सुनीता अंतरिक्ष से लौंटी, लेकिन कल्पना नहीं लौट पाईं:धरती से सिर्फ 16 मिनट की दूरी पर थीं, तभी स्पेसक्राफ्ट में हुआ धमाका
तारीख- 1 फरवरी 2003 जगह- टेक्सास, अमेरिका नासा का अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 तेजी से धरती की तरफ लौट रहा था। भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला इस यान से अपना दूसरा स्पेस मिशन पूरा करके वापस लौट रही थीं। धरती से करीब 2 लाख फीट दूर इस यान की स्पीड 20 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा थी। इसे धरती तक पहुंचने में 16 मिनट लगने थे, लेकिन अचानक नासा का इस यान संपर्क टूट गया। स्पेसक्राफ्ट में जोरदार धमाका हुआ और यह आग के धधकते गोले में बदल गया। खबर आई की कोलंबिया शटल स्पेस यान क्रैश हो गया है। कल्पना चावला समेत सभी 7 एस्ट्रोनॉट की मौत हो गई है। 22 साल पहले उस दिन क्या हुआ था... 16 दिन का मिशन कामयाबी से 16 मिनट पहले फेल हुआ आज सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी से पूरे देश में जश्न का माहौल है, लेकिन 2003 में ऐसे ही एक मिशन की नाकामी ने पूरे देश की आंखों में आंसू भर दिए थे। कल्पना चावला ने पहली बार 19 नवंबर 1997 को स्पेस के लिए उड़ान भरी थी। अपनी पहली स्पेस यात्रा में वो 372 घंटे अंतरिक्ष में रही थीं। इसके बाद उन्हें 16 जनवरी 2003 को दूसरी बार अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला। 1 फरवरी 2003 को कल्पना चावला को सुरक्षित धरती पर वापस लौट आना था, लेकिन उनका यह मिशन फेल हो गया। दरअसल कल्पना चावला के स्पेसक्राफ्ट के टेकऑफ करते वक्त यान के फ्यूल टैंक से निकले इंसुलेटिंग फोम के टुकड़े शटल के बाएं पंख से टकरा गए थे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे उन टाइलों को नुकसान पहुंचा था जो यान को उस वक्त को तेज गर्मी से बचाता है जब वो पृथ्वी के वायुमंडल में एंट्री करता है। इस वजह से जैसे ही कल्पना चावला का स्पेसक्राफ्ट धरती के वायुमंडल में पहुंचा तो हवा के तेज घर्षण की गर्मी से एक बड़ा धमाका हुआ और सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई। कल्पना ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में की थी PDH कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। वे अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। कल्पना को बचपन से ही हवाई जहाज और उड़ान की दुनिया में रुचि थी। उनकी शुरुआती शिक्षा करनाल से हुई। इसके बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। अमेरिका से हासिल की एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री कल्पना 1982 में अमेरिका चली गईं थी। उन्होंने 1984 में टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। 1986 में उन्होंने इसी विषय पर दूसरी मास्टर डिग्री और फिर पीएचडी की। कल्पना चावला ने 1983 में फ्रांस के जॉन पियर से शादी की थी। वे पेशे से फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे। सिर्फ 35 साल की उम्र में हो चली गई थी जान 1997 में बनी थीं भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को 1991 में अमेरिका की नागरिकता मिली और उसी साल वे नासा से जुड़ीं। 1997 में अंतरिक्ष में जाने के लिए नासा स्पेशल शटल प्रोग्राम में चुनी गईं। 19 नवंबर 1997 को कोलंबिया स्पेस शटल (STS-87) के जरिए कल्पना चावला का पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू हुआ था। इसके साथ ही वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला बन गईं। उस समय कल्पना की उम्र 35 साल थी। अपनी पहले अंतरिक्ष मिशन पर, चावला ने 65 लाख मील से अधिक की दूरी तय की और अंतरिक्ष में 376 घंटे (15 दिन और 16 घंटे) से अधिक बिताए। कल्पना चावला की यह आखिरी सफल अंतरिक्ष यात्रा साबित हुई। 