मकर संक्राति पर कानपुर में पतंगबाजी का जश्न:रंग-बिरंगी पतंगे से सजेगा आसमान, ऑल इंडिया टूर्नामेंट में जुटेंगे देशभर के खिलाड़ी
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। पतंगबाजी का शौक रखने वाले लोगों में कई दिनों पहले से ही विशेष उत्साह दिखाई देने लगता है। पतंगबाजी करने वाले इस खास दिन की तैयारी खूब जज्बे के साथ करते हैं। तरह-तरह की रंग-बिरंगी पतंगे लाते हैं। सूती-देसी मांझा और सद्दी खरीदते हैं। कई जगहों पर पतंगबाजी के टूर्नामेंट्स आयोजित किए जाते हैं। हालांकि पिछले कई सालों की अपेक्षा अब युवाओं में पतंगबाजी का क्रेज कम होता दिखाई दे रहा है। जिसकी जगह ले ली है गैजेट्स ने। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप में बिजी युवाओं को अब पतंगबाजी का शौक नहीं रहा। वहीं दूसरी वजह चाइनीस मांझा है। ये मांझा जानलेवा होता है। क्योंकि इससे आसमान में उड़ते पक्षियों और इंसानों को चोट लगने का खतरा होता है। यह दोपहिया वाहन चालकों, सड़क चलते और पतंग उड़ाते लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए इस मांझे पर बैन है। तो कई पतंगबाज सूती मांझा इस्तेमाल करने की बजाए पंतग से ही दूरियां बढ़ा लेते हैं। अब पतंगबाजी का दौर कम हो रहा ऐसे में हमने कानपुर के जूही गौशाला में रहने वाले प्रमोद शर्मा(52) उर्फ इल्ला से बातचीत की। उन्होंने बताया कि वे 1995 से लगातार पतंगबाजी कर रहे हैं। पतंगबाजी को उन्होंने शौक के तौर पर शुरू किया था। लेकिन अब वह जिंदगी का हिस्सा बन गई। 35 सालों में देश के अलग-अलग शहरों, जिसमें बरेली , मुरादाबाद, लखनऊ, हैदराबाद, दिल्ली, फर्रुखाबाद, कलकत्ता में कई टूर्नामेंट पतंगबाजी की। उन्होंने बताया कि पतंगबाजी के ऑल इंडिया टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया। पहली बार तो ऑल इंडिया टूर्नामेंट से बाहर हुआ। लेकिन दूसरी बार ऑल इंडिया टूर्नामेंट में तीसरा स्थान हासिल किया। कम ही लोगों को यह जानकारी होगी कि पतंगबाजी के पूरे देशभर में टूर्नामेंट कराए जाते हैं। इसके लिए बाकायदा काइट क्लब परमिशन लेते हैं। पतंगबाजी के लिए सुनिश्चित मैदान में ही टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है। कानपुर में 30 जनवरी को ऑल इंडिया पतंगबाजी का टूर्नामेंट शुरू होगा। यह टूर्नामेंट 2 महीने तक चलेगा। लेकिन अब पतंगबाजी का दौर कम हो रहा है। जिसकी वजह चाइनीस मांझा है। ऐसे में नए पतंगबाजों से यह अपील है कि सूती मांझे का प्रयोग कर पतंगबाजी करें। इसके साथ ही प्रशासन चाइनीस मांझे पर कार्रवाई करें। नवाबों से पहले राजा महाराजाओं को शौक था पतंगबाजी का शौक कानपुर में काफी पुराना है। एस के काइट क्लब चलने वाले अमित पांडे ने बताया कि लोग पतंगबाजी को नवाबों का शौक मानते हैं। लेकिन नवाबों से पहले राजा महाराजा हुआ करते थे, जो पतंगबाजी का शौक रखते थे। तब इसे गुडी या चंग कहा जाता था। इसके बाद सन् 1775-1797 के बीच नवाब असाफुद्दौला के शासन काल में पतंग का चलन बढ़ा। वह अपने शीशमहल की छत से पतंग उड़ाया करते थे। फिर पतंग लड़ाने का सिलसिला सन् 1800 से नवाब सआदत अली खां के अहद से शुरू हुआ। इसके बाद पतंगबाजी से कई खेल और बाजियों होने लगी। उस दौरान कनकव्वे से नौ पेंच काटने वाले को नौशेखां की उपाधि से नवाजा जाता था। फिर बादशाह अमजद अली शाह के दौर में मुर्शिदाबादी बांस मंगाकर पतंग के ठड्डे और धनुष बनाए जाने लगे। मीर अम्दू, ख्वाजा मिट्ठन और शैखइमदाद इस जमाने के जबरदस्त पतंगबाज थे। ऐसे तो पतंगबाजी का शौक खुमार लेता जा रहा था। लेकिन पतंगबाजी को सबसे ज्यादा शबाब जाने आलम के समय में मिली। नवाबों की पतंगे दुल्हन की तरह सजती थी नवाबों की पतंगें दुल्हन की तरह सजाई जाती थी। जिनमें अक्सर सोने और चांदी के तारों की झलझली बंधी होती थी। उस समय ऐसा चलन था, कि पतंगबाजी के दौरान ये पतंगे जिसकी छत पर कट कर गिरती थीं, उसके घर पर उस दिन पुलाव बनता था। एस के काईट क्लब 35 साल पुराना है। सबसे पहले एस के काइट क्लब ने ही 20-20 काईट टूर्नामेंट कराने की शुरुआत की थी। तीन