स्कूल के वार्षिकोत्सव में प्राकृतिक खेती का संदेश:पूर्व ब्लॉक प्रमुख बोले- गाय के गोबर से खेती करें, रासायनिक खाद छोड़ें, बीमारी से मिलेगी मुक्ति
अयोध्या के मिल्कीपुर स्थित सुकना देवी सुखराज पब्लिक स्कूल में सोमवार को वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व ब्लॉक प्रमुख कमलेश यादव ने प्राकृतिक खेती की वकालत की। कमलेश यादव ने कहा कि विद्यालय में शिक्षक छात्रों का व्यक्तित्व विकसित करते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से छात्र अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़ते हैं। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां डॉ. एसपी सिंह एक गाय के गोबर और मूत्र से रासायनिक और कीटनाशक मुक्त खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में 33 प्रतिशत दूध का उत्पादन होता है। गाय का दूध, मूत्र और गोबर सभी लाभदायक हैं। पूर्वजों की तरह देसी खाद से खेती करने पर लोग स्वस्थ रहते थे। रासायनिक खादों से उपज तो बढ़ी है, लेकिन बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। अगर हम लोग पुरानी परंपरा से खेती पर आ जाएंगे तो स्वस्थ और निरोग भी रहेंगे। पहले के दौर में लोग अपने घर के आसपास साग सब्जी की खेती करते थे लेकिन आज के दौर में कोई नहीं करना चाहता है बाजारों में रासायनिक करो से उपजाई गई सब्जी बेची जा रही है जो बीमारी का भी बहुत बड़ा कारण बन रही हैं। सरकार भी प्राकृतिक खेती की ओर जोर दे रही है अच्छी भारत की परिकल्पना तभी हो सकती है जब लोग स्वस्थ रहेंगे। विद्यालय के प्रबंधक स्वामीनाथ यादव ने कहा कि विद्यालय एक मंदिर है। उन्होंने अभिभावकों से नियमित रूप से स्कूल आकर बच्चों और शिक्षकों से मिलने का आग्रह किया। कार्यक्रम में बच्चों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अभिभावक और छात्र मौजूद रहे।

स्कूल के वार्षिकोत्सव में प्राकृतिक खेती का संदेश
News by indiatwoday.com
प्राकृतिक खेती का महत्व
स्कूल के वार्षिकोत्सव में प्राकृतिक खेती का संदेश देने के लिए पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने उपस्थित सभी लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि आज की कृषि पद्धतियाँ अक्सर रासायनिक खादों पर निर्भर होती हैं, जो न केवल भूमि की उर्वरकता को नुकसान पहुँचाती हैं, बल्कि स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इस अवसर पर उन्होंने गाय के गोबर से खेती करने की अपील की, जिससे न केवल खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि अनेक बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी।
गाय के गोबर का उपयोग
गौमूत्र और गाय के गोबर का उपयोग प्राकृतिक खेती में एक महत्वपूर्ण पहलू है। पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि ये प्राकृतिक उत्पाद न केवल कृषि के पर्यावरण को बचाते हैं बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारते हैं। इसके अलावा, यह किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी भी है क्योंकि यह रासायनिक खादों की लागत को कम करता है।
रासायनिक खाद के हानिकारक प्रभाव
रासायनिक खादों के लंबे समय तक उपयोग से भूमि की उत्पादकता कम हो जाती है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन जाती है। पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने बताया कि बीमारी से बचाव के लिए प्राकृतिक खेती अपनाना आवश्यक है। इससे न सिर्फ खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
संवेदनशीलता का संचार
वार्षिकोत्सव में उपस्थित छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने प्राकृतिक खेती के महत्व को समझा और इसे अपनाने का संकल्प लिया। पूर्व ब्लॉक प्रमुख द्वारा दिए गए संदेश से सभी को यह समझ में आया कि एक स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करें।
निष्कर्ष
इस कार्यक्रम ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया। वार्षिकोत्सव में प्राकृतिक खेती के संदेश से एक नई सोच का निर्माण होगा, जो न केवल कृषि, बल्कि समाज के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होगा। हम सभी को इस दिशा में आगे बढ़ना होगा।
अधिक जानकारी के लिए, indiatwoday.com पर विजिट करें। Keywords: प्राकृतिक खेती, गाय के गोबर का उपयोग, रासायनिक खाद के हानिकारक प्रभाव, स्कूल वार्षिकोत्सव, स्वास्थ्य पर प्रभाव, खेती से बीमारी मुक्ति, गाँव के किसान, प्राकृतिक कृषि पद्धतियाँ, पर्यावरण संरक्षण, मौसमी फसलों की खेती.
What's Your Reaction?






