लखनऊ में अंसल एपीआई के खिलाफ पांच FIR:75 लाख रुपए के करीब लेने के बाद नहीं की रजिस्ट्री
लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में अंसल एपीआई के निदेशक और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए हैं। उन पर पैसे लेकर प्लाट न देने का आरोप है। पुलिस इन मामलों में पीड़ितों के दिए साक्ष्य की जांच पड़ताल कर रही है। प्लॉट बुकिंग के पैसे लेने के बाद नहीं मिला कब्जा हजरतगंज जॉपलिंग रोड निवासी राजा गुलाटी का कहना है कि 292 वर्ग मीटर का प्लॉट बुक किया था। बाद में प्लॉट का दायर बढ़ा कर 402 वर्ग मीटर कर दिया गया। इसके लिए उन्होंने 11 लाख रुपए जमा भी किए, लेकिन कब्जा नहीं मिला। वहीं कैसरबाग मकबूलगंज निवासी राशि केसरवानी ने एलआईजी के दो मकान 4.10 लाख रुपए जमा किए। उसके बाद भी कंपनी ने प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं की। इसी तरह सुशांत गोल्फ सिटी सेलिब्रिटी गार्डन निवासी शुभम शंकर ने 2008 में प्लॉट 9.59 लाख रुपए में बुक कराया था। गलत प्लॉट की कर दी गई रजिस्ट्री उन्नाव ईदगाह रोड निवासी पवन कुमार कुशवाहा का कहना कि उन्होंने मई 2022 में प्लॉट बुक कराया था। जिसकी रजिस्ट्री फरवरी 2023 में की गई। पीड़ित के मुताबिक अंसल ने उन्हें गलत प्लॉट की रजिस्ट्री कर दी गई। रेरा में शिकायत करने पर पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। हजरतगंज थाने में दर्ज हुआ एक और मुकदमा बनारस कैंट निवासी शिव सिंह ने हजरतगंज कोतवाली में अंसल इंफ्रा निदेशक सुशील और प्रणव अंसल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने बताया कि 16 साल पहले 35 लाख रुपए जमा कर दो प्लॉट बुक किए थे, लेकिन कब्जा आज तक नहीं मिला। हजरतगंज थाने में इससे पहले एक और मुकदमा दर्ज हो चुका है। पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है।

लखनऊ में अंसल एपीआई के खिलाफ पांच FIR: 75 लाख रुपए के करीब लेने के बाद नहीं की रजिस्ट्री
लखनऊ में अंसल एपीआई के खिलाफ दर्ज की गई पांच FIR ने एक नया कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला तब प्रकाश में आया जब कंपनी ने 75 लाख रुपए के आसपास की राशि लेते हुए भी प्रोजेक्ट की रजिस्ट्री नहीं की। यह मामला न केवल आवासीय समुदायों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि निवेशकों के लिए भी एक बड़ा झटका है।
अंसल एपीआई का काम और विवाद
अंसल एपीआई, जो कि एक प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर है, ने लखनऊ में कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की थी। लेकिन हालिया विवाद ने उनकी सभी योजनाओं को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। प्रभावित ग्राहकों ने आरोप लगाया है कि अंसल एपीआई ने उन्हें पारदर्शिता के बिना पैसे लिए और वादे के अनुसार प्रोजेक्ट की रजिस्ट्री नहीं की। इस स्थिति में कई परिवार अपने गृहस्थी का सपना दर्शाने में असफल हो रहे हैं।
जांच की प्रक्रिया और संभावित परिणाम
पुलिस द्वारा की जा रही जांच के दौरान, कई दस्तावेजों की समीक्षा की जा रही है, और यह देखना होगा कि क्या कंपनी की ओर से नियमों का उल्लंघन किया गया है। प्रबंधन स्तर पर बदलाव आने से भी इस स्थिति में सुधार हो सकता है, परंतु ग्राहकों का विश्वास फिर से पाने में समय लग सकता है। पुलिस की इस कार्रवाई के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून का पालन हो और निवेशकों को उनके धन की सुरक्षा मिले।
ग्राहकों की आवाज: शिकायतें और आंदोलन
ग्राहकों ने अब आवाज उठानी शुरू कर दी है और कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किए हैं। इससे स्पष्ट है कि लोग अब और सहन नहीं करना चाहते। उनकी मांग है कि कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाए और उन्हें अपने पैसे वापस किए जाएं। यह आंदोलन संभवतः आवासीय प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता लाने और अन्य कंपनियों को मजबूत संदेश देने का काम कर सकता है।
लखनऊ में अंसल एपीआई के खिलाफ दर्ज FIR एक गहन मुद्दा है जो कि रियल एस्टेट उद्योग में प्रबंधन, पारदर्शिता और ग्राहक संतोष पर प्रकाश डालता है। इस स्थिति का उचित समाधान हो सके इसके लिए अधिकारियों को जल्दी कार्रवाई करनी होगी।
उन सभी को जो इस मामले से प्रभावित हैं, उचित जानकारी और कानूनी सहायता प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।
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