हिमाचल में 2003 के बाद भर्ती कर्मचारियों को झटका:डेट ऑफ एप्वाइंटमेंट से सीनियोरिटी-फाइनेंशियल बैनिफिट नहीं; राज्यपाल ने कर्मचारी भर्ती विधेयक को दी मंजूरी

हिमाचल प्रदेश में साल 2003 के बाद से अनुबंध पर भर्ती कर्मचारियों को बैक डेट से सीनियोरिटी और वित्तीय लाभ नहीं मिलेगे। राज्यपाल शिव प्रताप की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने देर शाम हिमाचल सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 को ई-गजट में प्रकाशित कर दिया है। इस बिल को सुक्खू सरकार ने विधानसभा के धर्मशाला में शीतकालीन सत्र में विपक्ष के विरोध के बीच पारित किया था। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद बीते 21 सालों में भर्ती कर्मचारी डेट ऑफ एप्वाइंटमेंट से सीनियोरिटी और फाइनेंशियल बैनिफिट नहीं मांग पाएंगे। हाईकोर्ट के आदेशों से बैकफुट पर आ गई थी सरकार दरअसल, हाईकोर्ट के आदेशों के कारण अनुबंध कर्मचारियों को बैक-डेट से वित्तीय लाभ और सीनियोरिटी देनी पड़ रही थी। इससे राज्य सरकार पर करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ पड़ रहा था। कांग्रेस सरकार ने इससे बचने के लिए कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 में संशोधन किया। यह सैकड़ों कर्मचारियों के लिए झटका माना जा रहा है। मगर गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही कांग्रेस सरकार को बड़ी राहत मिली है। 21 सालों की सीनियोरिटी लिस्ट को भी बदलना पड़ता हाईकोर्ट के आदेशों की वजह से सरकार पर न केवल वित्तीय बोझ पड़ रहा था, बल्कि बीते 21 वर्षों से अधिक समय की सीनियोरिटी लिस्ट को भी संशोधित करना पड़ता। अब संशोधित विधेयक के राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद से कर्मचारियों को सीनियोरिटी और वित्तीय लाभ रेगुलर होने की तिथि से मिलेगे। अनुबंध सेवाकाल को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। शुरू में 8 साल था कॉन्ट्रेक्ट पीरियड बता दें कि साल में जब अनुबंध पॉलिसी के तहत भर्ती शुरू हुई, तब कॉन्ट्रेक्ट का टेन्योर 8 साल था। यानी कमीशन पास कर्मचारियों को भी आठ साल बाद रेगुलर किया गया। चुनावी साल में 2007 में कॉन्ट्रेक्ट की अवधि घटाकर 6 साल, फिर 5 साल और अब 3 साल की गई। इसे देखते हुए कई कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने कुछ कर्मचारियों को बैकडेट से सीनियोरिटी और वित्तीय फायदे देने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेशों से सरकार बुरी तरह घिर गई थी। अब सरकार ने एक्ट ही बदल डाला है, जिससे कर्मचारी सीनियोरिटी और वित्तीय लाभ बैक डेट से नहीं मांग सकेंगे। इस बिल को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल से मिलने पहुंचे CM विधानसभा में पारित यह विधेयक राज्यपाल ने रोक रखा था। बीते गुरुवार को शाम पौने छह बजे के करीब मुख्यमंत्री सुक्खू अचानक राजभवन पहुंचे और तब उन्होंने इस बिल को मंजूरी देने का आग्रह किया। राजभवन में भी 24 घंटे के भीतर बिल मंजूर किया। इसके बाद राज्य सरकार ने देर शाम इसे राजपत्र में प्रकाशित किया।

Feb 8, 2025 - 01:00
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हिमाचल में 2003 के बाद भर्ती कर्मचारियों को झटका:डेट ऑफ एप्वाइंटमेंट से सीनियोरिटी-फाइनेंशियल बैनिफिट नहीं; राज्यपाल ने कर्मचारी भर्ती विधेयक को दी मंजूरी
हिमाचल प्रदेश में साल 2003 के बाद से अनुबंध पर भर्ती कर्मचारियों को बैक डेट से सीनियोरिटी और वित्ती

हिमाचल में 2003 के बाद भर्ती कर्मचारियों को झटका

राज्यपाल ने कर्मचारी भर्ती विधेयक को दी मंजूरी

हिमाचल प्रदेश में हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसने 2003 के बाद भर्ती कर्मचारियों को झटका दिया है। राज्यपाल द्वारा कर्मचारियों की भर्ती से जुड़े विधेयक को मंजूरी देने के बाद, कई कर्मचारी अब अपनी अपेक्षा के अनुसार फाइनेंशियल बैनिफिट्स और सीनियोरिटी से वंचित रह सकते हैं। यह तथ्य कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है।

डेट ऑफ एप्वाइंटमेंट से सीनियोरिटी का महत्व

कर्मचारियों की सीनियोरिटी का निर्धारण उनकी नियुक्ति तिथि के आधार पर होता है। लेकिन नई नीति के तहत, डेट ऑफ एप्वाइंटमेंट का महत्व कम होते हुए दिखाई दे रहा है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ सकता है। यह नया विधेयक न केवल मौजूदा कर्मचारियों की स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि यह भविष्य में भर्ती के नियमों में भी बदलाव ला सकता है।

फाइनेंशियल बैनिफिट्स पर प्रभाव

कर्मचारी बेहतर फाइनेंशियल बैनिफिट्स की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह विधेयक उनके लिए चिंता का विषय बन गया है। कर्मचारियों के संगठनों ने इस पर विरोध जताया है और उन्होंने सरकार से पुनर्विचार करने की अपील की है। इससे पहले, कर्मचारियों को बैनिफिट्स की उम्मीद रहती थी, लेकिन अब इसे लेकर अज्ञातता की स्थिति बन गई है।

क्या होगी प्रतिक्रिया?

राज्यपाल की मंजूरी पर कर्मचारियों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। क्या वे विरोध प्रदर्शन करेंगे, या सरकार के साथ बातचीत करने की कोशिश करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। कर्मचारियों का मानना है कि यह कदम उनके अधिकारों के खिलाफ है और इसे मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।

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