16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला अपने दूसरे और जीवन के आखिरी स्पेस मिशन का हिस्सा बनीं। मेकअप और फैशन से थीं दूर कल्पना चावला हमेशा टॉम बॉय रही हैं। उन्हें बचपन से ही छोटे बाल रखना पसंद था। मेकअप और फैशन से उनका कोई लेना देना नहीं था। जब उनकी बड़ी बहन की शादी हो रही थी तब उन्होंने 3 दिन तक एक कपड़े पहने रखे। जब उनसे पूछा गया कि वह कपड़े क्यों नहीं बदल रहीं तो उन्होंने कहा कि यह सब जरूरी नहीं है। इनसे वक्त ही बर्बाद होता है। ----------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौटीं सुनीता विलियम्स:फ्लोरिडा तट पर लैंड हुआ यान, स्पेस स्टेशन से लौटने के सफर में 17 घंटे लगे भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं। इनके साथ क्रू-9 के दो और एस्ट्रोनॉट निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी हैं। उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर लैंड हुआ। यहां पढ़ें पूरी खबर... सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी की 16 PHOTOS:7 मिनट टूट गया था स्पेसक्राफ्ट से संपर्क; लैंड होने के बाद समुद्र में तैरा भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अपने चार साथियों के साथ मंगलवार देर रात 3:27 बजे पृथ्वी पर लौट आईं। वे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 9 महीने 14 दिन तक रहीं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से उन्हें पृथ्वी पर लौटने पर 17 घंटे का वक्त लगा। यहां पढ़ें पूरी खबर...

सुनीता अंतरिक्ष से लौंटी, लेकिन कल्पना नहीं लौट पाईं
सुनीता शर्मा ने हाल ही में अंतरिक्ष यात्रा से लौटने का एक महत्वपूर्ण अनुभव साझा किया, जो हमें यह याद दिलाता है कि अंतरिक्ष में सुरक्षा किसी भी मिशन के लिए सबसे प्राथमिक तत्व है। यह घटना तब हुई जब उनका स्पेसक्राफ्ट धरती से महज 16 मिनट की दूरी पर था, और अचानक एक धमाका हुआ। इस घटना ने न केवल सुनीता को प्रभावित किया, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अंतरिक्ष यात्रा में संभावित खतरों की पहचान करना कितना महत्वपूर्ण है।
धमाके का विवरण
सुनीता अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों पर काम कर रहीं थीं, जब यह धमाका हुआ। यदि कल्पना कर सकें तो यह एक भयानक पल था, जिसमें हर क्षण का मूल्यांकन किया जा सकता था। एयरोस्पेस इंजीनियर्स ने इसकी जांच शुरू कर दी है ताकि पता लगाया जा सके कि यह धमाका कैसे हुआ और भविष्य में इसे कैसे रोका जा सकता है।
कल्पना चावला की याद
इस घटना ने कल्पना चावला की याद ताजा कर दी, जो एक प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थीं। उनकी कहानी ने कई युवा भारतीयों को विज्ञान और तकनीकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। लेकिन इस बार, जब सुनीता लौट रही थीं, तो कल्पना की तरह अन्य अंतरिक्ष यात्री को नहीं लाया जा सका। यह हमें यह बताता है कि अंतरिक्ष यात्राओं में हमेशा खतरे संभव हैं।
भविष्य की प्रवृत्तियाँ
इस घटना पर आगे की चर्चा में, विशेषज्ञों ने यह विचार व्यक्त किया कि हमें अंतरिक्ष यात्रा की तकनीक को और मजबूत करना होगा। यह महत्वाकांक्षा मानवता के लिए नई सीमाओं को खोल सकती है। आगे चलकर, हम सबको मिलकर एक सुरक्षित अंतरिक्ष अनुभव उपलब्ध कराने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।
स्थायी अनुसंधान, सुरक्षा उपाय और तकनीकी विकास की जरूरत है ताकि अंतरिक्ष मिशनों को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। हम सभी को सुनीता के साहस और प्रयास की सराहना करनी चाहिए।
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