सहारनपुर में मां शाकंभरी का प्रकटोत्सव मनाया:9 राज्यों से श्रद्धालु मां के दरबार पहुंचे, प्रसाद चढ़ाकर मांगी मन्नत, 56 भोग लगाए
शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित सिद्ध पीठ मां शाकंभरी देवी के प्रकटोत्सव मनाया गया। हजारों श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचे और श्रद्धा पूर्वक प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांगी। मां भगवती को छप्पन भोग और 36 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए गए। वेस्ट यूपी, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, बिहार और राजस्थान से श्रद्धालु पहुंचे। मां शाकंभरी जयंती के अवसर पर रविवार को विशाल भगवती जागरण हुआ। जिसमें भक्तों ने मां की महिमा का गुणगान किया। सोमवार को शतचंडी महायज्ञ में पूर्ण आहुति के साथ समारोह का समापन हुआ। भक्तों को आलू, शकरकंदी और शराल का विशेष प्रसाद वितरित किया गया। शंकराचार्य आश्रम के भैरव तंत्राचार्य सहजानंद महाराज ने बताया-सहारनपुर से 40 किलोमीटर दूर तहसील बेहट की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित मां शाकंभरी का यह मंदिर देवी दुर्गा के शाकंभरी स्वरूप को समर्पित है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा को मां दुर्गा ने शाकंभरी रूप में प्रकट होकर पृथ्वी पर हरियाली फैलाने के लिए शाक, फल और वनस्पतियों को उत्पन्न किया था। भक्तों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी ने नौ दिनों तक अपनी हजार आंखों से आंसुओं की बारिश की थी, जिससे अकाल का अंत हुआ। 7 जनवरी से शुरू हुए इस महोत्सव में दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल हुए। वेस्ट यूपी, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, बिहार और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से भक्त मां के दर्शन करने पहुंचे। जन्म जयंती पर मां के भवन को शाक, सब्जी और फूलों से सजाया गया। शंकराचार्य आश्रम और सत्संग भवन में भैरव तंत्राचार्य सहजानंद महाराज के नेतृत्व में शतचंडी महायज्ञ आयोजित किया गया। इसके साथ ही मंदिर व्यवस्थापक आदित्य प्रताप राणा ने भक्तों के लिए पीने के पानी, ठहरने और अलाव की विशेष व्यवस्था की। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। मां शाकंभरी के प्रकटोत्सव पर अन्न, फल और सब्जी का दान कर श्रद्धालुओं ने पुण्य लाभ अर्जित किया। इस आयोजन में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और उत्साह देखने लायक था। मां शाकंभरी का यह जयंती समारोह न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक बन गया है।

सहारनपुर में मां शाकंभरी का प्रकटोत्सव मनाया
श्रद्धालुओं की भीड़ ने मां का आशीर्वाद लिया
सहारनपुर में मां शाकंभरी का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया गया, जिसमें 9 राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे। भक्तों ने मां के दरबार में श्रद्धा भाव से प्रार्थना की और अनेक मन्नतें मांगी। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण था 56 भोग का आयोजन, जिसे श्रद्धालुओं ने भव्य तरीके से मां को चढ़ाया। विशेष रूप से, हर साल की तरह, इस बार भी लाखों लोग इस दिव्य अवसर का भागीदार बने।
भव्य आयोजन की तैयारी और श्रद्धालुओं का उत्साह
इस साल का प्रकटोत्सव विशेष रूप से भव्य था। आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की गई थीं, जिसमें सजावट, आयोजन स्थल की व्यवस्था और सुरक्षा का ध्यान रखा गया। श्रद्धालुओं का मानना था कि मां शाकंभरी की कृपा से उनके जीवन में सुख और समृद्धि आएगी। भक्तों ने आस्था के साथ मां के दरबार में अपनी श्रद्धा अर्पित की और प्रसाद चढ़ाकर अपनी मन्नतें मांगी। ऐसे आयोजनों का महत्व न केवल धार्मिक होता है, बल्कि यह श्रद्धालुओं के मनोबल को भी बढ़ाता है।
56 भोग का महत्व
मां शाकंभरी को चढ़ाए गए 56 भोग का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इन भोगों में सच्ची श्रद्धा और प्रेम से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भोग में विभिन्न प्रकार के पकवान शामिल होते हैं, जो स्थानीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक हैं। भक्तों ने इस दिन पर पहले से ही तैयारियों में जुटकर मां को प्रसाद चढ़ाने की प्रक्रिया को एक पवित्र कार्य माना।
उपयुक्त आस्था के साथ भक्तों का लिप्त होना
सहारनपुर में इस प्रकटोत्सव के दौरान भक्तों ने केवल पूजा-अर्चना ही नहीं की, बल्कि उन्होंने स्थानीयता का जश्न मनाने का भी कार्य किया। अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न कला रूपों और संगीत का समावेश था। इस कार्यक्रम ने सभी आयु वर्ग के श्रद्धालुओं को एकत्र किया, जो एक दूसरे के साथ अपनी आस्था और संस्कृतियों को बांटने में जुटे।
इस अवसर पर एक बात स्पष्ट है, कि सहारनपुर की शाकंभरी माता का प्रकटोत्सव केवल एक धार्मिक समारोह नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जो श्रद्धालुओं को नई ऊर्जा और आस्था प्रदान करता है।
News by indiatwoday.com Keywords: सहारनपुर, मां शाकंभरी, प्रकटोत्सव, श्रद्धालु, 56 भोग, मन्नत, धार्मिक उत्सव, भक्ति, प्रसाद, आस्था, संस्कृति, सांस्कृतिक कार्यक्रम, श्रद्धा भाव, 9 राज्यों के भक्त, माँ का आशीर्वाद.
What's Your Reaction?






