पेंशनरों का कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन:फाइनेंशियल बिल 2025 में नियम बदलाव का विरोध, पीएम-सीएम को भेजा पत्र
मिर्जापुर में सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र जिला प्रशासन को सौंपा। जिलाध्यक्ष धर्मदेव उपाध्याय ने कहा कि वर्ष की शुरुआत में आठवें वेतन आयोग की घोषणा हुई। सरकार 1 जनवरी 2026 से कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-पेंशन का पुनरीक्षण करना चाहती है। इस बीच फाइनेंशियल बिल 2025 लाया गया। इसमें पेंशनरी नियमों में बदलाव कर पेंशनरों के बीच भेदभाव किया गया है। बिल के अनुसार 31 दिसंबर 2025 तक सेवानिवृत्त पेंशनरों की पेंशन का पुनरीक्षण नहीं होगा। 1 जुलाई 2024 से कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मिला, लेकिन पेंशनरों को 10 दिन बाद आदेश मिला। भारत सरकार ने 11 अप्रैल को 1 जनवरी 2025 से 2 प्रतिशत महंगाई भत्ते का आदेश जारी किया। पेंशनरों ने मांग की है कि फाइनेंशियल बिल 2025 में किए गए बदलाव को रद्द किया जाए। आठवें वेतन आयोग के नियमों को हितकारी बनाया जाए। कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए वेतन-पेंशन पुनरीक्षण की तिथि एक ही हो। महंगाई भत्ते का आदेश दोनों के लिए एक साथ जारी किया जाए। धरने में हौसिला प्रसाद मिश्र, बजरंगी कुशवाहा, डॉ. रमाशंकर शुक्ल और एस एन पांडेय सहित कई पेंशनर शामिल थे।

पेंशनरों का कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन: फाइनेंशियल बिल 2025 में नियम बदलाव का विरोध
हालही में, पेंशनर्स ने कलेक्ट्रेट के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश फाइनेंशियल बिल 2025 में प्रस्तावित नियमों में बदलाव के खिलाफ विरोध दर्ज कराना है। प्रदर्शनकारी पेंशनर्स ने अपने मुद्दों को उठाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा है। यह कदम सरकारी नीतियों के प्रति उनकी निराशा को दर्शाता है और मांग करता है कि उनकी आवश्यकताओं और अधिकारों को नज़रअंदाज़ न किया जाए।
पेंशनर्स के मुद्दे
पेंशनर्स का कहना है कि फाइनेंशियल बिल 2025 में जो प्रस्तावित बदलाव किए गए हैं, वे उनकी वित्तीय सुरक्षा के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। प्रदर्शन में शामिल पेंशनर्स ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में उनके लिए आलोचनात्मक स्थिति बन गई है, जहां बढ़ती महंगाई के बावजूद उनकी पेंशन में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
प्रदर्शन का महत्व
यह प्रदर्शन न केवल पेंशनर्स के लिए, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। पेंशनर्स ने संकेत दिया है कि यदि उनके मुद्दों का समाधान नहीं होता है, तो वे आगे भी अपनी आवाज उठाते रहेंगे। इस तरह के प्रदर्शन से समाज में जागरूकता बढ़ती है और शासन को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया जाता है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र
प्रदर्शनकारियों ने पत्र में स्पष्ट किया है कि उन्हें अपनी पेंशन को बढ़ाने और नियम परिवर्तन को वापस लेने की आवश्यकता है। वे मानते हैं कि पेंशनरों की भलाई के लिए ये कदम बेहद जरूरी हैं। पत्र में सरकार से अपील की गई है कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और उचित कार्रवाई की जाए।
अंत में, यह समय है कि सरकार पेंशनर्स की समस्याओं को समझे और उनके हक में उचित निर्णय लें। आगामी योजनाओं में पेंशनरों की भलाई को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
इस प्रदर्शन और पत्र के जरिए, पेंशनर्स ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए खड़े होंगे।
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