स्टारशिप की टेस्टिंग पूरी तरह कामयाब नहीं:बूस्टर लॉन्चपैड पर वापस आया; लेकिन रॉकेट में ऑक्सीजन लीक, आसमान में ब्लास्ट हुआ
दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का सातवां टेस्ट पूरी तरह कामयाब नहीं रहा। भारतीय समयानुसार 17 जनवरी को सुबह 4:00 बजे टेक्सास के बोका चिका से रॉकेट लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 8 मिनट बाद बूस्टर तो अलग होकर वापस लॉन्च पैड पर आ गया। लेकिन रॉकेट में ऑक्सीजन लीक होने से उसमें ब्लास्ट हो गया। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली 'स्टारशिप' कहा जाता है। स्टारशिप में 6 रैप्टर इंजन लगे हैं, जबकि सुपर हैवी में 33 रैप्टर इंजन लगे थे। क्यों किया गया था स्टारशिप का 7वां टेस्ट... छठा टेस्ट: लॉन्चपैड पर उतरने में दिक्कत दिखी तो पानी पर लैंड कराया, ट्रम्प भी मौजूद रहे स्टारशिप का छठा टेस्ट 20 नवंबर को सुबह 03:30 बजे टेक्सास के बोका चिका से किया गया था। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी टेस्ट देखने के लिए स्टारबेस पहुंचे थे। इस टेस्ट में बूस्टर को लॉन्च करने के बाद वापस लॉन्चपैड पर कैच किया जाना था, लेकिन सभी पैरामीटर ठीक नहीं होने के कारण इसे पानी में लैंड कराने का फैसला लिया गया। वहीं स्टारशिप के इंजन को स्पेस में फिर से चालू किया गया। इसके बाद हिंद महासागर में लैंडिंग हुई। पांचवां टेस्ट: पहली बार बूस्टर को लॉन्चपैड पर कैच किया था स्टारशिप का पांचवां टेस्ट 13 अक्टूबर 2024 को किया गया था। इस टेस्ट में पृथ्वी से 96 Km ऊपर भेजे गए सुपर हैवी बूस्टर को लॉन्चपैड पर वापस लाया गया, जिसे मैकेजिला ने पकड़ा। मैकेजिला दो मेटल आर्म हैं जो चॉपस्टिक्स की तरह दिखाई देती हैं। वहीं स्टारशिप की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री कराकर हिंद महासागर में कंट्रोल्ड लैंडिंग कराई गई। स्टारशिप ने जब पृथ्वी के वातावरण में एंट्री की तब उसकी रफ्तार 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे थी और तापमान 1,430°C तक पहुंच गया था। चौथा टेस्ट: स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पानी में लैंडिंग हुई स्टारशिप का चौथा टेस्ट 6 जून 2024 को हुआ था, जो सक्सेसफुल रहा था। 1.05 घंटे के इस मिशन को बोका चिका से शाम 6.20 बजे लॉन्च किया गया था। इसमें स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पृथ्वी पर वापस लाकर पानी पर लैंड कराया गया। टेस्ट का मेन गोल यह देखना था कि स्टारशिप पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान सर्वाइव कर पाता है या नहीं। टेस्ट के बाद कंपनी के मालिक इलॉन मस्क ने कहा था, 'कई टाइल्स के नुकसान और एक डैमेज्ड फ्लैप के बावजूद स्टारशिप ने समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की।' तीसरा टेस्ट: रीएंट्री के बाद स्टारशिप से संपर्क टूटा था ये टेस्ट 14 मार्च 2024 को हुआ था। स्पेसएक्स ने बताया था कि स्टारशिप रीएंट्री के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाया, लेकिन उसने उड़ान के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। वहीं इलॉन मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल आधा दर्जन स्टारशिप उड़ान भरेंगे। दूसरा टेस्ट: स्टेज सेपरेशन के बाद खराबी आ गई थी स्टारशिप का दूसरा टेस्ट 18 नवंबर 2023 को शाम करीब 6:30 बजे किया गया था। लॉन्चिंग के करीब 2.4 मिनट बाद सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप का सेपरेशन हुआ। बूस्टर को वापस पृथ्वी पर लैंड होना था, लेकिन 3.2 मिनट बाद 90 Km ऊपर यह फट गया। वहीं स्टारशिप तय प्लान के अनुसार आगे बढ़ गया। करीब 8 मिनट बाद पृथ्वी से 148 Km ऊपर स्टारशिप में भी खराबी आ गई, जिस कारण उसे नष्ट करना पड़ा। फ्लाइट टर्मिनेशन सिस्टम के जरिए इसे नष्ट किया गया था। दूसरे टेस्ट में रॉकेट और स्टारशिप को अलग करने के लिए पहली बार हॉट स्टैगिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया गया था, जो पूरी तरह सक्सेसफुल रही थी। सभी 33 रैप्टर इंजनों ने भी लॉन्च से सेपरेशन तक ठीक से फायर किया था। पहला टेस्ट: लॉन्चिंग के 4 मिनट बाद विस्फोट हो गया था 20 अप्रैल 2023 को स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट किया गया था। इस टेस्ट में बूस्टर 7 और शिप 24 को लॉन्च किया गया था। उड़ान भरने के 4 मिनट बाद ही मेक्सिको की खाड़ी के पास 30 किलोमीटर ऊपर स्टारशिप में विस्फोट हो गया था। