गाजियाबाद में 76 वां आर्मी डे मनाया:कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी बोले- हम जमीन पर युद्ध जीते पर मेज पर हारे हैं

गाजियाबाद में बुधवार को महानगर के मॉडल टाउन ईस्ट स्थित राष्ट्रीय सैनिक संस्थान के मुख्यालय में 76 वां आर्मी डे मनाया गया। 1949 में आज ही के दिन जनरल करियप्पा ने ब्रिटिश जनरल बुचर से कमांडर इन चीफ का पद संभाला था। इस अवसर पर कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री को देश चलाने का अनुभव नहीं था। लेकिन उन्होनें भारतीय जनरल को नियुक्त न करने के लिए तर्क दिया कि उनके पास अनुभव नहीं है। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर के ऊपर जो पहला युद्ध लड़ा गया उसमे अंग्रेज़ो का जनरल लोकहार्ट भारत में सेनापति था और अंग्रेज़ो का दूसरा जनरल डगलस पाकिस्तान का सेनापति था। सरदार पटेल से छिपाई थी जानकारी कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने कहा- जनरल लोकहार्ट का झुकाव पाकिस्तान की तरफ था। तमाम सबूत मिलते हैं कि भारत में तैनात जनरल लोकहार्ट को कबाइली के भेष में पाकिस्तान के फौजियों के भारत मे घुसने की सम्पूर्ण जानकारी थी जो सरदार पटेल से छिपाई गई। अक्टूबर 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री माउंट बेटन के ब्रिटेन में विश्राम स्थल कैंपशायर मे 4 दिन आराम करने के लिए गए। माउंट बेटन इंग्लैंड के अन्य कामों में व्यस्त होने के कारण बाहर चले गए और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ अपनी पत्नी ऐडविना को छोड़ दिया जिन्होंने उनपर युद्ध विराम करने का दबाव बनाया। हम मेज पर युद्ध जीत गए इसकी गवाही मेजर जनरल गुलवन्त सिंह ने दी थी। मेजर जनरल गुलवन्त सिंह को आगे बढ़ने के लिए मना कर दिया गया था। यानि जमीन पर फौज गिलगिट बाल्टिस्तान को वापस लेने के लिए तैयार भी थी और सक्षम भी थी लेकिन युद्ध विराम कर दिया गया और हम मेज पर युद्ध हार गए। 1962 मे बिना तैयारी, बिना साजो सामान, बिना पर्सनल किट, फौज को हाई ऐल्टीट्यूड पर चाइना से लड़ने के लिए भेज दिया गया। यह हार सरकार की थी, फौज की नहीं। लद्दाख के रिचांगला में मेजर शैतान सिंह की कंपनी के 119 सिपाहियों ने चाइना के 1300 सिपाहियों को मारा था और ऐयर बेस पर चाइना का कब्जा नहीं होने दिया था। यहां भी हम मेज पर युद्ध हार गए। 1965 के युद्ध के बारे में बताया 1965 मे युद्ध जीतने के बाद भी हाजी पीर पास को वापस कर दिया गया। ऐसे ही 1971 में 93 हजार पाकिस्तानी सिपाहियों को युद्ध बंदी बनाने के बाद भी न कश्मीर का मुद्दा सुलझा और न ही भविष्य में पाकिस्तान द्वारा आक्रमण न करने के वादे पर हस्ताक्षर लिए गए और पाकिस्तान के मुक़ाबले 4 गुना ज्यादा जीता हुआ क्षेत्र भी वापस कर दिया गया। 1999 में भी अत्यंत मुश्किल कारगिल युद्ध को जीतने के बाद भी पाकिस्तान के फौजी सिपाहियों और आतंकियों को बचकर निकलने के लिए एक सेफ कॉरीडोर दिलवा दिया गया। कारगिल से लेकर आज तक कोई युद्ध नहीं हुआ लेकिन कारगिल के मुक़ाबले 100 गुना अधिक सिपाही शहादत दे चुके हैं। सिपाही के शौर्य में कमी नहीं आई है बल्कि नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है। सिपाही जान का बलिदान एक बार दे सकता आर्मी डे फौज के साहस और बलिदान का गुणगान करने के लिए मनाया जाता है। साहस अगर बाजार में बिकता होता तो हर नेता इसे खरीद लेता। आर्मी डे मनाने का दूसरा कारण है सिपाही के बलिदान की सराहना करना है। नेता अगर चुनाव हार जाये तो दोबारा लड़ सकता है परंतु सिपाही अपनी जान का बलिदान केवल एक बार ही दे सकता है इसलिए इसे सर्वोच्च बलिदान कहते है। आज आर्मी डे पर हम केवल इतना चाहते हैं कि कम से कम फौज के मामले पर पूरा देश एक आवाज में ‘’ जय हिन्द ‘’ बोले। फौज के इस अदम्य साहस के बावजूद भी देश मे लगने वाले नारे कि तवांग मे फौज पिटकर आ गई। पाकिस्तान ने चूड़िया नही पहन रखीं, आतंकियों और भारतीय सेना मे गठ जोड़ है बर्दाश्त करने लायक नहीं है। इस मौके पर राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, ज्ञान सिंह, गणेश दत्त, राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी, सुरेन्द्र चन्द शर्मा, पुष्कर सिंह बिष्ट, गौरव बंसल आदि मौजूद रहे।

Jan 15, 2025 - 20:20
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गाजियाबाद में 76 वां आर्मी डे मनाया

गाजियाबाद में 76 वां आर्मी डे मनाने का अवसर हमें यह याद दिलाता है कि हमारी सेना किस प्रकार देश की सीमाओं की रक्षा करती है। इस विशेष दिन पर, कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने अपने विचार साझा किए और कहा, "हम जमीन पर युद्ध जीते, पर मेज पर हारे हैं।" उनके इस बयान ने एक नई चर्चा को जन्म दिया है, जिसमें रणनीतिक युद्ध के महत्व और कूटनीति के प्रभाव को उजागर किया गया है।

कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी का बयान

कर्नल त्यागी का यह बयान उन कठिनाइयों की ओर इशारा करता है जो हमारे सशस्त्र बलों को युद्ध में सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सशस्त्र बलों की शक्ति और क्षमता कभी-कभी कूटनीतिक नीतियों के आगे बाधित हो जाती है, जिनका संचालन राजनीतिक स्तर पर किया जाता है। यह मुद्दा न केवल हमारी सेना की वीरता पर प्रश्न उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि हमें सही निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि युद्धभूमि पर जीत हासिल किया जा सके।

आर्मी डे के महत्व

आर्मी डे का यह आयोजन हमें साहस, बलिदान और देशभक्ति के महत्व को समझने का अवसर देता है। यह दिन उन जवानों को समर्पित है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा की। गाजियाबाद में इस अवसर पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों ने भी भाग लिया और सेना का जस्न मनाया, जिससे यह साबित होता है कि देशवासियों में अपनी सेना के प्रति कितना गर्व है।

समाज में जागरूकता बढ़ाना

इस तरह के आयोजनों का मुख्य उद्देश्य समाज में सेना के प्रति जागरूकता बढ़ाना और युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करना है। कर्नल त्यागी के विचारों को सुनकर, यह आवश्यक है कि हम अपनी नई पीढ़ी को सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान और सच्चे नायक के रूप में देखने के लिए प्रेरित करें।

आखिरी में, हमें यह समझना चाहिए कि हमारी सेना हमारी सुरक्षा का पहला स्तंभ है। आज का दिन हमें यह याद दिलाने का है कि हमें हमेशा अपने सशस्त्र बलों का समर्थन करना चाहिए।

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