मंडी इंटरनेशनल शिवरात्रि फेस्टिवल में शाही जलेब आज:200 देवी-देवता शामिल होंगे, हजारों लोग जुटेंगे, CM सुक्खू सांस्कृतिक संध्या का करेंगे शुभारंभ
हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी के इंटरनेशनल शिवरात्रि फेस्टिवल में आज शाही जलेब (शोभायात्रा) निकाली जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राम माधो राय मंदिर में पूजा अर्चना के बाद इसका शुभारंभ करेंगे। इसमें 200 से ज्यादा देवी-देवता शामिल होंगे। शाही जलेब के दौरान देवी-देवता लोगों को अपना आशीर्वाद देंगे। जलेब में देवी-देवता पारंपरिक बाध्य यंत्रों की थाप पर नाचते-गाते हुए राम माधो राय मंदिर से पड्डल मैदान की तरफ आगे बढ़ेंगे। हजारों लोग इस मेले में शामिल होंगे। शिवरात्रि पर्व के लिए मंडी शहर को रंग बिरंगी लाइटों व फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इसमें न केवल मंडी शहर बल्कि हिमाचल के दूसरे क्षेत्रों और उत्तर भारत से आने वाले टूरिस्ट भी साक्ष्य बनेंगे। इस फेस्टिवल के लिए 216 देवी-देवताओं को न्योता भेजा गया है। आज की स्टार नाइट के मुख्य कलाकार नेहा दीक्षित और लखविंदर बड़ाली मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू मंडी फेस्टिवल में पहली सांस्कृतिक संध्या का आज शुभारंभ करेंगे। आज की स्टार नाइट में इंडियन आइडल फेम नेहा दीक्षित और लखबिंदर बड़ाली लोगों को नचाएंगे। कल नाटी किंग कुलदीप मचाएंगे धमाल दूसरी सांस्कृतिक संध्या यानी 28 फरवरी को नागी किंग कुलदीप शर्मा आकर्षण का केंद्र रहेंगे। 1 मार्च को पार्श्व गायिका दीक्षा तूर व कुलविंदर बिल्ला, 2 मार्च को पार्श्व गायिका अमिका शैल, 3 मार्च की स्टार नाइट में मुख्य कलाकार इंद्रजीत, अजय चौहान व अज्जू तोमर तथा 4 मार्च को वॉयस ऑफ शिवरात्रि आकर्षण का केंद्र रहेगा। पहली बार इंटरनेशनल कल्चरल परेड: DC डीसी मंडी अपूर्व देवगन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहली बार इंटरनेशनल कल्चरल परेड का भी आयोजन किया जा रहा है। 28 मार्च की शाम 6 बजे कल्चरल परेड निकाली जाएगी। यह डीसी ऑफिस से सेरी मंच और इंदिरा मार्किट होते हुए वापस डीसी दफ्तर तक निकाली जाएगी। डेढ़ घंटे की इस परेड में मलेशिया, थाईलैंड, कजाकिस्तान, श्रीलंका और यूक्रेन के साथ उत्तरी भारत व हिमाचल के कुल 20 सांस्कृतिक दल हिस्सा लेंगे। 'वॉयस ऑफ शिवरात्रि' पहली बार चुना जाएगा मंडी के इस फेस्टिवल में पहली बार 'वॉयस ऑफ शिवरात्रि' का भी चयन होगा। इसके लिए पहले ही ऑडिशन के माध्यम से प्रतिभागियों का चयन कर दिया गया है। 15वीं शताब्दी से मनाया जा रहा महाशिवरात्रि पर्व छोटी काशी मंडी में 1527 ई. से शिवरात्रि पर्व को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि 1527 में राजा अजबर सेन ने बाबा भूतनाथ मंदिर की स्थापना की थी। इसके साथ ही मंडी शहर की स्थापना की गई। तब से लेकर यह पर्व मनाया जाता है। शिवरात्रि में होता है शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम शिवरात्रि महोत्सव को लेकर एक मान्यता यह है कि यह एक ऐसा महोत्सव है जिसमें शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम होता है। शैव यानी भगवान शिव, वैष्णव भगवान विष्णु और लोक देवता कमरूनाग को कहा जाता है। मंडी जनपद में देव कमरूनाग के आगमन के बाद ही शिवरात्रि महोत्सव का आगाज होता है।

मंडी इंटरनेशनल शिवरात्रि फेस्टिवल में शाही जलेब आज: 200 देवी-देवता शामिल होंगे, हजारों लोग जुटेंगे, CM सुक्खू सांस्कृतिक संध्या का करेंगे शुभारंभ
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मंडी इंटरनेशनल शिवरात्रि फेस्टिवल का महत्व
मंडी शहर का इंटरनेशनल शिवरात्रि फेस्टिवल हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, इस महोत्सव में विशेष आकर्षण के रूप में शाही जलेब का आयोजन किया जाएगा। इस फेस्टिवल के दौरान 200 देवी-देवताओं की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है, जो इस धरोहर को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह आयोजन हर साल हजारों की संख्या में भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो इस संस्कृति और परंपरा के जश्न में शामिल होते हैं।
शाही जलेब का आयोजन
शाही जलेब, जो इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण है, इसके तहत देवी-देवताओं के स्वागत के लिए भव्य जलेब की व्यवस्था की जाती है। यह जलेब न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसका महत्व भी प्रतीकात्मक है। इस अवसर पर उपस्थित भक्त पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का भी अवसर पाते हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू का शुभारंभ
इस साल के फेस्टिवल का शुभारंभ मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा किया जाएगा, जो इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। सुक्खू का इस पहल का हिस्सा बनना, स्थानीय संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। वे सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन करेंगे, जिसमें विभिन्न कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
भक्ति और संस्कृति का संगम
फेस्टिवल न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह संस्कृति और भक्ति का संगम भी है। यह आयोजन दर्शाता है कि कैसे विभिन्न धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं एक साथ आती हैं और समाज को एकजुट करती हैं। इस महोत्सव के माध्यम से, हम प्राचीन भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर को संरक्षित और समृद्ध करते हैं।
निष्कर्ष
इस शिवरात्रि फेस्टिवल का अनुभव हमेशा एक अद्भुत और आध्यात्मिक होता है। हम सभी को इस उत्सव का हिस्सा बनाना चाहिए और इसे अपनी आगे की पीढ़ी के लिए सहेजकर रखना चाहिए।
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