाय और कौवे जैसे जानवरों को कष्ट देना अशुभ माना जाता है। घर और आसपास सफाई रखें, क्योंकि गंदगी फैलाने से नेगेटिव एनर्जी आती है। धर्म की रक्षा के लिए इकट्ठा हुए साधु-संत, वहीं से शुरू हुई शाही स्नान की परंपरा शाही स्नान को लेकर धार्मिक और ज्योतिष दृष्टि से अलग-अलग मत मिलते हैं। धर्म के जानकार कहते हैं कि गृहों की विशेष स्थिति में करने वाले स्नान को शाही स्नान कहा जाता है। ये परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। जबकि इतिहासकार शाही स्नान के पीछे कुछ और कहानी बताते हैं। वे कहते हैं कि शाही स्नान की शुरुआत 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई, जब भारत में मुगलों के आक्रमण की शुरुआत हो चुकी थी। ऐसे में साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों के रूप में एकजुट होना शुरू किया। इसमें नागा साधुओं की भी मदद ली गई। जब संघर्ष बढ़ा तो साधु-संतों और शासकों ने बैठक की। इसमें तय हुआ कि दोनों एक-दूसरे के धर्म के काम में कुछ नहीं कहेंगे। साधुओं को सम्मान देने, धर्म की रक्षा करने और एकजुटता दिखाने के लिए साधु-संतों को घोड़ों पर बैठाकर उनकी पेशवाई निकाली गई। इस दौरान उनका ठाठ-बाट राजाओं जैसा होता था। वहीं से शाही स्नान की परम्परा शुरू हुई। पहले की दो मौनी अमावस्या पर मच चुकी भगदड़, इस बार सुरक्षा ज्यादा प्रयागराज में साल-2013 के कुंभ मेला के दौरान 10 फरवरी रविवार को मौनी अमावस्या का स्नान था। स्नान करके श्रद्धालु लौट रहे थे। प्रयागराज जंक्शन पर बड़ी संख्या में यात्री पहुंच चुके थे। सभी प्लेटफॉर्म ठसा-ठस भरे थे। शाम 7 बजे प्लेटफॉर्म नंबर-6 की तरफ जाने वाले फुटओवरब्रिज की सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मची। धक्का-मुक्की में कई लोग ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे। कई लोगों को भीड़ ने कुचल दिया। इसमें 35 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में यूपी, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के श्रद्धालु थे। इससे पहले 1954 के कुंभ में मौनी अमावस्या पर्व पर त्रिवेणी बांध पर भगदड़ मची और इसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं को जान गंवानी पड़ी थी। ये दो घटनाएं ऐसी हैं, जिनकी वजह से महाकुंभ प्रशासन मौनी अमावस्या पर पहले से ज्यादा चाक-चौबंद व्यवस्थाएं करता है। महाकुंभ के मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया- इस बार मौनी अमावस्या पर 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। हमने तैयारियां इससे ज्यादा की हैं। माना जा रहा है कि महाकुंभ शुरू होने से लेकर मौनी अमावस्या तक करीब 16 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में स

Jan 29, 2025 - 02:59
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संगम तट पर भगदड़, कई लोगों के मरने की आशंका:घायलों को लेकर हॉस्पिटल पहुंचीं एंबुलेंस; मौनी अमावस्या के कारण पहुंची 8-10 करोड़ की भीड़
प्रयागराज के संगम तट पर अमृत स्नान से पहले देर रात करीब 2 बजे भगदड़ मच गई। जिसमें कई लोगों के मरने की

संगम तट पर भगदड़, कई लोगों के मरने की आशंका

मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम तट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते एक भगदड़ पैदा हो गई, जिससे कई लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। इस घटना ने लोगों के मन में दहशत पैदा कर दी है, और अधिकारी मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत राहत कार्य कर रहे हैं।

भगदड़ का कारण और घटनास्थल

गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आयोजित होने वाले इस मेले में लगभग 8-10 करोड़ श्रद्धालु उमड़ने की उम्मीद थी। भीड़ का यह विशाल जमावड़ा और प्रशासन की व्यवस्था में कमी के कारण भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई। घटनास्थल पर तुरंत एंबुलेंस और救援 टीमें भेजी गईं हैं ताकि घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा सके।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने एंबुलेंस सेवाओं को सक्रिय कर दिया है और घायलों के इलाज के लिए अस्पतालों में सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि हम सभी घायल व्यक्तियों का ध्यान रख रहे हैं और किसी भी पीड़ित को मदद नहीं मिलेगी।

संगम तट पर सुरक्षा प्रबंध

इस भगदड़ की घटना ने संगम तट पर सुरक्षा की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। अधिकारियों ने कहा है कि वे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएंगे। सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी और श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नए उपाय किए जाएंगे।

इस दुखद घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। प्रशासन की प्राथमिकता घायलों की सहायता करना और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करना है।

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