बछड़े का शिकार कर खींचकर ले गया बाघ:पीलीभीत में बाघ का आतंक, खेतों में जाने से डर रहे किसान
पीलीभीत के गजरौला थाना क्षेत्र में एक बाघ ने दहशत का माहौल बना दिया है। गांव पिपरिया भजा के मजरा घियोना में रविवार की सुबह ग्रामीणों को खेत में एक बछड़े का शव मिला, जिसका शिकार बाघ ने किया था। मौके पर बाघ के पगमार्क भी मिले हैं। जांच में पता चला कि बाघ ने नेमचंद के गेहूं के खेत में बछड़े का शिकार किया और फिर उसे खींचकर कालीचरण के खेत तक ले गया। इस घटना के बाद से क्षेत्र के किसान भयभीत हैं और खेतों में जाने से डर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय से इलाके में बाघ की मौजूदगी है, लेकिन वन विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सूचना मिलने पर सामाजिक वानिकी विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मामले की जांच में जुट गई है। सामाजिक वानिकी के डीएफओ भरत कुमार ने पुष्टि की है कि खेतों के बीच बाघ की मौजूदगी देखी गई है और क्षेत्र में निगरानी के लिए विशेष टीम तैनात कर दी गई है। वन विभाग ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है और स्थिति पर नजर रख रहा है।

बछड़े का शिकार कर खींचकर ले गया बाघ: पीलीभीत में बाघ का आतंक
पीलीभीत में हाल ही में एक बाघ ने बछड़े का शिकार कर उसे अपने साथ खींचकर ले जाने की घटना ने क्षेत्र के किसानों में आतंक फैला दिया है। यह घटना न केवल स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है, बल्कि अब किसान खेतों में जाने से भी भयभीत हैं।
बाघ का आतंक: छोटे गांवों में लोग घरों में कैद
जबसे यह घटना घटित हुई है, पीलीभीत के छोटे-छोटे गांवों में लोगों ने अपने क्षेत्रों में जाने से पहले कई बार सोचना शुरू कर दिया है। कई किसान अपने खेतों में काम करने से कतराने लगे हैं। यह भय और आतंक उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर रहा है। ऐसे कई मामले पहले भी सामने आए हैं, जब जंगली जानवरों ने कृषि पद्धतियों को प्रभावित किया है।
सरकारी पहल और सुरक्षा उपाय
इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन और वन विभाग सक्रिय तौर पर काम कर रहा है। हालांकि, कई किसान यह मानते हैं कि सुरक्षा के उपायों में कमी है। वन विभाग ने किसानों को सुझाव दिए हैं कि वे अपने जानवरों का खास ध्यान रखें और बाघ के आतंक से बचने के लिए सामूहिक रूप से खेतों में काम करें।
बाघों का संरक्षण और स्थानीय सुरक्षा
बाघों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनसे स्थानीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। किसानों के काम करने की स्थिति को सामान्य करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए।
हाल ही में हुई इस घटना ने न केवल जानवरों के प्रति मानव के संबंधों को चुनौती दी है, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर भी एक सवाल खड़ा किया है। जब जंगली जानवरों का दबाव बढ़ता है, तो यह निश्चित रूप से उन ग्रामीणों और किसानों पर भारी पड़ता है जो अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
समाज में जागरूकता बढ़ाने और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सामुदायिक बैठकों का आयोजन भी किया जा रहा है। इससे लोगों को जानकारी मिलेगी और वे बेहतर तरीके से इस समस्या का सामना कर सकेंगे।
सुरक्षित रहने की हर संभव कोशिश करना आवश्यक है, ताकि बाघ का आतंक कम से कम हो। स्थानीय निवासियों को चाहिए कि वे अपने आसपास के हालात की जानकारी रखें और बाघ का सामना करने के लिए उचित प्रबंधन करें।
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