हत्या के आरोपी को उम्रकैद:तीन आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी, 25 हजार जुर्माना लगा, गोली मारकर की थी हत्या

हाथरस जिले के कोतवाली सासनी क्षेत्र में हुई हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट रामप्रताप सिंह की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने आरोपी विष्णु को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और 25 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं, अन्य तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। यह मामला एक अगस्त 2023 का है, जब गांव खिटोली कटेलिया निवासी डिप्टी सिंह (पुत्र चंद्रसेन) टहलने के लिए निकले थे। इसी दौरान बाइक पर सवार हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। हमले में डिप्टी सिंह के सिर में गोली लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद मृतक के परिजनों ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने जांच के बाद विष्णु व प्रमोद कुमार (पुत्रगण लाल बहादुर), कन्हैया कुमार (पुत्र सूरजपाल), और लोकेश (पुत्र मानसिंह) को अभियुक्त बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की। अदालत में सुनवाई और फैसला मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी प्रतिभा राजपूत ने पैरवी की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने विष्णु को दोषी मानते हुए उम्रकैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना अदा न करने पर अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। अन्य तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। न्याय की जीत बताया अभियोजन पक्ष की अधिवक्ता प्रतिभा राजपूत ने कहा, "यह फैसला न्याय की जीत है। आरोपी विष्णु के खिलाफ ठोस साक्ष्य अदालत के सामने प्रस्तुत किए गए, जिसके आधार पर उसे सजा दी गई।" डिप्टी सिंह के परिजनों ने अदालत के फैसले पर संतोष जताते हुए न्यायपालिका का धन्यवाद किया। उनका कहना है कि दोषियों को सजा मिलने से उन्हें कुछ हद तक न्याय का एहसास हुआ है।

Jan 10, 2025 - 10:45
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हत्या के आरोपी को उम्रकैद:तीन आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी, 25 हजार जुर्माना लगा, गोली मारकर की थी हत्या
हाथरस जिले के कोतवाली सासनी क्षेत्र में हुई हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट रा

हत्या के आरोपी को उम्रकैद: तीन आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी, 25 हजार जुर्माना लगा, गोली मारकर की थी हत्या

हाल ही में एक अदालत ने हत्या के एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में कुल चार आरोपी शामिल थे, जिनमें से तीन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। यह मामला उस समय का है जब आरोपी ने एक व्यक्ति को गोली मार कर हत्या कर दी थी। न्यायालय के फैसले ने साबित कर दिया है कि न्याय की प्रक्रिया में निष्पक्षता और तथ्यों के आधार पर ही सजा सुनाई जानी चाहिए।

मामले का विवरण

यह हत्या का मामला बेहद ही गंभीर था। पीड़ित की हत्या गोली मारकर की गई थी, जिससे स्थानीय समुदाय में भय का माहौल बना था। अदालत में सुनवाई के दौरान, रक्षा पक्ष ने यह साबित करने का प्रयास किया कि उनके पास साक्ष्य की कमी थी, जबकि अभियोजन पक्ष ने हत्या के आरोपी को कठोर सजा देने की मांग की।

अदालत का फैसला

अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि हत्या एक संगीन अपराध है और इसके प्रति कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि, तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, एक आरोपी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यह निर्णय न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर लिया।

समुदाय की प्रतिक्रिया

स्थानीय समुदाय ने इस फैसले का स्वागत किया है और न्यायपालिका के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है। यह निर्णय न केवल पीड़ित के परिवार को न्याय दिलाएगा, बल्कि भविष्य में ऐसे अपराधों की रोकथाम में भी मदद करेगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि सख्त सजा देने से अपराध की दर में कमी आएगी।

इस केस से जुड़े अन्य पहलुओं पर चर्चा किए जाने की आवश्यकता है, जैसे अपराध की रोकथाम हेतु राज्य की नीतियों पर वृहद विश्लेषण। इस मामले ने न्यायपालिका में विश्वास को और मजबूत किया है।

इस प्रकार, इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हत्या जैसे गंभीर अपराधों को गंभीरता से लिया जाएगा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

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