बेंगलुरु इंजीनियर सुसाइड केस, पत्नी के खिलाफ FIR खारिज नहीं:हाईकोर्ट ने पूछा- जांच क्यों नहीं चाहतीं, आत्महत्या के लिए उकसाने की सारी डिटेल्स मौजूद
एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड केस में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को पत्नी निकिता सिंघानिया की याचिका खारिज कर दी। निकिता के वकील ने कहा था कि शिकायत में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो ये बताता हो कि निकिता अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाने में शामिल थी। निकिता के वकील की इस दलील पर जस्टिस एसआर खन्ना ने FIR खारिज करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में गड़बड़ी वाली जांच का सवाल ही नहीं उठता है। आप (निकिता) जांच क्यों नहीं चाहती हैं? दरअसल, 9 दिसंबर 2024 को अतुल सुभाष ने बेंगलुरु में अपने फ्लैट में सुसाइड किया था। सुसाइड से पहले अतुल ने 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो बनाया था। इस वायरल वीडियो में अतुल ने अपनी पत्नी निकिता पर गंभीर आरोप लगाए थे। अतुल ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था। अतुल के परिवार ने निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाए थे। निकिता, उसकी मां, भाई और चाचा पर FIR दर्ज की गई है। 4 जनवरी को ही निकिता, उसकी मां, भाई को जमानत दी गई। चाचा पहले ही जमानत पर हैं। जस्टिस का सवाल- FIR देखिए और क्या जानकारी चाहिए जस्टिस खन्ना ने कहा, 'आप यह कह रही हैं कि शिकायत में ऐसा कुछ भी नहीं जो बताता हो कि आत्महत्या के लिए उकसाया गया? विस्तृत जानकारी दी गई है, सबकुछ दिया गया है। FIR देखिए, शिकायत देखिए, ऐसा क्या है, जो इसमें नहीं है।आत्महत्या के लिए उकसाने के इस मामले के लिए सभी जानकारी तो दी गई है। और जानकारियां भी सामने आ रही हैं। इसके अलावा और क्या जानकारी दी जानी चाहिए। इसके अलावा मैं और क्या देखूं?' 14 दिसंबर को गिरफ्तार हुए, 4 जनवरी को जमानत मिली कर्नाटक पुलिस ने 14 दिसंबर 2024 को निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसकी मां और भाई अनुराग को प्रयागराज से अरेस्ट किया था। इन तीनों पर अतुल सुभाष को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप है। बेंगलुरु पुलिस तीनों को अपने साथ ले गई थी। वहां कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस कस्टडी में भेजा गया था। 4 जनवरी को बेंगलुरु के सिटी सिविल कोर्ट ने तीनों को जमानत दी। निकिता के वकील दलील थी कि अतुल के बेटे की देखभाल के लिए निकिता को जमानत मिलनी चाहिए, क्योंकि बच्चा अभी छोटा है। वहीं, अतुल सुभाष के परिवार के वकील ने जमानत का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि जैसा हमें डर था वैसा ही हुआ। निकिता बच्चे को जमानत के लिए औजार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। अतुल ने भी सुसाइड से पहले यही बात कही थी कि निकिता बेटे व्योम को औजार बनाकर इस्तेमाल करती है। वकील ने कहा था कि निकिता और उसके परिवार को जमानत नहीं मिलनी चाहिए। ....................................... अतुल सुभाष सुसाइड केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... इंजीनियर अतुल सुसाइड केस- आखिर कौन है रिंकी: एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का आरोप, भाई बोला- गर्लफ्रेंड होती तो जान क्यों देता बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में रोहित और रिंकी के नाम सामने आए। ये दोनों कौन हैं, इनका अतुल और निकिता से क्या कनेक्शन है, इनकी वजह से दोनों के बीच कब-कब झगड़े हुए, इन सवालों के साथ हम अतुल और निकिता के वकीलों से मिले। अतुल के परिवार से रिंकी के बारे में भी पूछा। पूरी खबर पढ़ें...

बेंगलुरु इंजीनियर सुसाइड केस: हाईकोर्ट का बड़ा सवाल
बेंगलुरु में हुए एक इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अदालत ने पत्नी के खिलाफ FIR खारिज करने की मांग को ठुकरा दिया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने पूछताछ की है कि पत्नी जांच क्यों नहीं चाहती, जबकि आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित सभी डिटेल्स मामले में मौजूद हैं।
मामले का पृष्ठभूमि
इस केस में, एक बेंगलुरु स्थित इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद उनके परिवार ने पत्नी पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। आरोप सरकारी अधिकारियों तक पहुँचे, जिन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की। हालाँकि, पत्नी ने इस आरोप का vehemently खंडन किया और FIR को खारिज करने की मांग की।
हाईकोर्ट का निर्णय
हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि जब तक मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक FIR खारिज नहीं की जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि अगर कोई प्रामाणिक सबूत हैं, तो उन पर कार्रवाई ज़रूर होगी। कोर्ट ने यह जानना चाहा कि पत्नी क्यों जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। इसके पीछे का कारण सुनना महत्वपूर्ण है।
परिवार की मांग
इंजीनियर के परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है और यह साफ किया है कि वे पत्नी के खिलाफ सबूत प्रस्तुत कर चुके हैं। उनका कहना है कि मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। परिवार ने उच्च न्यायालय से निवेदन किया है कि वे जांच को गंभीरता से लें और सभी सबूतों का मूल्यांकन करें।
निष्कर्ष
बेंगलुरु इंजीनियर सुसाइड केस एक गंभीर मामला है जो समाज में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मामला न सिर्फ पारिवारिक मुद्दों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार न्याय व्यवस्था कार्य करती है। जैसे-जैसे मामले में आगे की सुनवाई होगी, उम्मीद है कि न्यायालय जांच के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देंगे और उचित निर्णय पर पहुँचेंगे।
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