सहारनपुर में कर्ज से नहीं..बेइज्जती के डर से खाया जहर:मृतक महिला थी प्रेग्नेंट, फ्यूजन कंपनी के कर्मचारी पर धमकी देने का आरोप
सहारनपुर में 13 जनवरी को तीन बच्चों समेत दंपती ने जहर खा लिया था। जिसमें डेढ़ साल के बेटे की उसी दिन मौत हो गई थी। लेकिन उसकी मां की मौत 14 जनवरी को हुई। महिला चार माह की प्रेग्नेंट थी। पूरे मामले में कर्ज नहीं बल्कि बेइज्जती का डर सामने आया है। विकास देर रात को होश में आया था, उसने परिजनों को बताया कि उसे फ्यूजन कंपनी का कर्मचारी धमकी दे रहा था। वो बार-बार आ रहा था। लेकिन कर्ज लेकर सारी चीज बनाई थी। गांव और परिवार के लोगों के बेइज्जती होगी, इस डर से परिवार समेत सुसाइड करने की सोची थी। बेइज्जती का था विकास को डर दरअसल, विकास ने खुद तो फाइनेंस पर पैसा उठा रखा था। अपनी पत्नी रजनी से भी महिला समूह के माध्यम से कर्ज पर पैसा उठा रखा था। इन पैसों को काम में लगाने के बजाय विकास ने घर में बच्चों की सुख-सुविधा का सामान लाकर रखा। उसने फाइनेंस पर बाइक भी खरीदी थी। कर्ज वो धीरे-धीरे दे रहा था लेकिन फिलहाल उसका हाथ काफी तंग कर चल रहा था। जिस कारण वो कई फाइनेंस कंपनियों की किस्त नहीं चुका पा रहा था। लेकिन फ्यूजन कंपनी का एक कर्मचारी बार-बार किस्त लेने उसके घर आ रहा था। लेकिन विकास के पास किस्त भरने के पैसे नहीं थे। 12 जनवरी को भी फ्यूजन कंपनी के लोग वसूली करने पहुंचे थे। उस वक्त काफी अभद्रता उन्होंने की थी। लेकिन विकास को लगा अब कर्ज और किस्त न देने की बात गांव और उसके परिवार के लोगों में फैल जाएगी। क्योंकि वो लगातार उसकी और उसकी पत्नी की बेइज्जती करके जा रहे थे। विकास को 14 जनवरी की रात को होश आया तो उसने सारी बात अपने परिजनों और ग्रामीणों को बताई। ऐसे लिया कर्ज और फंसता गया विकास ने सबसे पहले अपनी पत्नी रजनी के नाम पर 20 हजार रुपए का कर्ज लिया था। समय पर किस्तें चुकाने के चलते फाइनेंस कंपनियां उन्हें बार-बार लोन देती रहीं। धीरे-धीरे विकास ने अपने घर के लिए एलईडी, फ्रिज, वाशिंग मशीन और यहां तक कि फेरी पर जाने के लिए बाइक तक फाइनेंस पर खरीद ली। कर्ज के बढ़ते बोझ ने उन्हें एक के बाद दूसरी माइक्रो फाइनेंस कंपनी से लोन लेने पर मजबूर कर दिया। बंधन बैंक, सत्य फाइनेंस, उज्जीवन फाइनेंस बैंक, दिशा फाइनेंस समेत 8 से 10 कंपनियों से उन्होंने करीब पांच लाख रुपए का कर्ज ले रखा था। यह कदम उन्होंने कर्ज के बढ़ते बोझ और वसूली एजेंटों के दबाव के चलते उठाया। विकास 13 जनवरी को पत्नी रजनी और बच्चों को लेकर बाइक पर घर से निकला था। कहीं सुनसान जगह जाकर सुसाइड करने का प्लान बनाया। बाइक पर बैठकर वो गागलहेड़ी-देवबंद मार्ग पर पहुंचा। उसने सल्फास पाउडर पहले ही ले लिया था। विकास ने एक दुकान से चाय बनवाई। पत्नी को कहा-बच्चों को चाय पिला दे और उसके बाद दोनों ने चाय पी ली थी। अब गर्भवती रजनी की मौत हो गई। डेढ़ साल के बेटे विवेक की भी मौत हो गई। परी और पलक भी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती है और जिंदगी मौत के बीच जूझ रही है। हालांकि डॉक्टरों और परिजनों का कहना है कि अभी विकास और बच्चे ठीक है।

सहारनपुर में कर्ज से नहीं..बेइज्जती के डर से खाया जहर: मृतक महिला थी प्रेग्नेंट, फ्यूजन कंपनी के कर्मचारी पर धमकी देने का आरोप
सहारनपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसमें एक प्रेग्नेंट महिला ने बेइज्जती के डर से जहरीला पदार्थ सही लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, मृतका के पति ने बताया कि उनकी पत्नी पर फ्यूजन कंपनी के एक कर्मचारी ने धमकी दी थी, जिससे वह मानसिक तनाव में थीं।
घटनास्थल और उसके पीछे की वजह
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना उस समय घटी जब मृतका ने अपने परिवार को बताया कि उसे पैसे लौटाने के लिए काफी दबाव बनाया जा रहा था। हालांकि, कर्ज का इतना बड़ा मामला होने के बावजूद, वह अपने समाज में खड़ी हुई बेइज्जती के भय से कमजोर पड़ गई।
घटना की जांच
स्थानीय पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि फ्यूजन कंपनी के कर्मचारी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विशेष रूप से पुरुषों द्वारा महिलाओं पर बढ़ते इस तरह के दबाव और धमकियों को निवारण करने की आवश्यकता है।
समाज में बढ़ते तनाव के कारण
यह घटना यह दिखाती है कि हमारे समाज में अभी भी ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। महिलाएँ कई बार दबाव और धमकी के चलते ऐसे खतरनाक निर्णय लेती हैं, जो उनके जीवन को खतरे में डाल सकते हैं।
सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
हमें इस विषय पर अधिक चर्चा करने और समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता है। केवल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना ही पर्याप्त नहीं है; हमें परिवारों और समुदायों को जागरूक करना चाहिए कि कैसे वे अपने इलाज में चुप्पी तोड़ सकते हैं और जरूरी कदम उठा सकते हैं।
यह घटना सहारनपुर के लिए एक चेतावनी है कि बेइज्जती और मानसिक दबाव के मामले में हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए। परिवार और समुदाय की सहायता से ही हम ऐसे मामलों को टाल सकते हैं।
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