लखनऊ पहुंचे 10 हजार बिजली संविदा कर्मचारी:मध्यांचल विधुत कार्यालय घेरा, छटनी बंद करने और वेतन बढ़ाने की मांग
लखनऊ में बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन। बड़ी संख्या में बिजली विभाग के संविदा कर्मियों ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय का घेराव किया। वेतन वृद्धि की मांग को लेकर नाराज कर्मचारियों ने जमकर किया नारेबाजी। प्रदर्शन करे रहे कर्मचारियों की मांग 18000 प्रति माह वेतन दिया जाए। संविदा कर्मचारियों की छटनी को लेकर जताई नाराजगी। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निदा/ संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले हो रहा है प्रदर्शन। प्रदर्शन कर रहे है कर्मियों ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के सामने की रोड घेरा। कार्यालय पर लोगों का आवा गमन हुआ बाधित। 19 जनपदों से आए 10 हजार संविदा कर्मचारी एक दिवसीय सत्याग्रह आंदोलन कर रहे हैं। सरकार पर संविदा कर्मचारियों को अनदेखी करने का लगाया आरोप।

लखनऊ पहुंचे 10 हजार बिजली संविदा कर्मचारी: मध्यांचल विधुत कार्यालय घेरा, छटनी बंद करने और वेतन बढ़ाने की मांग
लखनऊ में आज 10,000 से अधिक बिजली संविदा कर्मचारी एकत्रित हुए और मध्यांचल विधुत कार्यालय का घेराव किया। उनकी मुख्य मांगें हैं छटनी प्रक्रिया को तुरंत बंद करना और अपने वेतन में वृद्धि करना। यह आंदोलन प्रदेश सरकार के खिलाफ कर्मचारियों के बढ़ते विरोध का एक हिस्सा है, जो लंबे समय से अपने हक और सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कारण और पृष्ठभूमि
बिजली संविदा कर्मचारियों को पिछले कुछ समय से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें उचित वेतन नहीं मिल रहा है, जबकि उनके कार्य का दायरा बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा, छटनी की खबरों ने कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना पैदा की है।
आंदोलन का असर
इस आंदोलन ने लखनऊ के मध्यांचल विधुत कार्यालय को प्रभावित किया है, जहां कर्मचारियों ने अपनी आवाज उठाने का निर्णय लिया। उनके इस कदम ने व्यवस्थाओं में थोड़ी बाधा उत्पन्न की है और इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों में भी तनाव बढ़ गया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस कदम उठाया नहीं है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे स्थिति को लेकर संवेदनशील हैं और बातचीत के लिए तैयार हैं। कर्मचारियों ने कहा है कि वे संवाद की मेज पर बैठने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी मुख्य मांगों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
कर्मचारियों का प्रस्तावित कार्यक्रम
कर्मचारी अगले कुछ दिनों में और बड़े पैमाने पर आंदोलनों की योजना बना रहे हैं। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का भी इरादा रखते हैं। इस स्थिति ने सरकार और संचालन विभाग के लिए चुनौती उत्पन्न कर दी है।
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