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी एलन मस्क और एम्प्लॉइज खुशी मना रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्च पैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी। मस्क ने लॉन्चिंग से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है। स्पेसएक्स ने कहा था- सेपरेशन स्टेज से पहले ही इसका एक हिस्सा अचानक अलग हो गया, जबकि यह तय नहीं था। इस तरह के एक टेस्ट के साथ हम जो सीखते हैं, उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगीं। पूरी तरह से रीयूजेबल है स्टारशिप सिस्टम दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इस रॉकेट को बनाया है। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी बूस्टर को कलेक्टिवली 'स्टारशिप' कहा जाता है। इस व्हीकल की ऊंचाई 397 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जा सकेगा। स्टारशिप सिस्टम स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है? स्टारशिप इंसानों को मंगल पर पहुंचाएगा ये लॉन्चिंग इसलिए अहम है, क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा। मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत? मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर एलन मस्क कहते हैं- 'पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकता है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।' करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था।

स्टारशिप की टेस्टिंग पूरी तरह कामयाब नहीं: बूस्टर लॉन्चपैड पर वापस आया; लेकिन रॉकेट में ऑक्सीजन लीक, आसमान में ब्लास्ट हुआ
हाल ही में, स्पेसएक्स द्वारा विकसित स्टारशिप रॉकेट की टेस्टिंग को लेकर कुछ चिंताजनक खबरें आई हैं। परीक्षण के दौरान, रॉकेट के बूस्टर ने अपेक्षित प्रदर्शन नहीं किया और अंततः इसे लॉन्चपैड पर वापस लाया गया। हालाँकि, इस दौरान एक बड़ी समस्या सामने आई, जिसमें रॉकेट में ऑक्सीजन लीक हुआ, जिसने आसमान में विस्फोट का कारण बना। यह घटना स्पेसएक्स के लिए एक बड़ी चुनौती है और इसके विकास प्रक्रिया पर गहरा असर डाल सकती है।
टेस्टिंग के दौरान क्या हुआ?
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, जब स्टारशिप का बूस्टर अपने परीक्षण मिशन के लिए लॉन्च हुआ, तो उसे कई तकनीकी बाधाओं का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, ऑक्सीजन लीक का पता तब लगा जब बूस्टर उड़ान में था, जिसके कारण मिशन को तुरंत रोकना पड़ा। रॉकेट का विद्यमान तकनीकी रुझान और इसकी गति ने इसे सुरक्षित तरीके से लॉन्चपैड पर वापस लाने की अनुमति नहीं दी।
सरकारी और विज्ञान समुदाय का प्रतिक्रिया
इस सफल परीक्षण के असफल होने पर, सरकारी एजेंसियों और विज्ञान समुदाय ने इसे गंभीरता से लिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि मानवीय या तकनीकी त्रुटियों के कारण उच्चस्तरीय सुरक्षा मानकों की आवश्यकता है। स्पेसएक्स ने इस घटना का तेजी से विश्लेषण शुरू कर दिया है ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।
भविष्य में स्पेसएक्स का क्या कदम होगा?
स्पेसएक्स ने हाल ही में घोषणा की है कि वे अपनी तकनीकों को और अधिक उन्नत बनाने की कोशिश करेंगे। रॉकेट के विकास में आने वाली बाधाओं को पार करने के लिए टीम नए समाधान खोजने में जुट गई है। इसके अलावा, स्पेसएक्स ने अपने प्रयोगात्मक प्रोजेक्ट्स के लिए और अधिक संसाधन आवंटित करने का मन बनाया है। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
समाप्ति के तौर पर, यह कहना उचित नहीं होगा कि टेस्टिंग पूरी तरह से विफल रही। हाँ, यह भी सच है कि इसने टीम को महत्वपूर्ण सीखने के अवसर प्रदान किए हैं।
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