पीढ़ियों से खानदान में पतंगबाज, क्लब का नाम है "खानदानी काईट क्लब" शहर के चौक में रहने वाले राजा भाई ने बताया कि उनके खानदान में तीन पीढियां से पतंगबाजी का शौक है। उनके बाबा जग्गी लाला और उनके पिता पुत्तन मामा पतंगबाजी में मशहूर थे। इसी तरह से उन्हें भी पतंग बाजी का शौक है। इसलिए उनके क्लब का नाम भी "खानदानी क्लब" है। तकरीबन 35 सालों से वह पतंगबाजी कर रहे हैं। ऑल इंडिया काईट टूर्नामेंट्स दो बार जीत चुके हैं। बुजुर्ग और युवा पतंगबाजों की अपील 68 साल के अमरनाथ शुक्ला पुराने पतंग बाज रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि लोग चाइनीस मांझे का प्रयोग ना करें। संतोष तिवारी और अनुज बाजपेई जैसे पुराने पतंगबाजों का नाम कानपुर में आज भी लिया जाता है। युवा पतंगबाज शिबू सोनकर ने भी मकर संक्रांति के दिन होने वाली पतंगबाजी के लिए युवा साथियों से अपील की कि चाइनीज लायनान मंझे का बिल्कुल इस्तेमाल न करें। सूती मंझे का इस्तेमाल कर पतंग उड़ाएं। देश भर में रजिस्टर्ड है काईट क्लब पतंगबाजी के रजिस्टर्ड क्लब की बात की जाए तो दिल्ली में हजारों और लखनऊ में 700 से कलकता में 1000 से ज्यादा और कानपुर में तकरीबन सौ काईट क्लब रजिस्टर्ड है। लाखों रुपए का इनाम काईट टूर्नामेंट में रखे जाते हैं। कई टूर्नामेंट में तो इनाम के तौर पर बाइक दी जाती है। कानपुर में होने वाले 30 जनवरी 2025 से ऑल इंडिया काईट टूर्नामेंट में मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, लखनऊ ,बरेली ,मुरादाबाद,फर्रुखाबाद के अलावा देश भर के अलग-अलग शहरों से पतंगबाजी के टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए लोग आएंगे। बरेली में मिलता है सबसे अच्छा मंझा पतंगबाजों का मानना है की सबसे अच्छा पतंग उड़ाने का मांझा बरेली में मिलता है। पतंग उड़ाने का शौक रखने वाले लोग बरेली जाकर ही सूती मंझा खरीद कर लाते हैं।

मकर संक्राति पर कानपुर में पतंगबाजी का जश्न
कानपुर में मकर संक्राति का त्योहार इस बार एक खास उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। रंग-बिरंगी पतंगों की उड़ान के साथ, इस पर्व पर पूरे शहर की रौनक बढ़ने के लिए तैयार है। कानपुर के स्थानीय पार्कों और मैदानों में पतंगबाजी का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे। इस अवसर पर आयोजित ऑल इंडिया टूर्नामेंट में देशभर के शीर्ष खिलाड़ी अपनी पतंगबाजी कौशल का प्रदर्शन करने आएंगे।
पतंगबाजी का इतिहास और महत्व
भारत में पतंगबाजी का प्रचलन सदियों पुराना है। खासकर मकर संक्राति के मौके पर लोग पतंग उड़ाना पसंद करते हैं। यह पर्व सर्दी के समाप्त होने और गर्मी के आगमन का प्रतीक है। कानपुर में पतंगबाजी स्थानीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई है, जहां परिवार और मित्र एक साथ मिलकर इस आनंद को मनाते हैं।
ऑल इंडिया टूर्नामेंट की तैयारी
इस साल, कानपुर में आयोजित होने वाले ऑल इंडिया पतंगबाजी टूर्नामेंट में देशभर के प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। यह प्रतियोगिता न केवल विशेषज्ञों के लिए बल्कि बच्चों और युवा खिलाड़ियों के लिए भी खुली होगी। आयोजक इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि सभी प्रतियोगियों को उचित प्लेटफॉर्म मिले और उत्सव का अनुभव बेहतरीन हो।
रंग-बिरंगी पतंगों का महोत्सव
कानपुर का आसमान इस मकर संक्राति पर रंग-बिरंगी पतंगों से सजेगा। बच्चे और वयस्क, सभी मिलकर अपनी प्रिय पतंगों को उड़ाने का आनंद लेंगे। प्रतियोगिता में इनतजामों के साथ-साथ सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा गया है।
निश्चय ही, कानपुर में मकर संक्राति का यह पर्व लोगों के लिए एक अद्वितीय अनुभव होगा। सभी पतंग प्रेमियों से अपील की गई है कि वे इस रंगीन पर्व का हिस्सा बनें और इसे और भी खास बनाएं।
इसके अलावा, इस उत्सव के दौरान होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा, जिससे सभी के लिए मनोरंजन का अवसर मिलेगा।
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