महाकुंभ में मॉडल को रथ पर बैठाने पर विवाद:संत बोले- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक, इसके परिणाम गंभीर होंगे; हर्षा बोलीं- मैं साध्वी नहीं
महाकुंभ में 30 साल की मॉडल हर्षा रिछारिया को रथ पर बैठाने पर विवाद छिड़ गया है। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भोगने होंगे। उन्होंने कहा- संतों को दिखावा करने के बजाय समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन करना चाहिए। एक आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा अपने रथ पर मॉडल को बैठाकर ले जाना उचित नहीं है, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। फजीहत हुई तो हर्षा बोलीं- मैं साध्वी नहीं बता दें कि महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हर्षा रिछारिया की तीखी आलोचना हो रही है क्योंकि उन्होंने साधुओं के बीच अपनी छवि को चमकाने के लिए उनका रूप धारण किया था। सोमवार को कुछ न्यूज चैनलों ने उन्हें 'सुंदर साध्वी' कहा। फिर सोशल मीडिया पर उनकी काफी फजीहत हुई। इसके बाद हर्षा ने खुद स्वीकार किया कि वह साध्वी नहीं हैं। उन्होंने कहा- मैंने कभी नहीं कहा कि मैं साध्वी हूं। मैंने बचपन से साध्वी होने का दावा नहीं किया है और अभी भी साध्वी नहीं हूं। मैं केवल मंत्र दीक्षा की बात कर रही हूं। बता दें कि हर्षा पीत वस्त्र, रुद्राक्ष माला और माथे पर तिलक धारण करती हैं। महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंदगिरी महाराज की शिष्या बनीं हर्षा साध्वी का नाम हर्षा रिछारिया है, जो निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हैं। हर्षा ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंदगिरी महाराज की शिष्या बनकर उनके मार्गदर्शन में अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "मैंने जो कुछ भी करने की जरूरत थी, उसे पीछे छोड़ दिया और इस मार्ग को अपनाया। भक्ति और ग्लैमर में कोई विरोधाभास नहीं हर्षा ने बताया- भक्ति और ग्लैमर में कोई विरोधाभास नहीं है। मैंने अपनी पुरानी तस्वीरों के बारे में भी स्पष्ट किया कि अगर चाहती तो उन्हें डिलीट कर सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं किया। यह मेरी यात्रा है और मैं युवाओं को बताना चाहती हूं कि किसी भी मार्ग से आप भगवान की ओर बढ़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि वे गुरुदेव से डेढ़ साल पहले मिली थीं, जिन्होंने उन्हें बताया कि भक्ति के साथ-साथ अपने काम को भी संभाला जा सकता है। लेकिन, उन्होंने खुद से फैसला लिया कि वे अपने पेशेवर जीवन को छोड़कर पूरी तरह से भक्ति में लीन रहेंगी। उनका मानना है कि इस फैसले से वह पूरी तरह खुश हैं और उनका मार्गदर्शन उन्हें संतुष्टि देता है। मैंने सुकून की तलाश में यह जीवन चुना महाकुंभ में प्रवेश के दौरान उनसे पत्रकारों ने साध्वी बनने के निर्णय पर सवाल किया। हर्षा ने कहा कि मैंने सुकून की तलाश में यह जीवन चुना है। मैंने वह सब छोड़ दिया जो मुझे आकर्षित करता था। हाल ही में महाकुंभ पहुंची हर्षा उत्तराखंड में रहती हैं, जबकि उनका मूल घर मध्यप्रदेश के भोपाल में है। उनकी सुंदरता की सराहना करते हुए यूजर्स लगातार उनके वीडियो पर कमेंट्स कर रहे हैं। इंस्टाग्राम सेलिब्रिटी हैं हर्षा हर्षा के इंस्टाग्राम पर 9 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। अपने प्रोफाइल पर हर्षा मुख्य रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों से जुड़े कंटेंट साझा करती हैं। सोशल मीडिया पर उनके इंटरव्यू के वीडियो वायरल होने के बाद उनके एक पुराने वीडियो को अब वायरल किया जा रहा है, जिसमें वह मॉडर्न लाइफ स्टाइल जीती नजर आ रही हैं। वह हर रोज अध्यात्म से जुड़े वीडियो सोशल साइड पर पोस्ट करती हैं।

महाकुंभ में मॉडल को रथ पर बैठाने पर विवाद
महाकुंभ का पर्व हमेशा से आस्था, भक्ति और धार्मिकता का प्रतीक रहा है। लेकिन हाल ही में एक नया विवाद सामने आया है जब एक मॉडल को रथ पर बैठाने को लेकर धार्मिक नेताओं और संतों ने नाराजगी व्यक्त की है। संतों का कहना है कि धर्म को इस प्रकार के प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक हो सकता है और इसके परिणाम गंभीर होंगे। यह घटना न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती है, बल्कि समाज में भी विवादों को जन्म दे सकती है।
संतों की प्रतिक्रिया
संतों ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि धार्मिक समारोहों में इस प्रकार के प्रदर्शन जारी रहे तो समाज में और भी असमानताएँ और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उनका मानना है कि महाकुंभ जैसे पवित्र अवसरों का उपयोग शोबाज़ी और प्रदर्शन के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि धार्मिक आयोजनों का उद्देश्य आध्यात्मिक विकास और आत्मा की शुद्धता होना चाहिए।
मॉडल की प्रतिक्रिया
इस विवाद के बीच, मॉडल हर्षा ने अपने बयान में कहा है कि वह साध्वी नहीं हैं और उनका उद्देश्य केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रदर्शन करना था। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का इसमें अलग दृष्टिकोण हो सकता है, लेकिन आस्था का अपमान नहीं होना चाहिए। हर्षा ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं रखती थीं।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह लोगों को एकजुट करने और सांस्कृतिक साक्षात्कार का भी माध्यम बनता है। ऐसे में इसे अपने मूल उद्देश्य से भटकाना सही नहीं होगा। हर व्यक्ति को इसके पवित्रता और महत्व को समझना चाहिए।
इस विवाद ने धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को एक बार फिर से प्रकट कर दिया है और यह स्पष्ट करता है कि समारोहों में मानवीय और धार्मिक संवेदनाओं का सम्मान होना चाहिए। संतों की चेतावनियाँ हमें याद दिलाती हैं कि एकता और प्रेम हमारे समाज के मूल तत्व हैं।
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