लखनऊ में सास का कान काटकर निकाल लिया बाला:बहू ने डंडे से पीटा, बोली- पुलिस को बताएगी तो SC-ST में फंसा दूंगी
लखनऊ के पीजीआई कोतवाली क्षेत्र में एक बहू ने सास का कान काटकर उसका बाला निकाल लिया। डंडे से जमकर पीटा। उसके बाद धमकी दी कि अगर पुलिस को बताएगी तो उल्टा तुझे SC-ST में फंसा दूंगी। मामला हैवत मऊ मवैया का है। पीड़ित सास गुड्डन गुप्ता ने अपनी बहू रोशनी रावत के खिलाफ तहरीर दी है। रात में मारा, सवेरे कान काट लिया रविवार की रात लड़ाई हुई तो पीड़िता ने डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी थी। पुलिस ने इसे घरेलू मामला कहकर सुबह कोतवाली में शिकायत करने को कहा। आरोप है कि सोमवार सुबह ही रोशनी ने सास पर चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में पीड़िता का कान कट गया। इस पर बहू ने उसका बाला ले लिया। गुड्डन गुप्ता का आरोप है कि बहू रोशनी रावत उनकी संपत्ति हड़पना चाहती है। वह लगातार मारपीट, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देती रहती है। पीड़िता ने बताया कि वह अब अपने ही घर में डरी-सहमी रहती है। बहू धमकी देती है कि शिकायत करने पर एससी/एसटी एक्ट में फंसाकर जेल भिजवा देगी। पीड़िता ने पीजीआई कोतवाली में तहरीर दी है। पुलिस जांच कर रही है।

लखनऊ में सास का कान काटकर निकाल लिया बाला: बहू ने डंडे से पीटा
लखनऊ की एक अजीबोगरीब घटना में एक बहू ने अपनी सास का कान काटकर उसे गंभीर चोट पहुंचाई। यह मामला उस समय चर्चा का विषय बना जब बहू ने सास को डंडे से पीटते हुए कहा कि यदि वह पुलिस में शिकायत करने की कोशिश करेगी, तो उसे अनुसूचित जाति और जनजाति (SC-ST) एक्ट के तहत फंसा देगी। यह घटना महिलाओं के प्रति हिंसा और घरेलू विवादों की बढ़ती घटनाओं को उजागर करती है। इस प्रकार की घरेलू नफरत के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, और यह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
घटना का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना हाल ही में लखनऊ के एक स्थानीय क्षेत्र में हुई। बहू ने अपनी सास के साथ किसी बात को लेकर बहस की, जिसके बाद मामला हाथापाई तक पहुंच गया। बहू का गुस्सा इस कदर बढ़ा कि उसने अपनी सास पर हमला कर दिया। पुलिस के अनुसार, मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। यह एक ऐसा मामला है जो घरेलू हिंसा के मामलों में प्रचलित मानसिकता को दर्शाता है।
समाज में बढ़ती घरेलू हिंसा
इस घटना ने समाज में घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों की परतें खोल दी हैं। विशेषकर जब से महामारी के दौरान परिवारों में तनाव और मानसिक दबाव बढ़ा है, ऐसे मामलों में भी वृद्धि हुई है। सामाजिक संरचना को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस तरह की घटनाओं पर विचार करें और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।
अधिकारों और सुरक्षा
महिलाओं के अधिकारों और उनके खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए सरकारी नीतियों और कानूनी ढांचे की आवश्यकता है। महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक करना और सक्षम बनाना बहुत जरूरी है। ऐसे में, कानून की मदद लेना और जरूरी कदम उठाना आवश्यक है।
यह मामला हर उस व्यक्ति के लिए एक चेतावनी है जो घरेलू हिंसा का शिकार हो सकता है। हमें एकजुट होकर इन मामलों के लिए लड़ने की आवश्यकता है ताकि न्याय की प्राप्ति हो सके।
इस प्रकार के मामलों में कल्याणकारी योजनाओं और कानूनों का सख्ती से पालन होना चाहिए ताकि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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