"किसान को मृत घोषित कर रोक दी थी पेंशन":24 घंटे में मंत्री असीम अरुण ने फिर से शुरू करवाई; DCP दक्षिणी लखनऊ से लगाई थी गुहार

लखनऊ के मोहनलालगंज के निगोहा निवासी माता प्रसाद को वृद्धावस्था पेंशन के सहारे अपना गुजारा करना था, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि उनकी पेंशन अचानक बंद हो गई।बेबस माता प्रसाद ने जब कई दफ्तरों के चक्कर काटे और कोई सुनवाई नहीं हुई, तो आखिरकार उन्होंने डीसीपी दक्षिणी से गुहार लगाई। मामला जब समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तुरंत समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक को 24 घंटे के भीतर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। वीडियो कॉल कर बुजुर्ग को दिया भरोसा अधिकारियों ने माता प्रसाद से संपर्क कर उनकी ई-केवाईसी पूरी करवाई और पेंशन फिर से चालू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। समाज कल्याण मंत्री ने खुद वीडियो कॉल पर माता प्रसाद से बात कर उन्हें भरोसा दिलाया कि अब मार्च 2025 से उनकी पेंशन नियमित रूप से मिलेगी। गलत सत्यापन पर जिम्मेदार पर होगी कार्यवाही: मंत्री मंत्री असीम अरुण ने साफ कहा कि पेंशन बुजुर्गों के जीवन का आधार है, इसे रोकना अपराध से कम नहीं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि गलत सत्यापन करने वाले कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी ताकि भविष्य में किसी और बुजुर्ग को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े।

Feb 26, 2025 - 16:59
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"किसान को मृत घोषित कर रोक दी थी पेंशन":24 घंटे में मंत्री असीम अरुण ने फिर से शुरू करवाई; DCP दक्षिणी लखनऊ से लगाई थी गुहार
लखनऊ के मोहनलालगंज के निगोहा निवासी माता प्रसाद को वृद्धावस्था पेंशन के सहारे अपना गुजारा करना

किसान को मृत घोषित कर रोक दी थी पेंशन: 24 घंटे में मंत्री असीम अरुण ने फिर से शुरू करवाई

News by indiatwoday.com

प्रस्तावना

हाल ही में लखनऊ में एक किसान की पेंशन को रोकने का मामला सामने आया है। किसान को मृत घोषित कर दिया गया था, जिसके कारण उसकी पेंशन तुरंत प्रभाव से रोक दी गई। लेकिन 24 घंटे के भीतर, मंत्री असीम अरुण ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पेंशन को फिर से शुरू करवा दिया। यह घटना हमें बताती है कि सरकारी तंत्र में सुधार की आवश्यकता है और किस प्रकार से गलत घोषणाएं किसी की जिंदगी पर प्रभाव डाल सकती हैं।

मामले का विवरण

DCP दक्षिणी लखनऊ द्वारा इस मामले में गुहार लगाई गई थी, जब यह बात सामने आई कि किसान की पेंशन गलत तरीके से रोकी गई है। इस पूरे मामले में पेंशन रोकने के पीछे के कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे हल्के में नहीं लिया। किसान की पेंशन का पुनः प्रारंभ होना कई किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो सामाजिक सुरक्षा के विचारों को बल प्रदान करता है।

मंत्री असीम अरुण की भूमिका

मंत्री असीम अरुण ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया और सभी आवश्यक कदम उठाए ताकि किसान को मिल रही सहायता को बहाल किया जा सके। इससे यह स्पष्ट है कि वह किसानों की भलाई के प्रति संवेदनशील हैं और राज्य सरकार को उनके कल्याण के प्रति गंभीरता से कार्य करना चाहिए।

साक्षात्कार और प्रतिक्रिया

मामले पर स्थानीय किसानों और अधिकारियों के बीच चर्चा हुई है, जिसमें सभी ने मंत्री के त्वरित निर्णय की सराहना की। किसानों ने यह भी अपनी चिंताओं को व्यक्त किया कि ऐसी स्थितियाँ आगे न आएं जिसके कारण उनकी जीवन-साधन बाधित हो।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल एक किसान की पेंशन से जुड़ा है, बल्कि यह सरकार की जिम्मेदारी को भी उजागर करता है कि वह किस प्रकार से अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करती है। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी अधिकारों का सम्मान हो और कोई भी व्यक्ति बिना कारण के दिक्कत में न आये। इस तरह के संवेदनशील मामलों में जल्द से जल्द कार्रवाई होना आवश्यक है।

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