महाकुंभ में बदला हर्षा रिछारिया का पता:अब निरंजनी अखाड़े में रहेंगी, विवाद होने पर छोड़ा था कैलाशानंद का आश्रम
महाकुंभ में हर्षा रिछारिया की वापसी हुई है। उन्होंने कहा कि मैं अपने घर में ही आई हूं। मैं अपने महाराज जी के पास ही आई हूं, जिनका आशीर्वाद मेरे साथ बना हुआ है, जिनका हाथ मेरे सिर पर है। अगर वह मेरे साथ हैं तो मुझे और क्या हो सकता है। एक पिता का साथ अगर बेटी को मिल गया तो उसको और किसकी जरूरत है। हर्षा ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी को अपना पिता कहा है। दैनिक भास्कर को सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि उन्होंने अब कैलाशानंद महाराज का आश्रम छोड़ दिया है। अब वह निरंजनी अखाड़े में अध्यक्ष रविंद्र पुरी के संरक्षण में रहेंगी। वे फिर से शाही रथ पर बैठ कर अमृत स्नान करने जाएंगी। युवाओं का रुख धर्म की तरफ करने आई हूं जैसा कि मैंने पहले भी कथा था कि मैं यहां पर धर्म को जानने के लिए आई हूं। मैं धर्म से जुड़ने के लिए आई हूं। समाज में जागरूकता फैलाने के लिए आई हूं और युवाओं का रुख धर्म की तरफ करने के लिए आई हूं। मैं उम्मीद करती हूं कि जब महाराज जी का आशीर्वाद मेरे सिर पर है तो मैं धर्म की तरफ लोगों को ला पाऊंगी। कुछ शब्दों से मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हुई कुंभ छोड़कर जाने के सवाल पर हर्षा रिछारिया ने कहा कि कुछ शब्दों से मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हुई। मैं उतनी उम्मीद नहीं कर रही थी कि प्रयागराज जाकर ऐसा कुछ मैं सुनूंगी। लेकिन, जब मैंने सुना तो उससे मुझे तकलीफ हुई। कहीं ना कहीं महाराज जी ने मुझे हौसला दिया है, उन्होंने मेरा साथ दिया। युवाओं के फोन-मैसेज के बाद वापसी की हर्षा ने कहा- देश के तमाम युवाओं ने मैसेज, कॉल्स और ईमेल्स करके कहा कि अगर आप चली गईं तो हम भी धर्म के लिए मुड़ना नहीं चाहेंगे। हम जहां हैं वहीं रहना पसंद करेंगे। इसके बाद मैंने वापसी का मन बदला। इस रास्ते में अगर इतनी चुनौतियां होती हैं तो हम धर्म से दूर ही ठीक हैं। कहीं ना कहीं यह चुनौतियां फेस करते हुए मैं आगे बढूंगी और देश के तमाम युवाओं को जो मेरी तरह भटके हुए हैं धर्म की तरफ जरूर लेकर आऊंगी। मेरे आंसू खुशी और दुख दोनों बयां करते हैं अपने आंसुओं पर हर्षा रिछारिया ने कहा- मेरे आंसू खुशी और दुख दोनों बयां करते हैं। महाराज जी का साथ मिलने के बाद अब खुशी ज्यादा बयां करते हैं। हमारे वेद, शास्त्र और पुराणों में नारी को हमेशा दुर्गा शक्ति के रूप में पूजा गया है। महाराज जी मेरे पिता तुल्य हैं, मैं उनकी बेटी हूं। उनका हाथ मेरे सिर पर है। अब मुझे नहीं लगता कि मुझे कोई भी झुका सकता है, तोड़ सकता है। अब मैं पूरे महाकुंभ में रहूंगी। यह मेरी कोशिश रहेगी, बाकी ईश्वर की मर्जी।

महाकुंभ में बदला हर्षा रिछारिया का पता: अब निरंजनी अखाड़े में रहेंगी, विवाद होने पर छोड़ा था कैलाशानंद का आश्रम
महाकुंभ का पर्व इस बार फिर से दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है, और इस बार की खबरें विशेष रूप से हर्षा रिछारिया के बदलाव से जुड़ी हुई हैं। समाचार द्वारा indiatwoday.com के अनुसार, हर्षा रिछारिया अब निरंजनी अखाड़े का हिस्सा बन गई हैं। यह बदलाव तब हुआ जब उन्होंने कैलाशानंद का आश्रम छोड़ दिया था, जिसमें कुछ विवाद उत्पन्न हुआ था।
महाकुंभ की महत्वपूर्ण जानकारी
महाकुंभ केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस बार यह पर्व विशेष रूप से चर्चा में है क्योंकि हर्षा रिछारिया की पहचान और उनका आश्रम से नया स्थान बदलना, भक्तों के बीच उत्सुकता का कारण बन गया है।
हर्षा रिछारिया का नया पता
हर्षा ने अपने धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों को निरंजनी अखाड़े में जारी रखने का निर्णय लिया है। यह कदम उनके जीवन में एक नई शुरुआत का संकेत देता है और यह दर्शाता है कि वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगी। उनके अनुयायी उनके इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं।
विवाद का संक्षिप्त विवरण
कैलाशानंद का आश्रम छोड़ने का निर्णय विवादास्पद था। कई कारणों से हर्षा को यह कदम उठाना पड़ा, जिसमें कुछ आंतरिक मुद्दे शामिल थे। हालांकि, अब वह नई ऊर्जा और साहस के साथ निरंजनी अखाड़े में अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।
हमारे पाठक जो इस बदलाव की सच्चाई और धार्मिक महत्व को समझना चाहते हैं, उनके लिए यह खबर बेहद आवश्यक और अद्यतन है। इस बदलाव ने न केवल हर्षा रिछारिया का जीवन बदला है, बल्कि महाकुंभ के दर्शकों को भी नई चर्चा का विषय प्रदान किया है।
निष्कर्ष
कैलाशानंद का आश्रम छोड़ने के बाद, हर्षा रिछारिया का निरंजनी अखाड़े में जाना निश्चित रूप से महाकुंभ के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल उनके लिए, बल्कि उनके अनुयायियों और भक्तों के लिए भी एक नया अध्याय है। अपने आध्यात्मिक मार्ग को नई दिशा में ले जाकर, हर्षा ने एक नवीनतम घटना को जन्म दिया है जिसे महाकुंभ में प्रमुखता से देखा जा रहा है।
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