हाईकार्ट ने कहा-समन तामीले में देरी की तय हो जवाबदेही:डीजीपी को दिशा निर्देश, अदालतों से कहा समन तामील होने या न होने की स्थिति पत्रावली पर दर्ज करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सम्मन आदेश को तामील करने में देरी करने वाले पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय करने तथा न्यायिक अधिकारियों को सम्मन आदेश की तामील होने या न होने की स्थिति पत्रावली पर दर्ज करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डी जी पी को कोर्ट से जारी सम्मन आदेश का समय से तामील करने को लेकर परिपत्र जारी करने के लिए आदेश की प्रति उन्हें भेजने का आदेश दिया है। साथ ही महानिबंधक को सभी जिला जजों को भी आदेश भेजने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा सम्मन तामील करने में देरी से न्याय मिलने में देरी होती है। न्यायिक कार्य प्रणाली में इससे अनिश्चितता आती है और न्यायिक तंत्र पर जन विश्वास कमजोर होता है। साथ ही अदालतों पर मुकद्दमों का बोझ बढ़ता है।सम्मन का समय से तामील किये जाने से न्यायिक कार्य प्रणाली की पवित्रता व‌ निष्पक्षता कायम रहती है। कोर्ट ने प्रश्नगत मामले को मध्यस्थता केंद्र भेजने का आदेश देते हुए याची को 35 हजार रूपए का डिमांड ड्राफ्ट महानिबंधक कार्यालय में जमा करने तथा याचिका अगली सुनवाई के लिए 31 जनवरी को पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने विजय कुमार कुशवाहा व तीन अन्य की याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने कोर्ट से जारी सम्मन तामील न होने की सरकारी वकील से जानकारी मांगी तो बताया कि पते पर तीन बार पुलिस गई किन्तु कोई नहीं मिला। 15 जनवरी 25 को सम्मन तामील कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा अकसर संज्ञान में आया है कि सम्मन तामील करने में अधिकारियों की लापरवाही के कारण न्याय देने में देरी होती है। यह कमी उचित न्याय देने की प्रक्रिया में बाधक है। समय से सम्मन तामील न होने से कोर्ट के कीमती समय की बर्बादी होती है और वादकारी पर अनुचित दबाव पड़ता है। इसलिए इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।

Jan 22, 2025 - 00:59
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हाईकार्ट ने कहा-समन तामीले में देरी की तय हो जवाबदेही:डीजीपी को दिशा निर्देश, अदालतों से कहा समन तामील होने या न होने की स्थिति पत्रावली पर दर्ज करें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सम्मन आदेश को तामील करने में देरी करने वाले पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही त

हाईकार्ट ने कहा-समन तामीले में देरी की तय हो जवाबदेही

हालिया बयान में, हाईकार्ट ने स्पष्ट किया है कि समन की तामीली में हो रही देरी को लेकर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। यह निर्देश प्रदेश के डीजीपी को दिए गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून व्यवस्था बनी रहे और समय पर न्याय मिले। अदालतों को भी निर्देशित किया गया है कि वे समन तामील होने या न होने की स्थिति को पत्रावली पर अवश्य दर्ज करें। इस निर्णय का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को कुशल बनाना और देरी के कारणों का समाधान करना है।

समन तामील में देरी के कारण

समन तामील में देरी का मुद्दा न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है। अनेक मामलों में, कार्यवाही में देरी से न केवल न्याय की प्रक्रिया प्रभावित होती है, बल्कि इससे कानून का डर भी कमजोर होता है। हाईकार्ट के इस दिशा-निर्देश के माध्यम से, यह अपेक्षा की गई है कि सभी संबंधित पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को समझें और समुचित कार्रवाई करें।

डीजीपी के सामने निर्देश

डीजीपी को दिए गए निर्देशों में मुख्यत: यह स्पष्ट किया गया है कि समन तामील प्रक्रिया की नियमित निगरानी की जाए। इसके अलावा, यदि किसी कारणवश समन तामील नहीं हो पाता है, तो उसकी सूचना अदालत को तुरंत दी जाए। यह कदम न्यायिक प्रणाली के प्रति नागरिकों के विश्वास को मजबूत करेगा।

अदालतों का महत्वपूर्ण योगदान

अदालतों को समन तामील की स्थिति को सही तरीके से रिकॉर्ड करने और उसका विश्लेषण करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रक्रिया से अदालतें यह जान सकेंगी कि किस मामले में किन कारणों से देरी हो रही है और उन्हें सही समय पर आवश्यक ठोस कदम उठाने का अवसर मिलेगा।

इस निर्णय का लक्ष्य न केवल समन तामील की प्रक्रिया को अग्रेसिव बनाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सभी न्यायिक संरचनाएं सही तरीके से अपनी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं।

सारांश में, हाईकार्ट के इस कदम से आशा की जा रही है कि समन की तामीली में तेजी आएगी और न्यायिक प्रक्रियाओं में नियमों का पालन सख्ती से किया जाएगा।

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