नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल जेल:पीलीभीत कोर्ट ने 35 हजार का लगाया जुर्माना, 2017 में दर्ज हुआ था मामला
पीलीभीत में नाबालिग किशोरी के साथ घटित हुई एक संगीन मामले में न्यायालय ने बुधवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी धर्मपाल को 10 साल के कठोर कारावास की सजा के साथ 35 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। मामला 14 मार्च 2017 का है, जब थाना बीसलपुर में अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस की जांच में शाहजहांपुर के निगोही थाना क्षेत्र के गांव हसोआ निवासी धर्मपाल पुत्र सुंदरलाल को आरोपी पाया गया। पुलिस ने गहन जांच के बाद 6 अप्रैल 2017 को आरोप पत्र दाखिल किया। पुलिस अधीक्षक पीलीभीत के निर्देशन में चल रहे 'ऑपरेशन कंविक्शन' अभियान के तहत इस मामले में पुख्ता साक्ष्य जुटाए गए। अभियोजन पक्ष की मजबूत पैरवी के चलते कोर्ट ने आरोपी को धारा 363, 366 IPC और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दोषी करार दिया। यह फैसला उत्तर प्रदेश पुलिस के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के अभियान का हिस्सा है।

नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल जेल: पीलीभीत कोर्ट का फैसला
पीलीभीत, उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय के तहत, नाबालिग से दुष्कर्म के एक आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई गई है। यह मामला 2017 में दर्ज किया गया था, जिसमें आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगे थे। पीलीभीत की विशेष न्यायालय ने मामले की विस्तार से सुनवाई करने के बाद आरोपी पर 35,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
मामले का तात्कालिक विवरण
यह मामला तब शुरू हुआ जब पीड़िता ने 2017 में अपने परिजनों के साथ मिलकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि आरोपी ने उसे बहलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई की और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
कोर्ट का निर्णय
कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत किया गया है, जिसमें न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ कड़ी सजा जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं में कमी लाई जा सके। कोर्ट ने सुनिश्चित किया है कि आरोपी को उसकी गलतियों का परिणाम भुगतना पड़ेगा।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस फैसले ने समुदाय में सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कई लोगों का मानना है कि यह निर्णय नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक सख्त संदेश है कि ऐसा अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
फिर से यह दर्शाता है कि न्यायालय की प्रणाली नाबालिगों की सुरक्षा के लिए कैसे कार्यरत है और समाज में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है।
अंतिम शब्द
नाबालिगों के साथ हुए दुष्कर्म के मामलों में सख्त सजा का यह निर्णय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। ऐसे मामलों में कनाडा का न्यायसंगत फैसला वास्तव में अपील की आवश्यकताओं को संबोधित करता है।
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