मिर्जापुर के बूढ़ेनाथ मंदिर में शिवरात्रि की धूम:हल्दी और रुद्राभिषेक के साथ शुरू हुआ विवाह उत्सव, 26 को निकलेगी पालकी यात्रा
मिर्जापुर के प्रसिद्ध बूढ़ेनाथ मंदिर में शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हो गई है। सोमवार की शाम को बाबा भोलेनाथ और माता गौरा को हल्दी लगाई गई। विजया एकादशी के अवसर पर फल के रस से रुद्राभिषेक किया गया। आचार्य नितिन अवस्थी के मार्गदर्शन में अमित पांडेय ने पत्नी के साथ महादेव की पूजा-अर्चना की। भक्तों ने भक्ति गीतों पर झूमते हुए महादेव के विवाह का जश्न मनाया। मंदिर में ढोलक और झांझ की धुन पर भजनों की स्वर लहरियां गूंजती रहीं। 26 फरवरी को बाबा की भव्य पालकी यात्रा निकाली जाएगी। मंदिर प्रांगण में रंगाई-पुताई और अन्य तैयारियां जोरों पर हैं। विवाह की तिथि नजदीक आने के साथ भक्तों की संख्या भी बढ़ रही है। पंच दश नाम जूना अखाड़ा के सुधानंद गिरी ने बताया कि पालकी यात्रा दोपहर 12 बजे शुरू होगी। यात्रा त्रिमोहानी और संकटा घाट से होते हुए पक्का घाट पहुंचेगी। वहां बाबा का गंगाजल से अभिषेक होगा। फिर यात्रा पसरहट्टा, नबालक का तबेला, धुन्धी कटरा, गुड़हट्टी, मुकेरी बाजार से होते हुए विभिन्न मार्गों से मंदिर वापस लौटेगी। इस वर्ष की विशेषता है कि प्रयागराज से आए बड़ी संख्या में नागा साधु और संत-महंत भी पालकी यात्रा में शामिल होंगे। श्रद्धालु इस दौरान भगवान शिव की भव्य झांकी के दर्शन कर सकेंगे।

मिर्जापुर के बूढ़ेनाथ मंदिर में शिवरात्रि की धूम
शिवरात्रि के मौके पर मिर्जापुर के बूढ़ेनाथ मंदिर में एक भव्य विवाह उत्सव की धूम देखने को मिली है। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया, जिसमें हल्दी और रुद्राभिषेक का अनोखा महत्व रहा। श्रद्धालुओं का उत्साह देखने योग्य था, जो इस पावन दिन को मनाने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
हल्दी और रुद्राभिषेक का महत्व
मंदिर परिसर में हुए इस आयोजन में हल्दी का प्रयोग खासतौर पर इसलिये किया गया क्योंकि यह पारम्परिक भारतीय विवाह समारोहों का एक अभिन्न हिस्सा है। इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। रुद्राभिषेक भी इस अवसर पर विशेष रूप से किया गया जिससे भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। यह पूजा ऋतु परिवर्तन और जीवन के नये अध्याय का स्वागत करती है।
पालकी यात्रा का आयोजन
इस विशेष उत्सव के अंतर्गत 26 तारीख को एक भव्य पालकी यात्रा की योजना बनाई गई है। यह यात्रा बूढ़ेनाथ मंदिर से प्रारंभ होगी और इसमें भक्तजन श्रद्धा भाव से शामिल होंगे। इस यात्रा का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है।
भक्तों का उमड़ा सैलाब
इस अवसर पर मिर्जापुर जिले के विभिन्न हिस्सों से भक्तों का विशाल सैलाब उमड़ पड़ा है। श्रद्धालुओं ने दिनभर मंदिर परिसर में आना-जाना किया, और भगवान शिव की आराधना में लीन रहे। मंदिर के पुजारियों ने भी भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान किया और उनकी रक्षार्थ प्रार्थना की।
इस प्रकार, मिर्जापुर के बूढ़ेनाथ मंदिर में शिवरात्रि का यह उत्सव एक अविस्मरणीय अनुभव साबित हो रहा है। यहाँ हर कोई एक दूसरे के साथ मिलकर धार्मिक संस्कारों और परंपराओं को जीवित रखने में योगदान दे रहा है।
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