हिमाचल में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगेगा:CM सुक्खू आज आधारशिला रखेंगे, प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में आएगी कमी
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज प्रदेश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेंगे। मुख्यमंत्री सुक्खू दोपहर बाद ढाई बजे नालागढ़ पहुंचकर इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे। इस प्लांट में नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से प्राप्त बिजली का उपयोग कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। यह संयंत्र ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में व्यापक कमी लाकर स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा। इस संयंत्र में प्रति वर्ष लगभग 1 लाख 54 हजार 395 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकेगा। दभोटा में इस परियोजना के निर्माण के लिए 04 हजार वर्ग मीटर भूमि चिह्नित की गई है। दभोटा में 1 मेगावाट का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगा रही सरकार राज्य सरकार नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के दभोटा में 1 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र बनाने जा रही है। इसके निर्माण पर लगभग 9.04 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की रोजाना 423 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की क्षमता होगी। 18 महीने में प्रोजेक्ट का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित बता दें कि राज्य सरकार ने मार्च, 2026 तक देश का प्रथम ग्रीन पावर स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने में यह प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित होगा। सराकर ने प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य 18 माह के भीतर पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऑल इंडिया लिमिटेड के साथ MOU ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र की स्थापना के लिए सरकार ने 26 अप्रैल, 2023 को ऑल इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर साइन किया था। यह समझौता सौर ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, जियो थर्मल ऊर्जा और कमप्रेस्ड बायोगैस के विकास पर केन्द्रित है।

हिमाचल में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का आगाज़: CM सुक्खू द्वारा आधारशिला रखी जाएगी
हिमाचल प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित किए जाने का आज एक ऐतिहासिक पल है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस महत्वपूर्ण परियोजना की आधारशिला रखने का निर्णय लिया है। यह प्रोजेक्ट न केवल प्रदेश के लिए नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को भी कम करने में मदद करेगा।
ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व
ग्रीन हाइड्रोजन को ऊर्जा के एक स्वच्छ स्रोत के रूप में माना जाता है। यह पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में पर्यावरण के लिए बहुत कम हानिकारक है। हिमाचल प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का निर्माण इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इसमें नए तकनीकी नवाचारों का उपयोग किया जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
परियोजना का लाभ
इस ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के माध्यम से प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। यह प्रदेश को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक सशक्त समाधान प्रदान करेगा। परियोजना द्वारा उत्पादन होने वाली हाइड्रोजन ईंधन के रूप में उपयोग की जा सकेगी, जिससे परिवहन और उद्योगों में प्रदूषण स्तर में कमी आएगी।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी
इस प्रोजेक्ट में स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण होगी। स्थानीय लोगों को इस परियोजना के माध्यम से रोजगार के कई अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, यह समाज में nachhaltige Entwicklung यानी स्थायी विकास को बढ़ावा देने में भी सहायक होगा।
फायदे और भविष्य की योजनाएँ
ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट प्रदेश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम और बढ़ाएगा। इसके साथ ही, हिमाचल जल्द ही ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित हैं और इसे प्रदेश की ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ मानते हैं।
इस परियोजना पर आगे की प्रगति की जानकारी के लिए, कृपया 'News by indiatwoday.com' पर ध्यान दें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, हिमाचल प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का स्थापित होना एक सकारात्मक बदलाव है। यह न केवल पर्यावरण पर लाभकारी प्रभाव डालेगा बल्कि प्रदेश की स्थायी विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। Keywords: ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट हिमाचल, CM सुक्खू आधारशिला, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा प्रोजेक्ट, हाइड्रोजन ऊर्जा के फायदे, नवीनीकरण ऊर्जा हिमाचल, स्थायी विकास योजनाएं, ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट हिंदी, हाइड्रोजन स्रोत ऊर्जा, हिमाचल में ग्रीन टेक्नोलॉजी.
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